रविवार, 1 सितंबर 2019

फिट इंडिया अभियान के तहत, संस्‍कृति और पर्यटन राज्‍य मंत्री ने हुमायूं के मकबरे में सुबह की सैर की...

संवाददाता: नई दिल्ली 


      फिट इंडिया अभियान के तहत संस्‍कृति और पर्यटन राज्‍य मंत्री (स्‍वतंत्र प्रभार) प्रहलाद सिंह पटेल ने नई दिल्‍ली में हुमायूं के मकबरे में सुबह की सैर की। इस अवसर पर पटेल ने कहा कि फिटनैस के सम्‍बन्‍ध में जागरूकता भारतीय संस्‍कृति और विरासत का हिस्‍सा है। हमें अपने रोजमर्रा के जीवन में बेहतर स्‍वास्‍थ्‍य के लिए योग, कसरत, पैदल चलना और इससे जुड़े कार्य करने चाहिए। उन्‍होंने कहा 'तंदुरूस्‍ती हजार नियामत' है और एक स्‍वस्‍थ शरीर होने पर ही हम अपने भौतिक और आध्‍यात्मिक लक्ष्‍यों को हासिल कर सकते हैं। पटेल ने सभी नागरिकों का आहवान किया कि वे 'फिट इंडिया अभियान' को जन आंदोलन बनाने के लिए इसमें भाग लें।



प्रहलाद सिंह पटेल ने अपनी यात्रा के दौरान हुमायूँ के मकबरे के परिसर में नीला गुम्‍बद आम जनता के प्रवेश के लिए खोल दिया। नीला गुम्‍बद मुगल काल की सबसे पुरानी संरचनाओं में से एक है और इसे 1530 में बनाया गया था। नीले गुम्‍बद को यमुना में एक द्वीप पर बनाया गया था, और बाद में 1569-70 में जब हुमायूं के मकबरे का निर्माण किया गया तो इसे और आसपास की अन्‍य संरचनाओं को परिसर में शामिल कर लिया गया था।


नीला गुम्‍बद को गुम्‍बद में लगी नीले रंग की टाइलों के कारण इसे यह नाम दिया गया था। आम जनता आज से हुमायूँ का मकबरा परिसर के अंदर से इस तक पहुंच सकती है।


नीला गुम्बद का महत्‍व 19 वीं शताब्दी में कम होना शुरू हो गया था जब नीला गुम्बद उद्यान के उत्तरी भाग को रेलवे लाइनों के निर्माण के लिए ले लिया गया था और निज़ामुद्दीन रेलवे स्टेशन का निर्माण कर दिया गया। स्मारक इसके साथ ही लगा हुआ है। 1980 में, हुमायूं के मकबरे से नीला गुम्‍बद को अलग करते हुए एक सड़क बना दी गई और बाद में इस पर 200 से अधिक झुग्गियों के साथ एक अवैध बस्‍ती का निर्माण होने के साथ ही नीला गुम्‍बद पर कब्‍जा हो गया।


इसकी चमक-दमक वापस लाने के लिए, सबसे पहले रेलवे के साथ हुए समझौते के अनुसार, अवैध बस्‍ती के निवासियों को 2004-05 में और बाद में 2014 में, दोबारा बसाया गया। स्‍मारक को हुमायूं के मकबरे से अलग करने वाली सड़क को स्थानांतरित किया गया ताकि हुमायूँ के मकबरे से नीला गुम्‍बद तक पहुँचने की अनुमति दी जा सके।


पिछले 5 वर्षों में काफी मेहनत करके, इसके आसपास प्राकृतिक दृश्य को बहाल किया गया और एक वैकल्पिक सड़क बनाई गई। इसके अलावा ईंट जैसी 15000 टाइलों के गायब होने से गुम्‍बद की भव्यता पूरी तरह से समाप्‍त हो गई थी। स्मारक की चमक-दमक वापस लाने के लिए, हुमायूँ के मकबरे के परिसर में भट्ठे स्थापित किए गए, हज़रत निज़ामुद्दीन बस्ती के युवाओं को नियुक्त किया गया, और खोई हुई शिल्प परंपरा को पुनर्जीवित किया गया।


छत की ज्यामितीय और कलात्मक रचनाएँ जो वर्षों से सफेदी और सीमेंट की अनेक परतों के नीचे छिप गई थी, वह सामने आ गईं और गायब पर्दानुमा बलुआ पत्‍थर की जालियों को फिर से लगाया गया।रेलवे से प्राप्‍त भूमि के एक हिस्सा को दोबारा इस तरह विकसित किया गया ताकि मकबरे के आसपास के मूल उद्यान के हिस्से को फिर से बनाया जा सके।


इसके अलावा संरक्षण कार्य के दौरान, एक ढालू रास्‍ते (रैम्‍प) के पुरातात्विक अवशेष भी मिले। माना जाता है कि इस ढालू रास्‍ते का इस्तेमाल हुमायूँ के मकबरे के निर्माण के लिए नावों से यहाँ पहुंचने वाले पत्थरों और अन्य निर्माण सामग्री को चढ़ाने के लिए किया जाता था। हुमायूं के मकबरे की पूर्वी दीवार के साथ मूल नदी के तल को बहाल करने के लिए 10 फुट से अधिक संचित गाद को हटाया गया। इससे नीला गुम्‍बद के उत्तरी तोरण पथ का पता चला – जिसका बाद में दोबारा निर्माण किया गया।    


मकबरे के संरक्षण का कार्य आगा खां ट्रस्‍ट ने भारतीय पुरातत्‍व सर्वेक्षण के सहयोग से किया।वर्ष 2017 में, यूनेस्‍को ने हुमायूं के मकबरे के विस्‍तारित विरासत स्‍थल के हिस्‍से के तहत नीला गुम्‍बद को वैश्विक धरोहर घोषित किया था।