शनिवार, 30 मार्च 2019

धस्माना ने भाजपा को मुद्दों पर खुली बहस की चुनौती दी...

संवाददाता :  रुद्रपुर उत्तराखंड 



           रुद्रपुर में आयोजित बीजेपी की चुनावी रैली में पीएम नरेंद्र मोदी द्वारा उत्तराखंड व कांग्रेस के संदर्भ में कही बातें सत्य से परे और निराधार हैं। यह बात  प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना ने पीएम की रैली पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते कांग्रेस भवन में कही।  शुक्रवार को कांग्रेस भवन में आयोजित पत्रकार वार्ता में उन्होंने बीजेपी को चुनौती दी कि अगर उनमें साहस है तो सभी मुद्दों पर वह खुली बहस के लिए मैदान में आएं। उन्होंने कि पीएम ने कहा कि केंद्र सरकार ने केदारपुरी के पुनर्निर्माण के लिए बहुत काम किया। लेकिन यह सच नहीं है।


उन्होंने कहा कि सचाई यह है कि पांच सालों में मोदी सरकार ने एक भी रुपया केदारनाथ के पुनर्निर्माण सहित उत्तराखंड में 2013 की आपदा से प्रभावित क्षेत्र के पुनर्निर्माण के लिए नहीं दिया। इसके विपरीत मोदी सरकार ने मनमोहन सरकार की ओर से स्वीकृत साढ़े सात हजार करोड़ के पैकेज की आधी धनराशि दी। धस्माना ने कहा कहा कि ऋषिकेश- कर्णप्रयाग रेललाइन पर भी पीएम का बयान भी निराधार है। इस रेललाइन को कांग्रेस के जमाने में स्वीकृत व शुरू किया गया था और पिछले पांच वर्ष से इसमें कोई प्रगति नहीं हुई। उन्होंने कहा कि पीएम ने प्रदेश के किसानों व बेरोजगारी की बदहाली के संदर्भ में एक भी शब्द नहीं कहा, पीएम मोदी ने स्वयं को निडर व कांग्रेस नेताओं को डरपोक करार दिया जो अपने आप में हास्यास्पद है। क्योंकि देश जानता है कि कांग्रेस के नेता देश के लिए बलिदान हुए हैं। महात्मा गांधी से लेकर इंदिरा गांधी, राजीव गांधी, सरदार बेअंत सिंह आदि नेताओं ने जो बलिदान दिया है।


धस्माना ने कहा कि चुनाव आयोग ने सैनिकों, सैनिक ऑपरेशन आदि विषयों का चुनावी इस्तेमाल न करने के आदेश दिये हैं। पर, इस रैली में इसका खुला उल्लंघन किया गया। उत्तराखंड हमेशा से सैनिकधाम रहा है। आईएमए, आरआईएमसी यहां पांच साल में नहीं बने। ये यहां दशकों पहले से स्थापित है। राज्य के बहादुर हमेशा देश की सुरक्षा के किये बलिदान देते आये हैं। सैनिकों के शौर्य का चुनावी इस्तेमाल करना बिल्कुल गलत है। इसकी शिकायत चुनाव आयोग से की जाएगी। इससे पहले भाजपा विंग कमांडर अभिनंदन के फोटो  लगाकर रैलियां निकाल रही थी। उस पर कांग्रेस ने आपत्ति की थी। उसके बाद ही आयोग ने सैनिकों के फोटो के इस्तेमाल पर रोक लगाई थी।