मंगलवार, 8 सितंबर 2020

केंद्र सरकार की संस्था द्वारा हाल ही में घोषित की गई ईज ऑफ डूइंग बिजनेस की रैंकिग दरअसल वित्तीय वर्ष 2018-19 की...

संवाददाता चंडीगढ़ हरियाणा 


      केंद्र सरकार की संस्था द्वारा हाल ही में घोषित की गई ईज ऑफ डूइंग बिजनेस की रैंकिग दरअसल वित्तीय वर्ष 2018-19 की है। इस रैंकिंग में दिखाई गई राज्यों की स्थिति मौजूदा साल या बीते वित्त वर्ष का नहीं बल्कि डेढ़ से दो साल पहले की है। उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने कहा है कि 1 अक्तूबर से राज्य में नई इंटरप्राइजेज एंड एम्पलॉयमेंट प्रोमोशन पॉलिसी लागू हो रही है जिसमें सभी आवश्यक बिंदु समाए हुए होंगे।


ईज आफ डूइंग बिजनेस की 2018-19 की रैंकिंग से ना केवल हरियाणा बल्कि कई राज्यों की रैंकिंग कम हो गई। कुछ छोटे राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की रैंकिंग बढ़ी है लेकिन उद्योगों के लिए जाने जाने वाले अधिकतर राज्यों की रैंकिंग घट गई है। ईज आफ डूइंग बिजनेस के तहत राज्यों की रैंकिंग तैयार करने के लिए 2019 में नए मानकों के आधार पर सर्वे हुआ है। इस सर्वे में 25 से ज्यादा नए मानक शामिल किए गए थे, जबकि पहले से लागू कई मानक हटा दिए गए थे। इन महत्वपूर्ण बदलावों के चलते रैंकिंग में उलटफेर हुआ है।


डिपार्टमेंट आफ प्रमोशन आफ इंडस्ट्री एंड इंटरनल ट्रेड (डीआईपीपी) की ओर से जारी ताजा रैंकिंग बीते वित्त वर्ष की नहीं है। यह साल 2018-19 की है और इसके लिए जून 2019 तक सर्वे किया गया था और इससे संबंधित सबूत व स्पष्टीकरण अगस्त 2019 तक जुटाए गए थे। यानी इस रैंकिंग में 2018 के कुछ महीने और 2019 के शुरुआती महीनों में निवेशकों के अनुभव को ही शामिल किया गया है।


ईज आफ डूइंग बिजनेस की रैंकिंग का आधार डीआईपीपी द्वारा 2019 में राज्यों के लिए घोषित एडवाइजरी डाक्यूमेंट रहा है, जिसे बिजनेस रिफॉम्र्स एक्शन प्लान 2019 का नाम दिया गया था। नए मानकों के आधार पर हुए इस सर्वे में कुछ राज्यों की रैंकिंग में अप्रत्याशित उछाल आया है, जैसे उत्तर प्रदेश की रैंकिंग 12 से सीधे दो पर पहुंच गई। दिल्ली 23वें स्थान से 12वें, लक्षद्वीप 34वें स्थान से 15वें स्थान पर और अंडमान निकोबार 31वें स्थान से 22वें स्थान पर आ गया है।



नए मानकों के आधार पर तैयार रैंकिग में नुकसान पाने वाले राज्यों में उड़ीसा 14वें स्थान से 29वें स्थान पर पहुंच गया, जबकि हरियाणा तीसरे स्थान से 16वें स्थान पर पहुंच गया है। बिहार राज्य 18वें स्थान पर था, मगर नए सर्वे रैंकिंग का उसे भी नुकसान उठाना पड़ा और वो अब 26वें स्थान पर पहुंच गया है। केरल 21वें स्थान पर था, जो अब 28वें स्थान पर आ गया है, जबकि कर्नाटक 8वें से 17वें स्थान पर और गुजरात 5वें से 10वें स्थान पर खिसक गया है।


उत्तर प्रदेश को छोडक़र किसी बड़े और औद्योगिक रूप से विकसित राज्य को रैंकिंग में फायदा नहीं हुआ, जबकि कर्नाटक, गुजरात, हरियाणा, उड़ीसा, बिहार और केरल जैसे अधिक औद्योगिकीकरण वाले राज्यों को नए सर्वे में बहुत नुकसान हुआ है। छोटे राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों जैसे दमन दीव, अंडमान निकोबार, मिजोरम, अरुणाचल प्रदेश, दिल्ली, हिमाचल प्रदेश, सिक्किम, मेघालय और लक्ष्यद्वीप की रैंकिंग काफी सुधरी दिखाई गई है।


उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला के अनुसार राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के निकट होने के चलते यहां केएमपी के दोनों तरफ खाली जमीनों पर नई इंडस्ट्री लगने की काफी संभावना है। इसके अलावा प्रदेश सरकार पंचायती खाली जमीनों को नए उद्योग लगाने के लिए पट्टे पर देने का प्रस्ताव तैयार कर रही है। साथ ही राज्य में विभिन्न स्थानों पर छोटे उद्योगों के कलस्टर तैयार किए गए हैं। चीन में स्थापित 60 से ज्यादा कंपनियों ने हरियाणा में निवेश की इच्छा जताई है। ऐसे में मौजूदा वित्त वर्ष और आने वाले वर्षों में हरियाणा की रैकिंग में सुधार होना तय है।


यह बात भी महत्वपूर्ण है कि राज्य में कांग्रेस के कार्यकाल के आखिरी साल में हरियाणा की रैंकिंग 14वें स्थान पर थी। कांग्रेस के जाने के बाद यह छठे स्थान पर आई और फिर यह तीसरे स्थान पर पहुंची। सिर्फ एक वर्ष को छोडक़र हरियाणा में बीते 6 वर्षों में लगातार औद्योगिक सरलता की रैंकिंग में सुधार हुआ है।


उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने कहा कि सरकार बदले हुए मानकों की स्टडी कर रही है। उन्होंने जोर देकर कहा कि हम उद्योगपतियों के हितों से किसी तरह का कोई समझौता करने वाले नहीं हैं। हम उन्हें जितनी सुविधाएं दे रहे हैं, उससे कहीं अधिक सुविधाएं बढ़ाएंगे। मुख्यमंत्री मनोहर लाल की तरफ से भी निर्देश हैं कि उद्योगपतियों को तमाम राहत दी जाएं और मैं खुद भी इसके पूरी तरह से पक्ष में हूं। ईज आफ डूइंग बिजनेस के तहत हरियाणा में औद्योगिक विकास के लिहाज से जितना काम हुआ है, उतना किसी राज्य में नहीं हुआ है। हम प्रगति के पथ पर निरंतर आगे बढ़ते हुए हरियाणा को नंबर वन पर लाकर खड़ा करेंगे।