शनिवार, 16 नवंबर 2019

पोटाश की खोज और दोहन में राजस्थान देश में अग्रणी राज्य...

संवाददाता : जयपुर राजस्थान 


      नई दिल्ली के बीकानेर हाउस में मुख्य सचिव डी बी गुप्ता की अध्यक्षता में हितधारकों की पहली परामर्श बैठक आयोजित की गई जिसमें राजस्थान के खान सचिव, डीएमजी राजस्थान,एम.डी.आर.एस.एम.एम.एल, सी.एम.डी, एम.ई.सी.एल, जीएसआई तथा विभिन्न सी.पी.एस.ई, कारपोरेट और कंसलटेंसी कंपनियों के वरिष्ठ प्रतिनिधियों सहित टाटा केमिकल्स, एफ.सी.आई, इफको, एच.जेड.एल और एफ.ए.जी.एम.आई.एल. आदि के प्रतिनिधि शामिल थे।

 


 

इस महत्वपूर्ण बैठक में सभी हित धारकों ने राजस्थान राज्य के उत्तर पश्चिम भाग में मौजूद पोटाश सहित नमक के दोहन में गहरी दिलचस्पी दिखाई। इस मीटिंग के दौरान हितधारकों ने मुख्य सचिव से अनुरोध किया कि हितधारकों को पहले ही परमिट प्रदान कर दिये जाए लेकिन उन्हें स्पष्ट किया गया कि 6 से 9 महीने में एमईसीएल द्वारा व्यवहारिकता अध्ययन पूरा करने पर एमएमडीआर अधिनियम और नियमों के अनुसार समग्र लाइसेंस और खनन पट्टे नीलामी मार्गो की प्रक्रिया से ब्लॉक आवंटित किए जाएंगे।

 

बैठक में डीएमजी, जीएसआई और एमईसीएल ने पोटाश और नमक के भंडार के दोहन से संबंधित विभिन्न तकनीकी पहलुओं पर विस्तृत प्रस्तुति दी।

 

उन्होंने कहा कि राजस्थान में पोटाश के भंडार के विकास और दोहन को देखने से पता चलता है कि उसमें पोटाश के निर्यात परिदृश्य को बदलने की क्षमता है। मुख्य सचिव ने बताया कि वर्तमान में भारत द्वारा आवश्यक संपूर्ण पोटाश आयातित आपूर्ति पर आधारित है। विदेशी मुद्रा पर भारी व्यय के अलावा केंद्र सरकार सब्सिडी पर 10,000-15,000 करोड़ रुपये प्रति वर्ष की दर से सब्सिडी पर एक बड़ा भाग खर्च करती है। इस मुद्दे को हल करने और पोटाश की स्वदेशी सॉल्यूशन माइनिंग  तकनीक उत्पन्न करने की दृष्टि से राजस्थान सरकार ने देश की पोटाश आवश्यकताओं के संबंध में एक आत्मनिर्भरता के स्तर तक पहुँचने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया है।

 

उन्होंने कहा कि भूगर्भीय अध्ययन के अनुसार, राजस्थान के नागोर-गंगानगर बेसिन में श्रीगंगानगर, हनुमानगढ़ और बीकानेर जिलों के कुछ हिस्सों में लगभग 2400 मिलियन टन पोटाश के भंडार हैं।

 

डी.बी. गुप्ता ने कहा कि पिछले कुछ दशकों में भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण द्वारा की जा रही जांच के आधार पर राजस्थान सरकार ने विशेष रूप से पश्चिमी राजस्थान में पोटाश भंडार का दोहन करने के लिए एक राज्य स्तरीय उच्चाधिकार समिति का गठन किया है। राजस्थान सरकार ने एमईसीएल को विस्तृत व्यवहार्यता रिपोर्ट के लिए एक कार्यक्रम प्रबंधक के रूप में नियुक्त किया है। 

 

सचिव, खान और पेट्रोलियम, दिनेश कुमार ने हितधारकों से कहा कि राजस्थान का खान विभाग इस मुद्दे को सर्वोच्च प्राथमिकता दे रहा है और सरकार समयबद्ध कार्यान्वयन के लिए प्रतिबद्ध है।

 

उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने पिछले दिनों खान एवं भूविज्ञान विभाग को राजस्थान में संभावित पोटाश के जमा भंडारों के अन्वेषण और व्यवहार्यता अध्ययन और नीलामी प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए निर्देश दिए थे। ताकि इस प्रमुख उर्वरक तत्व में राजस्थान सहित देश आत्मनिर्भर बन सकें वहीं दूसरी तरफ राज्य के युवाओं के लिए रोजगार के नए अवसर पैदा हो सकें और उद्यमशीलता के नवीन अवसरों के निर्माण की दिशा में हम आगे बढ़ सके।