रविवार, 15 दिसंबर 2019

कुछ तो मेरे पास रह जाता है...

कवयित्री श्वेता सिंह की कलम से  :-


 


कुछ तो मेरे पास रह जाता है ...


 


तुम्हें भुलाने की कोशिश


मैं चाहे जितनी बार करूँ,


कुछ तो बाकी फ़िर भी


हर बार रह जाता है।


 


माँगो तो मिल जाए ख़ुदा भी


मगर तुम हो ख़्वाब मेरा,


और ख़्वाब तो आख़िर


ख़्वाब ही रह जाता है।


 


तुम्हारी ख़्वाहिश की


ना जाने कितनी बार,


जुबां पर फ़िर भी नाम तेरा


आते-आते रह जाता है।


 


जब कभी लम्हे कुछ


मिलते हैं फुरसत के,


तेरे होने का एहसास


यूँ ही मेरे साथ रह जाता है।


 


जान कर भी तुम अगर


रह सको अंजान तो क्या,


है सुकून कि अरमान ही सही


तेरा कुछ तो मेरे पास रह जाता है।