संवाददाता : जयपुर राजस्थान
राजस्थान कृषि अनुसंधान संस्थान दुर्गापूरा में आयोजित अखिल भारतीय पीड़कनाशी अवशेष नेटवर्क परियोजना के अन्तर्गत आयोजित कार्यशाला में किसानों को सम्बोधित करते हुए कृषि एवं पशुपालन मंत्री लाल चन्द कटारिया ने कहा कि आधुनिक कृषि में फसलों को कीट बीमारी एवं खरपतवारों से बचाने एवं पैदावार बढ़ाने के लिए कीटनाशकों फफूंदीनाशकों एवं खरपतवारनाशकों का प्रयोग हो रहा है। इनके अंधाधुधं प्रयोग से इनके अवशेष हमारी खाद्य श्रृंखला में अवांछित रूप से बढ़ रहे हैं जो चिंता का विषय है।
लाल चन्द कटारिया ने कहा कि हमारे किसान भाई जो आमदनी बढ़ाने के लिए अंधाधुधं रूप से कीटनाशिकों को उपयोग कर रहे। वह मानव एवं धरती माता के स्वास्थ्य के लिए नुकसानदायक सिद्ध हो रहा है और मानव स्वास्थ्य पर भी विपरित प्रभाव डाल रहा है। जिससे मनुष्य में गुर्दे, यकृत एवं कैसर जैसी बिमारीयों को बढावा मिल रहा है। कैंसर की बिमारी प्रदेश में भी तेजी से बढ रही है, जो कि चिंता का विषय है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए श्री कर्ण नरेन्द्र कृषि विश्वविद्यालय जोबनेर के कुलपति डॉ. जे.एस. संधू ने किसान भाईयों को सम्बोधित करते हुए कहा कि कृषि में उपयोग होने वाले रसायनों का प्रयोग पूर्ण जानकारी से ही उचित समय तथा जरूरी होने पर ही निम्नतम मात्रा में ही उपयोग किया जाए ।
इस अवसर पर उपस्थित किसानों को कृषि मंत्री द्वारा पीड़कनाशी के प्रयोग के समय काम आने वाले सुरक्षा किट का भी वितरण किया गया । कार्यशाला में राजस्थान के विभिन्न जिलों से आये लगभग 200 किसानों ने भाग लिया।
इस अवसर पर कृषि मंत्री द्वारा किटनाशों उपयोग के बाद सुरक्षित इन्तजार अवधि के साहित्य का भी विमोचन किया ।
कार्यक्रम में डॉ. सुदेश कुमार निदेशक राजस्थान कृषि अनुसंधान संस्थान दुर्गापुरा परियोजना प्रभारी डॉ. ए.आर. के पठान एवं जैविक खेती से जुडे़ हुए प्रगतीशील किसान भंवर सिंह पीलिबंगा ने भी अपने विचार व्यक्त किए।