संदीप शर्मा @ देहरादून उत्तराखंड
देश भर में हिंदू धर्म की महिलाएं जहां धूमधाम से करवा चौथ का व्रत रखती हैं तो वहीं उत्तराखंड के रुड़की में त्यागी समाज के एक गोत्र विशेष (बिकवान भारद्वाज) के करीब 500 परिवारों में यह व्रत नहीं रखा जाता है। खास बात यह है कि ये परंपरा हाल फिलहाल से नहीं बल्कि 300 वर्षों से चली आ रही है।
त्यागी कल्याण एवं विकास समिति रुड़की के कोषाध्यक्ष प्रदीप त्यागी ने बताया कि उत्तराखंड उत्तरप्रदेश के बॉर्डर पर स्थित त्यागी समाज के बाहुल्य वाले खाई खेड़ी, घुमावटी, फलौदा, बरला, छपार, खुड्डा, कुतुबपुर, भैसानी समेत 12 गांवों में 300 वर्षों से करवाचौथ का व्रत नहीं रखा जाता। इन गांवों से भारद्वाज बीकवान गोत्र के करीब 500 परिवार रुड़की शहर में आकर बसे हैं।
करीब 300 वर्ष पहले तीज तिथि को बिकवान भारद्वाज गोत्र के युवक की हरियाणा से शादी कर लौटते वक्त सहारनपुर जनपद के जड़ौदा पांडा गांव में सांप के डसने से मृत्यु हो गई थी। पति वियोग में नवविवाहिता दुल्हन की भी मृत्यु हो गई।इसके बाद उसी स्थान पर दोनों का मंदिर बनाया गया। तभी से इस घटना के शोक में त्यागी समाज के भारद्वाज बिकवान गोत्र की महिलाएं करवाचौथ का व्रत नहीं रखतीं। इस गोत्र के युवकों की शादी के बाद नवविवाहिता अपने पति और परिजनों के साथ जड़ौदा पांडा जाकर उस मंदिर में साड़ी व जोड़ा अर्पण कर पति की लंबी उम्र एवं सलामती की प्रार्थना करती हैं।