मंगलवार, 20 अक्तूबर 2020

जलवायु परिवेश व अंतर्राष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा को ध्यान में रखते हुए अपने अनुसंधान कार्य को आगे बढ़ाएं...

 संवाददाता : चंडीगढ़ हरियाणा

चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय,हिसार के कुलपति प्रोफेसर समर सिंह ने वैज्ञानिकों से आह्वïन किया कि वे मौजूदा समय में बदलते जलवायु परिवेश व अंतर्राष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा को ध्यान में रखते हुए अपने अनुसंधान कार्य को आगे बढ़ाएं। इससे एक ओर जहां फसलों की गुणवत्ता कायम रहेगी वहीं दूसरी ओर अंतर्राष्ट्रीय बाजार में भी उनकी डिमांड बढ़ेगी।

वे विश्वविद्यालय में ऑनलाइन माध्यम से आयोजित रिसर्च प्रोग्राम कमेटी की 49 वीं उच्च स्तरीय बैठक को बतौर चेयरमैन संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि वैज्ञानिक फसलों, फलों व सब्जियों की नई किस्मों व तकनीकों को विकसित करते समय इस बात का भी खास ध्यान रखें कि उसका लाभ हर छोटी से छोटी जोत वाले किसान तक पहुंचना चाहिए। इसके अलावा जैविक खेती को बढ़ावा दिया जाना चाहिए ताकि गलत खानपान व अधिक रसायनों के प्रयोग से बढ़ रही बीमारियों पर अंकुश लगाया जा सके।

उन्होंने कहा कि हमें किसानों को अधिक से अधिक लाभ पहुंचाने के लिए ड्रोन प्रौद्योगिकी, रोबोटिक्स जैसी दूसरी विकसित तकनीकों को अपनाना होगा और किसानों के अनुकूल बनाना होगा। उन्होंने भविष्य की चिंता करते हुए कहा कि भूमिगत जल स्तर नीचे जा रहा है और पानी की समस्या दिन-प्रतिदिन बढ़ रही है, ऐसे में पानी की बचत और श्रम गहन प्रौद्योगिकी को अपनाना बहुत ही जरूरी है। उन्होंने किसानों से भी अपील की कि वे विश्वविद्यालय से जुडकऱ अधिक से अधिक कृषि संबंधी जानकारी हासिल करें और लाभ उठाएं।

विश्वविद्यालय के अनुसंधान निदेशक डॉ. एस.के. सहरावत ने पिछली बैठक के एजेंडों के बारे में विस्तारपूर्वक चर्चा की और बताया कि विश्वविद्यालय द्वारा बीते सालों में अनाज, दलहन, तिलहन फसलों, सब्जियों और फलों की लगभग 250 किस्में विकसित की जा चुकी हैं। इसके अलावा विश्वविद्यालय के पास 17 पेटेंट, 2 डिजाइन, 5 कॉपीराइट और एक व्यापार चिह्न हैं। विश्वविद्यालय का देश के खाद्यान भण्डारण में अहम रोल है। बैठक में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद से भी वैज्ञानिक व उच्च अधिकारी शामिल हुए और रिसर्च कार्यक्रम समिति के विभिन्न मुद्दों पर समीक्षा की। इस दौरान वैज्ञानिकों ने सुझाव दिया कि अगर किसान समूह बनाकर खेती करें तो मंहगी तकनीकों के खर्च को वहन करने में सक्षम हो सकते हैं और अधिक से अधिक लाभ कमाकर आर्थिक रूप सेे समृद्ध बन सकते हैं।

अनुसंधान निदेशक व अनुसंधान कार्यक्रम समिति के सचिव डॉ. एस.के. सहरावत ने बताया कि कार्यक्रम समिति की इस 49वीं बैठक मेें चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय ही नहीं अपितु प्रदेश के कृषि एवं बागवानी विभाग के महानिदेशक, महिला एवं बाल विकास विभाग, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के अलावा विशेष आमंत्रित सदस्य के रूप में राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान करनाल, केंद्रीय भैंस अनुसंधान संस्थान हिसार, राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान संस्थान, हिसार, मत्स्य विभाग हरियाणा, पर्यावरण विभाग के निदेशक, लुवास से अनुसंधान निदेशक, एचएयू के वित्त नियंत्रक सहित एचएयू व लुवास के सभी महाविद्यालयोंं के अधिष्ठाता एवं निदेशकों ने भाग लेकर अपने विचार साझा किए।