गुरुवार, 1 अगस्त 2019

मैक्स अस्पताल ने 2 साल के बच्चे को दिया तोहफा...

संदीप शर्मा @ देहरादून उत्तराखंड 


         मैक्स हॉस्पिटल देहरादून ने दो साल के बहरे बच्चे और उसके माता-पिता को नया जीवन दिया है। आयुष गुप्ता और विशाखा (बदला हुआ नाम) दोनो कामकाजी पति-पत्नी हैं और एक खुशहाल एवं सामान्य जीवन जी रहे हैं। अपने पहले बच्चे विवान के जन्म के बाद वे बहुत खुश थे। लेकिन जल्द ही उनकी सारी खुशी गहरे दुख में बदल गई, जब उन्हें पता चला कि उनका बच्चा बहरा है, वह सुन नहीं सकता। डॉक्टरों से यह जानकारी मिलने के बाद माता-पिता बेहद दुखी हो गए, उन्हें लगा कि उनका 'मम्मी' और 'पापा' सुनने का सपना अधूरा ही रह जाएगा। बच्चे की जीभ भी अटकी हुई थी, जिसकी वजह से उसके लिए स्तनपान करना भी मुश्किल था।



माता-पिता इस झटके को झेल नहीं पा रहे थे। ''जब भी हम डॉक्टर के पास जाते, हम भगवान से यही प्रार्थना करते कि यह बात गलत निकले। हमारे परिवारों में बहरेपन का कोई इतिहास नहीं है। हमें यकीन ही नहीं हो रहा था कि विवान सुन नहीं सकता, हम यह सोच-सोच कर परेशान थे, कि उसकी आगे की जिंदगी कैसी होगी।'' बच्चे की मां विशाखा ने बताया। ''हमने कई अस्पतालों में संपर्क किया, हमें बताया गया कि कॉक्लियर इम्पलान्ट के द्वारा ही हमारे बच्चे का इलाज हो सकता है। मैं कई और मरीजों के परिवारों से मिली, जिनमें यह इम्प्लान्ट किया गया है। इससे हमें इम्प्लान्ट का फैसला लेने में मदद मिली। हम देहरादून में ही अपने बच्चे का इलाज कराना चाहते थे।'' ''तभी हमें पता चला कि डॉ इराम खान मैक्स हॉस्पिटल देहरादून में कॉक्लियर इम्प्लान्ट विशेषज्ञ हैं। हमने उनके साथ अपॉइन्टमेन्ट बुक किया। इम्प्लान्ट की कीमत सभी जगहों पर लगभग एक समान है, हम अपने बच्चे के इलाज के लिए बेहतर देखभाल, हाइजीन और सुरक्षित वातावरण चाहते थे। हम डॉ इराम से मिले और अपनी समस्या के बारे में बताया।


उन्होंने हमें हर जरूरी जानकारी दी और भरोसा दिलाया कि मैक्स देहरादून में ही हमारे बच्चे का इलाज ठीक तरह से हो सकता है।''''विवान एक स्वस्थ, मेल चाइल्ड है, जो बेहद सोशल है लेकिन सुनने की क्षमता न होने के कारण वह बोल भी नहीं सकता था। उसके लिए कॉक्लियर इम्प्लान्ट ही सही इलाज था। हमने इस केस के बारे में डॉ ए के लहिरी के साथ चर्चा की, जो कॉक्लियर इम्प्लान्ट में विशेषज्ञ हैं, उन्होंने इस मामले में हमें पूरा सहयोग दिया।'' डॉ इराम खान, अटेन्डिंग कन्सलटेन्ट, डिपार्टमेन्ट ऑफ ईएनटी ने बताया ''26 मई 2019 को बच्चे की सर्जरी की गई। सर्जरी के बाद विवान को 2 दिन तक अस्पताल में रखा गया और तीसरे दिन छुट्टी दे दी गई। कॉक्लियर इम्प्लान्ट को 10वें दिन स्विच करना था। 6 जून का दिन परिवार के लिए बेहद खास था क्योंकि इस दिन बच्चा पहली बार किसी आवाज के लिए रिस्पॉड करने वाला था।


परिवार इस मौके पर बेहद भावुक था, माता-पिता सही समय पर अस्पताल पहुंच गए। ठीक 3ः02 मिनट पर राईट साईड इलेक्ट्रोड पर सिगनल भेजा गया, विवान के लिए यह नया अनुभव था, उसने सिर हिलाकर रिस्पॉन्स किया। परिवार के लिए भी यह बेहद भावुक क्षण था। आखिरकार माता-पिता की उलझन खत्म हो गई जब उन्हें पता चला कि अब उनका बच्चा सुन सकता है। इम्प्लान्ट के साथ-साथ उनकी प्रार्थना भी सफल हुई। कॉक्लियर इम्प्लान्ट एक इलेक्ट्रॉनिक मेडिकल डिवाइस है जिसमें भीतरी कान के क्षतिग्रस्त हिस्से को इस तरह ठीक किया जाता है कि ऑडियो सिगनल दिमाग तक पहुंच सकें।''डॉ इराम खान, ईएनटी स्पेशलिस्ट ने कहा, ''कॉक्लियर इम्प्लान्ट परिवार के लिए जीवन को बदल देने वाला फैसला होता है, इसने बच्चे को नया जीवन दिया है।


इम्प्लान्ट के बाद परिवार को बच्चे की बहुत देखभाल करनी होती है। बच्चे में बोलने की क्षमता विकसित करने के लिए भी काम करना होता है। इस तरह पहली बार आवाज सुनने वाले बच्चे के लिए विशेष थेरेपी की जरूरत होती है।''डॉ संदीप सिंह तंवर, वाईस प्रेजीडेन्ट- ऑपरेशन्स एण्ड युनिट हैड, मैक्स सुपर स्पेशलटी अस्पताल, देहरादून ने कहा, ''कॉक्लियर इम्प्लान्ट बच्चे के जीवन को बदलने वाला महत्वपूर्ण फैसला है, जिसमें माता-पिता और कन्सलटेन्ट स्पेशलिस्ट दोनों की भूमिका महत्वपूर्ण होती है। अपने पहले सफल कॉक्लियर इम्प्लान्ट के साथ मुझे विश्वास है कि आने वाले समय में बड़ी संख्या में लोग देहरादून में ही हमारी इस सेवाओं से लाभान्वित होंगे।''