शुक्रवार, 9 अगस्त 2019

विद्यार्थियों के बौद्धिक विकास के साथ शारीरिक विकास पर भी ध्यान दें शिक्षण संस्थान...

प्रजा दत्त डबराल @ भोपाल मध्यप्रदेश


        उप राष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने कहा है कि देश के शैक्षणिक संस्थान बौद्धिक विकास के साथ विद्यार्थियों के शारीरिक विकास पर भी ध्यान दें। उन्हें तकनीकी शिक्षा के साथ शारीरिक शिक्षा और योग की शिक्षा भी दी जाये। उन्होंने कहा कि‍ शिक्षा से मनुष्य सभ्य, सुसंस्कृत और संस्कारित होता है। शिक्षा का उद्देश्य परिवार, समाज और देश की सेवा करना है। शिक्षा से मनुष्य देश का जिम्मेदार नागरिक बनता है। उप राष्ट्रपति नायडू ने वैष्णव विद्यापीठ विश्वविद्यालय, इंदौर के द्वितीय दीक्षान्त समारोह में विद्यार्थियों और शिक्षकों को सम्बोधित करते हुए यह बात कही।



नायडू ने कहा कि शिक्षा, अस्पताल और राजनीति समाज सेवा के क्षेत्र हैं। समाज सेवा सभी धर्मों का सार है। वैष्णव सहायक ट्रस्ट पिछले 135 साल से स्कूल, कॉलेज, अस्पताल, तकनीकी शिक्षा के माध्यम से नो-प्रॉफिट-नो लॉस के फॉर्मूले पर काम करते हुए सराहनीय कार्य कर रहा है।


भारतीय संस्कृति में 'सर्वे भवन्तु सुखिन की शिक्षा


उप राष्ट्रपति नायडू ने कहा कि भारतीय संस्कृति में 'सर्वे भवन्तु सुखिन, सर्वे सन्तु निरामया, सर्वे भद्राणि पश्यन्तु, मा कश्चित् दुखभाग् भवेत' की परिकल्पना की गई है। भारतीय संस्कृति हमें एक साथ जीने, एक साथ खाने और एक साथ रहने की शिक्षा देती है। हजारों साल पहले आचार्य चाणक्य ने कहा था 'अयम् निज: परावेति, गणना लघुचेतसाम्, उदारचरितानाम् तु वसुधैव कुटुम्बकम्।' उन्होंने उस युग में सम्पूर्ण धरती को परिवार माना था। आचार्य चाणक्य दुनिया के प्रथम अर्थशास्त्री थे, जिन्होंने कर प्रणाली की शुरुआत की।


प्राचीन काल में भारत था विश्वगुरु


उन्होंने कहा कि प्राचीन काल में भारत विश्व गुरु था। नालंदा और तक्षशिला जैसे विश्वविद्यालय थे, जहां दस हजार से अधिक विद्यार्थी पढ़ते थे। प्राचीन भारत में सुश्रुत, धनवन्तरि, भास्कराचार्य और वराहमिहिर जैसे मूर्धन्य विद्वान हुए हैं। आचार्य सुश्रुत ने दुनिया को पहली बार सामान्य सर्जरी और प्लास्टिक सर्जरी की प्रक्रिया बतायी। मध्य युग में हमारा देश मुगलों और अग्रेजों का गुलाम हो गया। उन्होंने इस देश को लूटा और धोखा दिया, जिसके कारण हम पिछड़ गये। अब हम उदारीकरण, निजीकरण, स्टैण्डअप और स्टार्टअप के जरिये भारत को विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थ-व्यवस्था बनाना चाहते हैं। भारत में इंदिरा नुई और सुंदर पिचाई जैसे असाधारण प्रबंधक हैं।


योग से शरीर और मन स्वस्थ


उप राष्ट्रपति ने कहा कि चिली और ग्वाटेमाला में योग को अनिवार्य शिक्षा घोषित किया गया है। उन्होंने बताया कि योग कोई राजनैतिक या धार्मिक कार्यक्रम नहीं है। योग से शरीर और मन स्वस्थ रहता है। आज के इस युग में पर्यावरण सुधार सबसे बड़ी चुनौती है। वृक्षारोपण और पशुओं की रक्षा के क्षेत्र में काम करने की जरूरत है। देश की बढ़ती हुई आबादी को देखते हुए जल संरक्षण और जल संवर्धन जरूरी है। मनुष्य एयर कंडिशन के बजाय प्राकृतिक वातावरण में ज्यादा स्वस्थ रहेगा। स्वस्थ शरीर में ही स्वस्‍थ मन रहता है।


शीघ्र ही फिर विश्व गुरू बनेगा भारत- राज्यपाल


राज्यपाल लालजी टण्डन ने कहा कि भारत का इतिहास गौरवमयी रहा है। भारत विश्वगुरु रहा है और शीघ्र ही फिर विश्वगुरु बनेगा। भारत के महर्षियों ने जीरो की खोज की, जिसके आधार आज कम्प्यूटर और इंटरनेट प्रणाली चल रही है। प्राचीन भारत में सर्जरी, अर्थशास्त्र और  कर प्रणाली आदि की खोज पहले ही हो चुकी है।


इस अवसर पर पूर्व लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने कहा कि वैष्णव सहायक ट्रस्ट नामक समाजसेवी संस्था आज अनेक स्कूल, अस्पताल, महाविद्यालय और विश्वविद्यालय 135 साल से सफलतापूर्वक चला रही है। यह अनुकरणीय कदम है।


लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री तुलसीराम सिलावट ने कहा कि शिक्षा का उद्देश्य नवाचार होना चाहिये। कोई भी राष्ट्र शिक्षा के बिना उन्नति नहीं कर सकता। आज जो विद्यार्थी इस विश्वविद्यालय से निकल रहे हैं, वे अब जीवन की नई शुरूआत करेंगे। परिवर्तन प्रकृति का नियम है। तकनीकी क्षेत्र में उन्नयन से ही भारत एक महाशक्ति बन सकता है। उच्च शिक्षा मंत्री श्री जीतू पटवारी ने कहा कि विद्यार्थी देश के भविष्य हैं। अच्छी शिक्षा मनुष्य को बेहतर इंसान बना सकती है, मगर शिक्षा रोजगारोन्मुखी होना चाहिये। शिक्षा का उद्देश्य विद्यार्थियों को अच्छे संस्कार देना है, समाज को जोड़ना है।


इस अवसर पर उप राष्ट्रपति नायडू ने विद्यार्थियों को तकनीकी और पारम्परिक पाठ्यक्रमों में सर्वोच्च स्थान पाने पर गोल्ड मेडल प्रदान किया।


वैष्णव विद्यापीठ विश्वविद्यालय के कुलपति पुरुषोत्तम दास पसारी एवं उप कुलपति डॉ. उपिंदर धर ने भी संबोधित किया।