कवयित्री और सामाजिक कार्यकर्ता कुसुम डबराल की कलम से :-
"बहुत खूबसूरत इस दुनिया के नजारे"
बहुत खूबसूरत इस दुनिया के नजारे हो गये,
जिस पल से ऐ सनम हम तुम्हारे हो गये...
हसरतों के दफ़न,का सामान होना,चाहिए...
दिल के एक,कोने में कब्रिस्तान होना
खामोश आँखो में और कितनी वफ़ा रखु ...
तुझी को चाहूं और तुझी से फासला रखु
भेजी थी एक अर्जी आज उसके पते पर
वापस कर दी संगदिल ने कह मेरी गलियाँ बन्द है...
रब लिखूँ, ख्वाहिश लिखूँ, मेहरबाँ लिखूँ या फरमाइश लिखूँ !
उड़ेल कर दिल के जज्बात कागज पे, आ ए सनम तुझ पर मैं एक किताब लिखूँ !
होंठों पे है हँसी चेहरा नूरानी है..!!
चौकिये मत हुज़ूर सब आपकी मेहरबानी है...!!