शुक्रवार, 30 अगस्त 2019

वन गतिविधियों के संवर्धन एवं संरक्षण के लिए राजस्थान को मिला 1748 करोड रुपए का फंड : वन एवं पर्यावरण राज्य मंत्री

संवाददाता : जयपुर राजस्थान 


       नई दिल्ली के इंदिरा पर्यावरण भवन में गुरुवार को आयोजित राज्यों के वन मंत्रियों की बैठक के दौरान केंद्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्री श्री प्रकाश जावड़ेकर ने राजस्थान में वनों के संरक्षण, संवर्धन और उनके विस्तारके लिए प्रतीकरात्मक वन रोपण निधि (केम्पा) के तहत 1778 करोड रुपए के फंड का चेक राजस्थान के वन एवं पर्यावरण राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) सुखराम विश्नोई को प्रदान किया। 

 

इस अवसर पर विश्नोई ने कहा कि राजस्थान में वनों के संवर्धन और संरक्षण के लिए राज्य सरकार कई स्तरों पर लगातार कार्य कर रही है इस दिशा में केंद्र सरकार से मिले इस सहयोग से राज्य में चल रही वनों के संरक्षण और क्षतिपूर्ति वृक्षारोपण से संबंधित योजनाओं को गति देने में मदद मिलेगी। 

 


 

बैठक में राज्य का पक्ष रखते हुए बिश्नोई ने मांग रखी कि, राजस्थान का कल्पवृक्ष माने वाले खेजड़ी के पेड़ के संरक्षण और विकास के लिए केंद्र सरकार अतिरिक्त मदद प्रदान करें , ताकि राजस्थान की जलवायु और जरूरतों के अनुसार सर्वाधिक उपयोगी इस पेड़ को बचाया जा सके तथा इसके के विस्तार के लिए संबंधित किसानों को मदद पहुंचाई जा सके बढ़ावा।

 

विश्नोई ने केंद्रीय मंत्री से आग्रह किया कि प्रतीकरात्मक वन रोपण निधि नियम 2018 के नियम 5 के उप नियम 3(जे) के प्रावधान में आंशिक संशोधन किया जाए ताकि राज्य का हरित आवरण 20 प्रतिशत तक करने के उद्देश्य को प्राप्त करने में मदद मिल सके। उन्होंने कहा कि इस नियम के तहत राज्य सरकार द्वारा संवर्धित राजकीय भूमि पर वनों के बाहर वृक्षों को बढ़ावा दिए जाने के उद्देश्य से अनुदानित मूल्य पर रोपण सामग्री का उत्पादन और वितरण करने का प्रावधान है। इस प्रावधान में छूट देने का प्रस्ताव रखते हुए विश्नोई ने कहा कि राजकीय भूमि के अलावा सामुदायिक और निजी स्वामित्व वाली भूमियों पर भी वनीकरण के लिए वन पौधशालाओं से पौध वितरण कार्य अनुदानित दर पर किया जाने की स्वीकृति दी जानी चाहिए। ताकि वनीकरण के लक्ष्यों को प्राप्त किया जा सके।

 

इस अवसर पर वन मंत्री विश्नोई ने बताया कि राजस्थान में कैंपा के अंतर्गत क्षतिपूर्ति वृक्षारोपण, वनों के संवर्धन संबंधी कार्य, वन एवं वृक्षारोपण का संरक्षण, वनों में कीट एवं रोग नियंत्रण, वनों में अग्निशमन सुरक्षा के कार्य एवं वनों में मृदा जल संरक्षण के कायोर्ं के साथ-साथ वन्यजीव प्रबंधन पर्यावास सुधार के कार्य लगातार किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि राजस्थान की भौगोलिक परिस्थितियों और जल की कमी को ध्यान में रखते हुए वनों के विस्तार उनके संरक्षण तथा उनको पानी की उपलब्धता सुनिश्चित करवाने हेतु केंद्र सरकार को राजस्थान के लिए अतिरिक्त मदद प्रदान करनी चाहिए।