शनिवार, 9 मई 2020

लॉकडाउन में हो सकती है बोर्ड कापियों का मूल्यांकन : वृक्षमित्र डॉ त्रिलोक चंद्र सोनी

संवाददाता : देहरादून उत्तराखंड 


      वैश्विक महामारी कोरोना के कारण जहां जान है वहीं जहांन है के तहत सरकार द्वारा जन जन की लॉक डाउन कराके सामाजिक दूरी बनाते हुए कोविन 19 संक्रमण रोग से सुरक्षा की जा रही है वही इसका सीधा प्रभाव अध्ययनरत छात्र छात्राओं के पठन पाठन व भविष्य पर पड़ रहा है लॉक डाउन के कारण जहाँ बोर्ड परीक्षा के कुछ प्रश्न पत्र छुटे हैं वही जो पेपर हो चुके हैं उनकी कापियों का मूल्यांकन नही हो पा रहा हैं इस सम्बंध में पर्यावरण के साथ-साथ छात्रहितों में लम्बे समय से कार्य कर रहे पर्यावरणविद् वृक्षमित्र डॉ त्रिलोक चंद्र सोनी ने शिक्षा विभाग को एक सुझाव दिया।


उनका कहना है कि इस लॉक डाउन के अवधि में परिषदीय परीक्षा जिन विषयों के प्रश्न पत्र हो चुके हैं उन विषयों के कापियों का मूल्यांकन हो सकता हैं अगर शिक्षा विभाग द्वारा सम्बंधित विषय अध्यापक के घर पर कापी पहुचाई जाती है तो लॉक डाउन समय का सतपियोग करते हुए मूल्यांकन कार्य कर सकते हैं। 



वृक्षमित्र डॉ त्रिलोक चंद्र सोनी ने कहा जबतक भारत देश से कोरोना संक्रमण महामारी का खात्मा नही होता हैं कही न कही खतरा बना रहेगा, इसका भय मूल्यांकन केंद्रों पर भी होगा क्योंकि मूल्यांकन के लिए शिक्षक शिक्षिकाओं को अन्यत्र स्थानों से आना जाना हो सकता हैं जिस कारण लॉकडाउन के अनुपालन में शिथिलता हो सकती हैं और कोरोना संक्रमण का खतरा भी बना रहेगा।


इसके लिए सरकार को मुख्य शिक्षा अधिकारी व खंड शिक्षा अधिकारी से कौन शिक्षक शिक्षिकाएं वर्तमान में कहा पर हैं उनकी जानकारी लेकर उन जनपदों के बोर्ड परीक्षा कापियां संबंधित विषय अध्यापक के घर तक पहुचाई जाती हैं तो समय से मूल्यांकन कार्य किया जा सकता हैं जैसे ही लॉक डाउन खुलेगा जिन विषयों के प्रश्न पत्र छूटे हैं उनकी परीक्षा होने तक शिक्षक शिक्षिकाएं अधिकतर मूल्यांकन कार्य सम्पन्न कर चुके होंगे ताकि समय से परीक्षाफल तैयार कर घोषित किया जा सके और समय पर बच्चे उच्च शिक्षा व प्रशिक्षण संस्थानों में प्रवेश ले सकेंगे या अन्य जगह रोजगार के क्षेत्र में जा सकेंगे।


डॉ सोनी ने कहा कोरोना महामारी के कारण छात्रों के भविष्य पर प्रभाव न पड़े उन्हें उत्तीर्ण करने पर भी विचार किया जा सकता हैं तथा लॉक डाउन में शिक्षक खाली बैठे हैं वो भ्रम भी टूटेगा।