मंगलवार, 12 नवंबर 2019

केन्द्रीय एवं राज्य सांख्यिकीय संगठनों के 27वें सम्मेलन का उद्घाटन कोलकाता में...

संवाददाता : नई दिल्ली 


      राष्ट्रीय सांख्यिकी आयोग के अध्यक्ष प्रो. बिमल के. रॉय ने आज 11 नवंबर, 2019 को भारत के मुख्य सांख्यिकीविद एवं भारत सरकार के सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय में सचिव प्रवीण श्रीवास्तव की उपस्थिति में पश्चिम बंगाल के कोलकाता में केन्द्रीय एवं राज्य सांख्यिकीय संगठनों के 27वें सम्मेलन का उद्घाटन किया। इस अवसर पर राष्ट्रीय सांख्यिकी आयोग के सदस्य डॉ. जी. सी. मन्ना, राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय के महानिदेशक विजय कुमार और राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय के महानिदेशक टी. के. सन्याल भी इस अवसर पर उपस्थित थे। केन्द्र सरकार के मंत्रालयों, राज्य सरकारों, अंतर्राष्ट्रीय एजेंसियों, अकादमिक संस्थानों, कॉरपोरेट सेक्टर, सामुदायिक संगठनों के प्रतिनिधि के साथ-साथ अन्य हितधारकों ने भी इस सम्मेलन में भाग लिया। 



प्रो. बी. के. रॉय ने अपने उद्घाटन भाषण में कहा कि सीओसीएसएसओ सांख्यिकीय हित के मुद्दों पर विचार-विमर्श करने के लिए सभी हितधारकों को एकजुट करने का एक महत्वपूर्ण प्लेटफॉर्म है। उन्होंने तकनीकी क्षेत्र में हो रही प्रगति के साथ-साथ विभिन्न बदलावों को भी ध्यान में रखते हुए प्रोफेशनल सांख्यिकीविदों की तेजी से बदलती भूमिका पर भी प्रकाश डाला। दरअसल इन बदलावों की बदौलत अंततः समाज में खुशहाली आती है।


प्रवीण श्रीवास्तव ने अपने संबोधन में कहा कि इस वर्ष के सम्मेलन की थीम का चयन ऐसे समय में पूरी तरह सोच-समझ कर किया गया है जब सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय सतत विकास लक्ष्यों के लिए एक सुदृढ़ निगरानी प्रणाली की स्थापना के लिए अनेक कदम उठा रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि एसडीजी की प्राप्ति देश की प्रतिबद्धता है, ताकि कोई भी इस मामले में पीछे न रह जाए। उन्होंने राष्ट्रीय स्तर पर निगरानी संकेतकों के लिए सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय द्वारा विकसित राष्ट्रीय संकेतक फ्रेमवर्क की तर्ज पर राज्य/केन्द्र शासित प्रदेश के स्तर पर भी एसडीजी के लिए राज्य संकेतक फ्रेमवर्कों को विकसित करने की आवश्यकता पर बल दिया।


इसके अलावा विभिन्न राज्य/केन्द्र शासित प्रदेश, आर्थिक एवं सांख्यिकी निदेशालय भी इससे संबंधित अपने अनुभवों को साझा करेंगे। इस सत्र के दौरान सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय की नई पहलों जैसे अनेक महत्वपूर्ण सांख्यिकीय मुद्दों, इस क्षेत्र में सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करने, वास्तविक समय पर एसडीजी की निगरानी के लिए प्रौद्योगिकी की भूमिका, डेटा संबंधी चुनौतियों एवं एसडीजी के लिए राष्ट्रीय संकेतक फ्रेमवर्क और राज्य संकेतक फ्रेमवर्क में सामंजस्य सुनिश्चित करने, इत्यादि पर बारीकी से गौर किया जाएगा।


सम्मेलन के दौरान विस्तार से विचार-विमर्श किए जाने से राज्य सरकारों को एनआईएफ की तर्ज पर अपने राज्य संकेतक फ्रेमवर्कों को विकसित करने में मदद मिलेगी और इससे देश की सांख्यिकीय प्रणाली सुदृढ़ होगी।