मंगलवार, 17 दिसंबर 2019

बाघ फिर बने मध्यप्रदेश की आन, बान, शान - उमंग सिंघार...

संवाददाता : भोपाल मध्यप्रदेश


      टाइगर्स-डे पर मुख्यमंत्री कमल नाथ ने देश में बाघ गणना में मध्यप्रदेश को सर्वोच्च स्थान दिये जाने पर कहा 'बाघ हैं मध्यप्रदेश की आन-बान और शान''। मुख्यमंत्री का कथन हर प्रदेशवासी को गौरव से भर देता है। बाघ संख्या में देश में शिखर स्थान मिलने से मध्यप्रदेश की विश्व के वन्य-प्राणी क्षेत्र में महत्वपूर्ण पहचान स्थापित हुई है। वन्य-प्राणियों में सर्वाधिक आकर्षण का केन्द्र, बाघ परिवार में रहने वाला प्राणी नहीं है। बाघ शावक बड़े होते ही अपनी नई टेरिटरी बनाते हैं। अक्सर देखा जाता है कि वर्चस्व की लड़ाई में कमजोर नर बाघ या तो पलायन कर जाता है या मारा जाता है।



स्टेपिंग स्टोन्स फॉर टाइगर


बाघों की बढ़ती आबादी को बचाने के लिये मध्यप्रदेश में स्टेपिंग स्टोन्स फॉर टाइगर कांसेप्ट पर काम किया जा रहा है। इस योजना में हम धार, बुरहानपुर, हरदा, इंदौर, नरसिंहपुर, सागर, सीहोर, श्योपुर, मण्डला और ओंकारेश्वर में अभयारण्य विकसित कर बाघों के लिये सुरक्षित कॉरिडोर बना रहे हैं। ये अभयारण्य दो जंगलों के बीच ऐसे स्थान पर विकसित किये जाएंगे, जहाँ हरियाली और गाँव नहीं हैं और जैव-विविधता विकास की संभावनाएँ हैं। इससे बाघों के लिये क्षेत्र की वृद्धि होने के साथ ही हरियाली बढ़ने से भू-जल स्तर में वृद्धि होगी, इलाका उपजाऊ बनेगा, चारा मिलने से शाकाहारी पशुओं की संख्या बढ़ेगी। बाघों को सुरक्षित कॉरिडोर मिलने से मानव-प्राणी द्वंद भी रुकेगा।


20 वर्षीय सिंह परियोजना तैयार


सर्वोच्च न्यायालय द्वारा अप्रैल-2013 में दिये गए निर्देशानुसार हमने श्योपुर जिले के कूनो राष्ट्रीय पार्क में सिंहों के स्वागत की पूरी तैयारी कर ली है। विभाग का प्रभार लेने के साथ ही मैंने गुजरात के गिर से कूनो सिंह ट्रांसलोकेशन के प्रयास आरंभ कर दिये थे। केन्द्र शासन से इस संबंध में सम्पर्क जारी है। गिर एशियाटिक लॉयन केवल गुजरात के गिर में बचे हैं। खुदा न खास्ता यदि कभी कोई महामारी होती है, तो इनका अस्तित्व ही समाप्त हो जाएगा। मेरा ही नहीं, विश्व के पर्यावरण और वन्य-प्राणीविद का मानना है कि ऐसे में इन्हें विलुप्ति से बचाने के लिये इनका किसी दूसरी जगह रहवास होना भी बहुत जरूरी है। केन्द्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्रालय की पहल पर वन्य-जीव संस्थान, देहरादून द्वारा एशियाई सिंहों के द्वितीय वैकल्पिक आवास के रूप में देश में कराये गए सर्वेक्षण में सर्वश्रेष्ठ विकल्प के रूप में कूनो राष्ट्रीय उद्यान को चुना गया है। यहाँ सिंह परियोजना के नाम से 20 वर्षीय परियोजना भी तैयार कर ली गई है।


पर्यटन बढ़ाने राज्य-स्तरीय समिति


मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में 19 अगस्त, 2019 को हुई बैठक के परिप्रेक्ष्य में वन्य-जीव क्षेत्रों में पर्यटन बढ़ाने और ठोस रणनीति तैयार करने के लिये राज्य-स्तरीय समिति बनाई गई है। प्रदेश के राष्ट्रीय उद्यानों और अभयारण्य में हर साल 20 लाख पर्यटक आते हैं, जिनमें एक बड़ा भाग विदेशी पर्यटकों का है।


वनोपज व्यापार को प्रोत्साहन


वनोपज व्यापार को प्रोत्साहन देने के लिये वन उपज के पुन: विक्रय करने पर हस्तांतरण शुल्क प्रति आवेदन 500 रुपये निर्धारित किया गया है। पूर्व में आवेदन-पत्र प्राप्त होने पर क्रेता से विक्रय मूल्य की 3 प्रतिशत राशि हस्तांतरण शुल्क के रूप में लिये जाने का प्रावधान था।


महावत चारा कटर के लिये शैक्षणिक योग्यता समाप्त


कई काम ऐसे होते हैं, जिनमें शैक्षणिक योग्यता के स्थान पर निपुणता और अनुभव की महत्ता अधिक होती है। इसी के मद्देनजर प्रदेश में महावत और चारा कटर के लिये कोई शैक्षणिक योग्यता निर्धारित नहीं की गई है। महावत के लिये मात्र 5 वर्ष का अनुभव पर्याप्त है।