शनिवार, 17 अगस्त 2019

उपराष्ट्रपति ने भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने के लिए सरकार और सिविल सोसाइटी से मिलकर काम करने का आह्वान किया...

संवाददाता: कोलकता पश्चिम बंगाल


      उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने सरकारी और सिविल सोसाइटी संगठनों को एकजुट होने और देश की सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण के लिए मिलकर काम करने का आह्वान किया। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि सरकार और सिविल सोसाइटी समूहों को जनता ने जागरूकता पैदा करने के लिए भी काम करना चाहिए ताकि जनता को देश की कीमती इमारतों के संरक्षण की जरूरतों के बारे में जागरूक किया जा सके। आम जनता को इन बहुमूल्य इमारतों को विरूपित करने तथा इनका दुरुपयोग करने से बचना चाहिए और इन बहुमूल्य भवनों को और विकृत होने से रोकने के लिए हर संभव प्रयास करने चाहिएं।


नायडू रवीन्द्रनाथ टैगोर  टैगोर के पैतृक निवास 'श्यामोली' राष्ट्र को समर्पित के बाद उपस्थित लोगों को संबोधित कर रहे थे। 'श्यामोली' शांतिनिकेतन में 1935 में बनाया गया एक मिट्टी का घर है। इस घर का अभी हाल में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग ने नवीनीकरण किया है और यह वर्तमान में विश्व भारती की संपत्ति है।



उपराष्ट्रपति ने कहा कि टैगोर एक सबसे बड़ी साहित्यिक हस्ती रहे हैं और आज भी हैं। वे भारत और विशेष कर बंगाल के लिए वे एक बड़े संस्थान के समान हैं जो दुनिया के लिए भारत की आध्यात्मिक विरासत के प्रतिनिधि की वाणी थे। वे वास्तव में भारत का अभिमान और गौरव हैं।


उपराष्ट्रपति ने कहा कि शांति निकेतन में रवीन्द्रनाथ टैगोर के शिक्षा के स्थान का दृष्टिकोण समाविष्ट है। जो धार्मिक और क्षेत्रीय बाधाओं से अप्रभावित रहता है। उन्होंने कहा कि शांति निकेतन को टैगार ने मानवता अंतर्राष्ट्रीय वाद और सतत विकास के सिद्धांतों के अनुरूप ढाला था। उन्होंने ग्रामीण पुन र्निर्माण में मदद करने तथा ग्रामीण जीवन की चुनौतियों के बारे में छात्रों को जागरूक करने के प्रयास के रूप में संथाल आदिवासी समाज के आसपास के गांवों के साथ स्कूल के संबंधों का विस्तार करने के लिए रवीन्द्र नाथ टैगोर के प्रयासों की सराहना की।


नायडू ने यह उल्लेख कि टैगोर हमारी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण, पोषण और प्रचार के मूल्य में बहुत विश्वास रखते थे। यह हमारा कर्तव्य और जिम्मदारी है हम एक-एक स्मारक और एक-एक कलाकृति का संरक्षण करें और उसे अगली पीढ़ी तक ले जाएं ताकि वे भारत के गौरवशाली इतिहास की पूरी समझ-बूझ के साथ बड़े हों।


भारत की समृद्ध स्थानीय वास्तुकला के बारे में उपराष्ट्रपति ने कहा कि ये वास्तु शिल्पीय रत्न भविष्य के वास्तुकारों और भवन निर्माताओं के लिए एक विशेष मॉडल के रूप में काम करेंगे। इसलिए जहां भी आवश्यक हो इन्हें संरक्षित किया जाना चाहिए। उन्होंने 'श्यामोली' के महान नवीनीकरण कार्य के लिए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की सराहना की।


उन्होंने कहा कि इस विरासत घर को राष्ट्र को समर्पित करने से सभी को समृद्ध इतिहास उपलब्ध होगा। यह उनके प्रति सबसे अच्छी श्रृद्धांजलि है। जो देश के इस अमर कवि को अर्पित की जा सकती है। जिनका ज्ञान और बुद्धि के लोकतंत्रीकरण में हमेशा विश्वास रहा है। उन्होंने उम्मीद जाहिर की कि'श्यामोली' छात्रों और ज्ञान की इच्छा रखने वालों के लिए एक धाम साबित होगा।


पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीश धनखड़, पश्चिम बंगाल के मत्स्य पालन विभाग मंत्री ब्रत्य बसु, विश्व भारती के कुलपति विद्युत चक्रवर्ती और अन्य गणमान्य व्यक्ति भी इस अवसर पर उपस्थित थे।