संवाददाता : नई दिल्ली
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज उत्तर प्रदेश के कानपुर में राष्ट्रीय गंगा परिषद की प्रथम बैठक की अध्यक्षता की। परिषद को गंगा और उसकी सहायक नदियों सहित गंगा नदी बेसिन के प्रदूषण निवारण और कायाकल्प का समग्र उत्तरदायित्व भी सौंप दिया गया। परिषद की प्रथम बैठक का उद्देश्य संबंधित राज्यों के सभी विभागों के साथ-साथ केंद्रीय मंत्रालयों में गंगा केंद्रित दृष्टिकोण के महत्व पर विशेष रूप से ध्यान देना शामिल है।
प्रथम बार, केंद्र सरकार ने पांच राज्यों जिनसे होकर गंगा की धारा बहती है और गंगा नदी में पर्याप्त जल के प्रवाह को सुनिश्चित करने के लिए 2015-20 की अवधि हेतु 20,000 करोड़ रुपये की प्रतिबद्धता व्यक्त की थी। नवीन अपशिष्ट प्रबंधन संयंत्रों के निर्माण के लिए अब तक 7700 करोड़ रुपये व्यय किए जा चुके हैं।
प्रधानमंत्री ने जोर देते हुए कहा कि निर्मल गंगा के एक सुधारात्मक प्रारूप के लिए जनता से भी व्यापक स्तर पर पूर्ण सहयोग के साथ-साथ राष्ट्रीय नदियों के किनारों पर स्थित शहरों में भी गंगा की स्वच्छता के लिए सर्वोत्तम कार्यप्रणालियों को अपनाने के लिए जागरूकता के प्रसार की आवश्यकता होगी। योजनाओं के त्वरित कार्यान्वयन के लिए एक प्रभावी ढांचा प्रदान करने हेतु सभी जिलों में जिला गंगा समितियों की दक्षता में भी सुधार किया जाना चाहिए।
नमामि गंगे और अर्थ गंगा के अंतर्गत विभिन्न योजनाओं और पहलों की कार्य प्रगति और गतिविधियों की निगरानी के लिए, प्रधानमंत्री ने एक डिजिटल डैशबोर्ड की स्थापना के भी निर्देश दिए, जिसके माध्यम से नीति आयोग और जल शक्ति मंत्रालय के द्वारा दैनिक रूप से गांवों और शहरी निकायों के डेटा की निगरानी की जानी चाहिए। प्रधानमंत्री ने कहा कि आकांक्षापूर्ण जिलों की तरह, गंगा के किनारों पर स्थित सभी जिलों को नमामि गंगे के अंतर्गत हो रहे प्रयासों की निगरानी के लिए एक केंद्रित क्षेत्र बनाया जाना चाहिए।
बैठक से पूर्व, प्रधानमंत्री ने महान स्वतंत्रता सेनानी चंद्रशेखर आज़ाद को पुष्पांजलि अर्पित की और चंद्रशेखर आज़ाद कृषि विश्वविद्यालय में 'नमामि गंगे' पर किए जा रहे कार्यों और परियोजनाओं पर एक प्रदर्शनी का अवलोकन किया। इसके पश्चात, प्रधानमंत्री ने अटल घाट की यात्रा की और सीसामऊ नाले की स्वच्छता के सफलतापूर्वक पूर्ण किए गए कार्य का भी निरीक्षण किया।