संवाददाता : नई दिल्ली
केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री तथा कपड़ा मंत्री स्मृति ज़ुबिन इरानी ने कहा कि उनका मंत्रालय, नीति आयोग तथा स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय एकीकृत बाल सेवा कार्यक्रम (आईसीडीएस) को मजबूत बनाने के उपायों पर विचार कर रहे हैं ताकि लक्षित बच्चों को लाभ मिले। उन्होंने कहा कि कुपोषण केवल समाज के गरीब वर्ग की महिलाओं और बच्चों तक सीमित नहीं है, शहरी इलाकों में संपन्न परिवारों के बच्चे भी कुपोषण के शिकार हैं। उन्होंने कहा कि उचित पोष्टिकता बच्चों, गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली महिलाओं के पौष्टिक खाद्य के चयन पर निर्भर करता है। महिला और बाल विकास मंत्री ने बताया कि 2006 और 2016 के बीच पौष्टिकता के स्तर में 40 प्रतिशत का सुधार हुआ है।
नीति आयोग के सीईओ श्री अमिताभ कांत ने कहा कि कुपोषण एक बड़ी चुनौती है और 8-9 प्रतिशत वार्षिक विकास के लिए कुपोषण से सफलतापूर्वक निपटना होगा। उन्होंने कहा कि पोषण अभियान केवल एक सरकारी कार्यक्रम के तौर पर नहीं चलाया जा सकता। इसे पंचायती राज संस्थानों तथा स्वयं सहायता समूहों को शामिल कर जन आंदोलन बनाना होगा। उन्होंने कहा कि फील्ड स्तर पर तालमेल का अभाव है और इसे क्षमता सृजन, टेक्नोलॉजी का लाभ उठाकर तथा योजनाओं की रियल टाइम निगरानी से निपटा ठीक किया जा सकता है।
कार्यशाला को विश्व खाद्य कार्यक्रम, कंट्री डायरेक्टर विशोव पराजूली ने भी संबोधित किया। दो दिन की कार्यशाला का आयोजन महिला और बाल विकास मंत्रालय तथा ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन द्वारा किया गया।