मंगलवार, 31 दिसंबर 2019

03 जनवरी 2020 को बंगलोर में आयोजित कार्यक्रम में कृषि कर्मण पुरस्कार से किया जाएगा सम्मानित...

संवाददाता : गुमला झारखंड


       गुमला जिलांतर्गत घाघरा प्रखण्ड के बदरी पंचायत के कोतरी गाँव की महिला कृषक क्रान्ति देवी पति विरेन्द्र उराँव को विधी से धान की खेती कर असाधारण उत्पादन करने एवं संकुल के महिला कृषकों को वैज्ञानिक तरीके से खेती करने के लिए प्रोत्साहित करने हेतू भारत सरकार कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय, कृषि सहकारिता एवं किसान कल्याण विभाग, कृषि भवन नई दिल्ली द्वारा कृषि कर्मण पुरस्कार हेतू राष्ट्रीय स्तर पर चयन किया गया हैक्रान्ति देवी को आगामी 03 जनवरी 2020 को बंगलोर में आयोजित कार्यक्रम में माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा कृषि कर्मण पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा।



ज्ञातव्य हो कि क्रान्ति देवी के पास कृषि योग्य कुल दो एकड़ तीस डिसमिल भूमि उपलब्ध है, जिससे इनके परिवार का जीवन यापन चल रहा है। क्रान्ति देवी खेती के साथ-साथ पशुपालन का भी कार्य करती है, जो इनके आजीविका का एक प्रमुख साधन है एवं इसके कम्पोस्ट का उपयोग कर अपने खेतों को कृत्रिम उर्वरक एवं कीटनाशकों से बचाव करती हैं।


महिला कृषक क्रान्ति देवी ने बताया हाइब्रीड धान बीज से तैयार की गई बिचड़े खेती हेतु तैयार किया, जिसमें बोरेक्स एवं डी0ए0पी0 का छिड़काव खेत की जुताई के समय किया एवं अपने मवेशी से प्राप्त कम्पोस्ट खाद का इस्तेमाल किया11 दिन के तैयार बीचड़े को उखाड़ने में पौधों की क्षति नहीं हुई क्योंकि बिचड़े हेतू तैयार की गई नर्सरी बेड़ पूर्ण रूप से कम्पोस्ट मिलाकर तैयार की गयी थी।


विधि से मेरे द्वारा एक-एक विचड़े को कतार से कतार की दुरी 25 से.मी. एवं पौधे से पौधे की दुरी 25 से0मी0 पर लगाया गया, जैसा कि मुझे प्रखण्ड तकनीकि प्रबंधक, आत्मा, घाघरा द्वारा पुरे गाँव के किसानों को इसके लिए प्रशिक्षण दिया गया था। बिचड़े को खेत में लगाने के दो दिन के बाद प्रिटीलाक्लोर नामक खरपतवार नाशक का इस्तेमाल पहली बार गाँव के किसानों के द्वारा किया गया, जिसके कारण धान की पूरी अवधि तक पूर्व के वर्षों से खर-पतवार बहुत कम संख्या में दिखाई पड़ा, जिसके कारण खर-पतवार साधारण पौधों से बिलकुल अलग थादुसरी बार कोनोवीडर को खेत में बिचड़ा लगाने के 30 दिन के बाद हमने चलाया जिसके कारण पौधे सात दिन के बाद हरे-भरे दिखने लगे।


बालियाँ पकने के पश्चात् खेत में ही क्रॉप कटिंग एवं उत्पादकता मुल्यांकन का कार्यक्रम प्रक्षेत्र दिवस के अन्तर्गत किया गया, जिसमें पाया गया कि जिस प्लॉट में परम्परागत खेती से औसतन 40 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उत्पादन होता था, उसी प्लॉट में औसतन 70 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उत्पादन पाया गया, जिसके कारण प्रति हेक्टेयर 30000 रूपये का अतिरिक्त आमदनी प्रति हेक्टेयर हुआजिसके कारण परिवार का भरण-पोषण करने में बहुत सहायता प्राप्त हुआ।