संवाददाता: नई दिल्ली
केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्री राम विलास पासवान ने राज्यों के खाद्य, नागरिक आपूर्ति और उपभोक्ता मामलों के मंत्रियों, सचिवों और अन्य अधिकारियों के साथ पांचवीं राष्ट्रीय परामर्श बैठक का आयोजन किया। इस बैठक की अध्यक्षता करते हुए पासवान ने मंत्रालय की विभिन्न नई पहलों के बारे में अपने सुझाव देने के लिए सभी प्रतिभागियों के साथ खुलकर बातचीत की और उनकी चिंताओं को समझा तथा उन्हें दूर करने के बारे में जानकारी दी। छत्तीसगढ़, झारखंड, कर्नाटक, केरल, मणिपुर, ओडिशा, राजस्थान, तमिलनाडु, त्रिपुरा के उपभोक्ता राज्य के मंत्रियों के साथ उपभोक्ता सशक्तिकरण, संरक्षण और कल्याण, राशनकार्डों की राष्ट्रीय पोर्टेबिलिटी, उचित मूल्य की दुकानों के स्वचालन, आधार सीडिंग आदि पर व्यापक चर्चा हुई।
परामर्श बैठक के बाद मीडिया केा संबोधित करते हुए पासवान ने राज्य सरकारों की ऐसे आयोजनों में व्यापक रूप से भागीदारी और सरकार की अनेक महत्वपूर्ण पहलों को लागू करने के बारे में विचार-विमर्श करने पर प्रसन्नता जाहिर की। उन्होंने राज्य सरकारों से मूल्यों में तेजी रोकने और मूल्यों पर दबाव कम करने के लिए संबंधित राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में खुदरा ब्रिकी के लिए केंद्रीय सुरक्षित भंडार से दालों और प्याजों की खरीददारी करने के लिए कहा। उन्होंने प्रत्येक राज्य में मूल्य स्थिरीकरण निधि के सृजन की जरूरत पर भी जोर दिया , ताकि स्वयं राज्य स्तर पर ही मूल्य बढ़ोतरी से प्रभावी रूप से निपटा जा सके।
पासवान ने कृषि क्षेत्र में निवेश को बढ़ावा देने के लिए आवश्यक वस्तु अधिनियम को सरल बनाने तथा सरकार की कारोबार को आसान बनाने की नीति को अधिक तर्कसंगत बनाने के लिए दंडात्मक प्रावधानों के बारे में राज्य सरकारों से विवरण देने के लिए कहा। उन्होंने बताया कि अब सभी राज्य एनएफएसए के तहत आते हैं, जबकि 2014 में केवल 11 राज्य इसके तहत थे। उन्होंने राइस फोर्टिफिकेशन योजना और राशन कार्डों की प्रोर्टेबिलिटी के बारे में बड़े पैमाने पर राज्यों की भागीदारी की जरूरत पर जोर दिया। उन्होंने जम्मू कश्मीर के अधिकारियों से एनएफएसए के तहत अपनी जरूरतें बताने के लिए कहा ताकि आवश्यक खाद्यन्न का सर्दियां शुरू होने से पहले ही स्टॉक किया जा सके।
केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण राज्य मंत्री रावसाहेब पाटील दानवे ने कहा कि सार्वजनिक वितरण प्रणाली के डिजिटलीकरण को प्रभावी और समयबद्ध कार्यान्वयन की जरूरत है। उन्होंने राज्य सरकारों से उनके सामने आ रहे मुद्दों के साथ आगे आने के लिए कहा ताकि उनका समाधान खोजने के बारे में विचार-विमर्श किया जा सके। उपभोक्ताओं के सशक्तिकरण और संरक्षण में केंद्र और राज्य सरकार दोनों की संयुक्त जिम्मेदारी है, जिसे दोनों के बीच अच्छे तालमेल से प्राप्त किया जा सकता है। बैठक में अगले वर्ष की कार्ययोजना भी अपनाई गई।