संवाददाता : जयपुर राजस्थान
उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश जस्टिस दीपक गुप्ता ने कहा है कि पारिवारिक माहौल ही बच्चे के सर्वांगीण विकास के लिए सर्वोत्तम होता है और संस्थाओं में रखकर बच्चों को पालने का विकल्प अंतिम होना चाहिए। जस्टिस गुप्ता राजस्थान राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, जयपुर की ओर से शनिवार किशोर न्याय (बच्चों की देख-रेख एवं संरक्षण ) अधिनियम के प्रभावी क्रियान्वयन के उद्देश्य से आयोजित राज्य स्तरीय विचार-विमर्श संगोष्ठी को मुख्य अतिथि के तौर पर सम्बोधित कर रहे थे।
जस्टिस दीपक गुप्ता ने कहा कि बच्चों के प्रति संवेदनशील होने व संवेदनशील नजरिया अपनाने की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा कि पारिवारिक माहौल ही बच्चे के सर्वांगीण विकास के लिए सर्वोत्तम होता है और संस्थाओं में बच्चों को रखकर पालने का विकल्प अंतिम होना चाहिए। उन्होंने कहा कि परिजनों के साथ रहने से बच्चों का आत्मविश्वास बना रहता है और वे जड़ों से जुड़े रहते हैं। उन्होंने कहा कि बाल विकास और बाल कल्याण के कार्य से जुड़े सभी लोगों को अपने कर्तव्यों का सजगता पूर्वक निर्वहन करना चाहिए। उन्होंने प्रतिभागियों को बताया कि किस प्रकार उन्होंने वर्ष 1984 में ही दो बच्चों के संरक्षण की जिम्मेदारी संभाली और इस तरह की छोटी-छोटी पहल बच्चों के जीवन में बहुत बड़ा सकारात्मक बदलाव ला सकती हैं।
जस्टिस संदीप मेहता ने जुवेनाइल जस्टिस कमेटी, राजस्थान उच्च न्यायालय द्वारा किए गए कार्यों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि राजस्थान पहला ऎसा राज्य है जहां 34 पूर्णकालिक मजिस्ट्रेट, किशोर न्याय बोर्ड की नियुक्ति प्रक्रियारत है। उन्होंने कहा कि राज्य में संचालित सभी गृहों में निरंतर सुधार की प्रक्रिया जारी है और सभी सात संभागीय मुख्यालयों पर कौशल विकास केन्द्रों की स्थापना का भी प्रस्ताव है।
यूनीसेफ की चीफ ऑफ फील्ड इजाबेल बार्डम ने किशोर न्याय अधिनियम के क्रियान्वयन के लिए समिति द्वारा किए गए कार्यों की प्रशंसा की और बच्चों के कौशल विकास के लिए प्रयास किए जाने पर जोर दिया।
अतिरिक्त मुख्य सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य रोहित कुमार सिंह ने कहा कि बच्चों के साथ अपनेपन और संवेदनशीलता से कार्य करने की आवश्यकता होती है। बच्चों के विकास में मानसिक स्वास्थ्य की अहम भूमिका होती है और इसके लिए उन्हें निरंतर काउंसिलिंग की भी जरूरत होती है।
जस्टिस सबीना ने कहा कि संस्थागत देखरेख में रह रहे बच्चों को वह उपयुक्त संरक्षण व स्नेह मिलना ही चाहिए, जिसके वे वास्तव में हकदार हैं। बच्चे जीवन में अच्छा प्रदर्शन कर सकें, इसके लिए उनका समय-समय पर मार्गदर्शन भी किया जाना चाहिए।
इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायाधीश जस्टिस एम.एम. भंडारी ने किशोर न्याय के संबंध में राजस्थान में हो रहे कार्यों की प्रशंसा की। उन्होंने संस्थागत देख-रेख में रह रहे बच्चों को दत्तक देने और उनका भरण-पोषण स्पॉन्सर करने जैसे प्रयासों को तेज करने पर विशेष बल दिया।
कार्यक्रम की शुरुआत में जस्टिस इंद्रजीत सिंह ने सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस दीपक गुप्ता सहित अतिथियों का स्वागत किया।जस्टिस दीपक गुप्ता ने आवासी बच्चों द्वारा बनाई गई कलाकृतियों और पेंटिंग्स की प्रदर्शनी का उदघाटन भी किया।
इस कार्यक्रम में प्रदेश भर के विभिन्न स्टेकहोल्डर्स, राज्य सरकार के विभिन्न विभागों के प्रमुख शासन सचिव, जिला एवं सेशन न्यायाधीशगण, जिला कलक्टर्स, स्वयंसेवी संगठनों के प्रतिनिध, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिवगण, महिला एवं बाल विकास तथा सामाजिक अधिकारिता विभाग के प्रदेशभर से आए अधिकारी सम्मिलित हुए।