बुधवार, 8 अप्रैल 2020

राजस्थान सरकार और स्थानीय प्रशासन के समर्पित प्रयासों के बाद वापस पटरी पर लौट आया राजस्थान...

संवाददाता  : जयपुर राजस्थान


      कोविड-19 के निशाने पर भीलवाड़ा जिले  को  सीएम अशोक गहलोत के नेतृत्व में राजस्थान सरकार और स्थानीय प्रशासन के समर्पित प्रयासों के बाद अब वापस पटरी पर लौट आया है। 2 मार्च को  राजस्थान में कोविड-19 का पहला मामला दर्ज किया गया था और पहले ही दिन राज्य में सख्त कार्रवाई की गई थी।  मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत ने कहा कि “ लगभग 5 करोड़ लोगों की जांच की गई है और अब तक 1 करोड़ 17 लाख घर का परीक्षण किया गया है। कर्फ्यू लगाने के साथ हालात भी नियंत्रित थे और आज राजस्थान में 34 जगहों पर कर्फ्यू लगा हुआ है। ”“COVID-19 पॉजिटिव पाए गए संक्रमित मरीजों के 2 किमी क्षेत्र को सील कर गया है और उनकी जांच की जाती है।


आज, राजस्थान में कुल संक्रमित मरीजों की संख्या में से, लगभग 30-32 ईरान से जैसलमेर और जोधपुर में निवासी हैं। संक्रमित मरीजों को अन्य से अलग-थलग रखा जा रहा है। एकमात्र चिंता ऐसे लोगों की है जो सकारात्मक रूप से सामने आ रहे हैं और उन्होंने कहीं यात्रा या संपर्क का कोई इतिहास नहीं है।” “केंद्र सरकार के अधिकारी मुख्य सचिव के संपर्क में हैं और जब भी उनके साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग होती है, वे भीलवाड़ा का उल्लेख करते हैं। जिस दिन हमें डॉक्टर के भीलवाड़ा में वायरस के साथ पॉजिटिव होने के मामले के बारे में पता चला, हमने सीमाएँ सील कर दीं  जो कि महत्वपूर्ण और साहसिक कदम था” मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा, “गांवों के 22 लाख परिवारों, शहर के लगभग 10 लाख परिवारों का परीक्षण किया गया है । जिसके चलते भारत में कोरोना के खिलाफ लड़ाई में भीलवाड़ा आज एक मिसाल  बन कर सामने आया है।



राज्य में बिना किसी छुट्टी के दिन-रात काम कर रहे, स्वास्थय कर्मी से लेकर होमगार्ड, पुलिस कर्मी, सरकारी अधिकारी और कोविड-19 के मरीजों की जांच में जुटे हुए हैं। यह केवल कर्तव्य नहीं है, जिसको पूरा करने में सब लगे हैं, बल्कि  यह एक शहर, एक राज्य और एक देश को बचाने की मुहिम हैं।भारत में, कोविड-19 के कुछ हॉटस्पॉट थे , जिन्हें कोरोनावायरस के एपिसेंटर के रूप में चयनित किए गए थे। 10 प्रमुख स्थानों की सूची में राजस्थान का भीलवाड़ा भी था। कुछ दिन पहले, राज्य के 18 में से 12 मामले भीलवाड़ा से थे । बता दें कि कुल 27 मामलों के साथ, इस जिले को राजस्थान का सबसे प्रभावित इलाका माना गया था।  लेकिन कड़ी मेहनत और अथक प्रयासों के बाद, इस जिले के 17 मरीज ठीक हो गए है,जिनमें से 11 डिस्चार्ज भी कर दिए गए हैं। 


भीलवाड़ा के एसपी हरेंद्र महावर ने कहा, ‘‘हमारी टीमें छह हिस्सों में बांटी गई है जिसकी प्रक्रिया के तहत जिले में काम कर रहे हैं। शुरूआत से कर्फ्यू लगाने से हुई थी। वहीं उन कॉलोनियों में पुलिस सर्वेक्षण के काम के साथ, समन्वय किया जा रहा है। ज्यादा ध्यान बांगर अस्पताल पर किया जा रहा हैं क्योंकि वहीं से यह सब शुरू हुआ था।’’एसपी ने यह भी बताया कि बांगर अस्पताल के कोविड-19 के पॉजिटिव डॉक्टर से लगभग पांच हजार से ज्यादा लोगों ने चेकअप करवाया था। इसीलिए आईपीडी और ओपीडी के मरीजों की भी जांच की गई थी।कोविड-19 को मात देने के लिए, लगभग 6,000 लोगों की स्क्रीनिंग  की गई और केवल 2 दिनों के अंदर ही उनको आइसोलेशन में भेज दिया गया था। अस्पताल में आए मरीज लगभग 19 जिलों व चार राज्यों से थे,इसलिए उनकी पहचान के लिए करना संघर्षपूर्ण था क्योंकि अचानक से पॉजिटिव मरीजों की संख्या बढ़ रही थी। हर एक व्यक्ति को सख्ती से आइसोलेशन में भेजा जा रहा था ।


भोजन और अन्य आवश्यक चीजों की आपूर्ति की व्यवस्था करने के तुरंत बाद सख्त आदेशों के तहत 15 मिनट के भीतर कर्फ्यू लगा दिया गया था।सीएलजी सदस्य, समुदाय के नेताओं और धार्मिक गुरुओं से संपर्क किया गया और उनसे अपील की गई कि जनता को घर में रहने के लिए प्रेरित करें। ऐसे प्रयासों के लिए  अपील करने वाले वीडियो बनाए गए और कुछ अवांछित सामाजिक तत्वों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की गई। बता दें कि इस मुहीम में करीब 600 वाहनों को भी जब्त किया गया है।महावर ने कहा, ‘‘मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ मुश्ताक खान के नेतृत्व में स्वास्थ्य अधिकारियों की टीम ने एक सराहनीय काम किया, जिसके बाद स्थानीय प्रशासन और अन्य कर्मचारियों ने जबरदस्त प्रयास किया।’’ सीएमएचओ, डॉ मुश्ताक खान ने कहा कि, “हमने एहतियात और उपचार पर समान रूप से काम किया।


इस काम में एक और पंख जोड़कर, जिला प्रशासन की कड़ी मेहनत और समर्पण ने रोगियों को ठीक भी किया है। एक समय 26 मरीजों के साथ खड़े होने के बाद, जिले में अब केवल 7 कोविड-19 मरीज हैं, क्योंकि 17 की रिपोर्ट अब नकारात्मक आ गई है और दो अन्य बीमारियों के कारण अपनी जान गंवा चुके हैं।भीलवाड़ा  के डीएम राजेंद्र भट्ट  ने कहा कि- “हमने शहर को सील कर दिया और बाद में पूरे जिले की सीमाओं को सख्ती से सील कर दिया गया। शहर की आबादी को कम से कम 3 बार जांचा गया है और इन्फ्लूएंजा जैसी बीमारी के कारण सामान्य खांसी और जुकाम वाले लोग, जो हजारों की संख्या में थे, उनकी भी जाँच और सर्वेक्षण लगातार किया गया। जिन लोगों में लक्षण सामने आए उनको आइसोलेशन या क्वारंटाइन में रखा गया। लोगों ने भी सहयोग किया और अब यह नियंत्रण में है। एक समय था जब राजस्थान में 18 मरीज थे और 12 भीलवाड़ा के थे।