शनिवार, 1 फ़रवरी 2020

आयुष्मान भारत के अंतर्गत जनवरी, 2020 तक 28,005 स्वास्थ्य और वेलनेस केन्द्रों की स्थापना की गई...

संवाददाता : नई दिल्ली 


      भारत की आबादी की एक बड़ा हिस्सा नौजवानों का है इसलिए शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा, जलापूर्ति और स्वच्छता जैसे सामाजिक क्षेत्रों में भारत को जनसांख्यिकीय लाभ प्राप्त है। इसका लोगों के जीवन के गुणवत्ता के साथ-साथ अर्थव्यवस्था की उत्पादकता पर गहरा प्रभाव पड़ता है। इस दिशा में हुआ विकास केन्द्रीय वित्त एवं कम्पनी कार्य मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण द्वारा आज संसद में पेश की गई आर्थिक समीक्षा 2019-20 का प्रमुख भाग हैं। यह समीक्षा 2014-15 से 2019-20 के अवधि के दौरान सकल घरेलू उत्पाद के अनुपात के रूप में सामाजिक सेवाओं पर कुल खर्च में 1.5 प्रतिशत की वृद्धि को रेखांकित करती है।



शिक्षाः


आर्थिक समीक्षा में सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी)-4 के तहत वर्ष 2030 तक सभी लोगों को समावेशी एवं समान गुणवत्तपूर्ण शिक्षा उपलब्ध कराने के सरकार के हस्ताक्षेपों का उल्लेख किया गया है। इस उद्देश्य के साथ विद्यालय शिक्षा प्री-स्कूल से उच्च माध्यमिक (सीनियर सेकेंडरी) स्तर तक परिकल्पित करने के लिए समग्र शिक्षा 2018-19 का आरंभ किया गया है। सरकार की ओर से की गई अन्य पहलों में नवोदय् विद्यालय योजना, प्रधानमंत्री अभिनव शिक्षण कार्यक्रम (ध्रुव), ज्ञान साझा करने के लिए डिजिटल अवसंरचना (दीक्षा) मंच और ई-पाठशाला जैसी ई-कंटेंट साइट्स शामिल हैं।


आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि शिक्षा के लिए एकीकृत जिला सूचना प्रणाली (यू-डीआईएसई) के अनुसार 2017-18 (अनन्तिम) 98.38 प्रतिशत सरकारी प्राथमिक विद्यालयों में लड़कियों के लिए शौचालयों की व्यवस्था है, जबकि 96.23 प्रतिशत सरकारी प्राथमिक विद्यालयों में लड़कों के लिए शौचालयों की व्यवस्था है। 97.13 प्रतिशत सरकारी प्रारंभिक विद्यालयों में पेय जल की सुविधा है। ये आंकड़े शिक्षा का अधिकार, 2009 को बरकरार रखने के प्रति सरकार की संकल्पबद्धता पर प्रकाश डालते है।


सरकार ने गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, नवाचार और अनुसंधान पर ध्यान केन्द्रित करने सहित नई शिक्षा नीति का निरुपण करने की प्रक्रिया आरंभ की है। आर्थिक समीक्षा में स्कूलों के विभिन्न स्तरों पर पढ़ाई अधूरी छोड़ने वाले बच्चों की अधिक संख्या और उच्च शिक्षा में व्यवहार्यता की कमी की चिंता के क्षेत्रों के रूप में पहचान की गई है।


स्वास्थ्यः


स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच में सुधार लाने और बड़े पैमाने पर स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराने की दिशा में दुनिया की सबसे बड़ी स्वास्थ्य सेवा योजना आयुष्मान भारत के तहत 14 जनवरी, 2020 तक 28,005 स्वास्थ्य एवं वेलनेस केन्द्र खोले गए है। समीक्षा में कहा गया है, ‘निवारक स्वास्थ्य सेवाओं को बढ़ावा देने के लिए 2022 तक डेढ़ लाख आयुष्मान भारत- स्वास्थ्य एवं वेलनेस केन्द्र खोले जाने का प्रस्ताव है।’ मिशन इंद्रधनुष के तहत अब तक देशभर में 680 जिलों के 3.39 करोड़ बच्चों और 87.18 लाख गर्भवती महिलाओं का टीकाकरण किया गया है। इनके अलावा स्वास्थ्य के सामाजिक निर्धारकों के तहत सरकार ने ‘ईट राइट एंड ईट सेफ’, फिट इंडिया, अनीमिया मुक्त भारत, पोषण अभियान और स्वच्छ भारत अभियान जैसी मिशन मोड पहले की हैं। इसके अलावा ई-सिगरेट से संबंधित समस्त वाणिज्यिक कार्रवाईयों पर हाल ही में प्रतिबंध लगा दिया गया है।


आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि नवीनतम राष्ट्रीय स्वास्थ्य लेखा 2016-17 के अनुसार, कुल स्वास्थ्य खर्च के प्रतिशत के रूप में स्वास्थ्य पर अपनी जेब से किए जाने वाले खर्च (ओओपीई) में गिरावट आई है। वर्ष 2013-14 में यह 64.2 प्रतिशत था, जो 2016-17 में 58.7 प्रतिशत रहा। विभिन्न योजनाओं ने स्वास्थ्य सेवाओं तक व्यापक पहुंच को संभव बनाया है। आर्थिक समीक्षा के अनुसार इनमें फ्री-ड्रग्स सर्विस इनिशिएटिव, निःशुल्क निदान सेवा पहल, प्रधानमंत्री जन औषधि परियोजना (पीएमवीजेपी) और प्रधानमंत्री नेशनल डायलिसिज प्रोग्राम (पीएमएनडीपी) शामिल हैं।


आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि चिकित्सा के बुनियादी ढांचे में सुधार लाने के लिए सरकार ने पिछले पांच वर्षों में 141 मेडिकल कॉलेजों को मंजूरी दी है। सरकार ने 2.51 लाख अतिरिक्त स्वास्थ्य संबंधी मानव संसाधनों को शामिल करने के लिए राज्यों को सहायता प्रदान की है।