संवाददाता : नई दिल्ली
सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने पार्किंग हेतु 'फास्टैग' का उपयोग करने के लिए एक पायलट परियोजना हैदराबाद हवाई अड्डे पर शुरू की है। यह पायलट परियोजना दो चरणों में शुरू की गई है। पहला चरण दरअसल एक नियंत्रित पायलट परीक्षण है, जिसके तहत केवल आईसीआईसीआई टैगों का ही इस्तेमाल किया जाएगा। पायलट परियोजना के दूसरे चरण में सभी अन्य बैंकों द्वारा जारी किए जाने वाले टैगों को कवर किया जाएगा। टोल प्लाजा पर फास्टैग के उपयोग के अलावा इससे इतर भी इसके इस्तेमाल के लाभों को सुनिश्चित करने के लिए ही यह कदम उठाया गया है।
जहां तक पार्किंग में उपयोग किए जाने का सवाल है, फास्टैग युक्त सभी वाहनों के साथ-साथ दिसम्बर, 2017 के बाद बेचे गए सभी वाहन भी स्वतः इससे लाभान्वित होंगे, क्योंकि उनमें पहले से ही फास्टैग लगा हुआ है। 'फास्टैग 2.0' की यात्रा अत्यंत उपयोगी है, क्योंकि इसका इस्तेमाल ईंधन भुगतान, ई-चालान के भुगतान, कार्यालयों और निवास पर पहुंच प्रबंधन जैसे कार्यों में किया जा सकता है।
सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय की प्रमुख पहल 'राष्ट्रीय इलेक्ट्रॉनिक टोल संग्रह (फास्टैग) कार्यक्रम' को देश भर में फैले राष्ट्रीय राजमार्गों पर अवस्थित टोल प्लाजा पर लागू किया गया है। इसने टोल के नकद भुगतान को इलेक्ट्रॉनिक भुगतान में तब्दील कर डिजिटल इंडिया पहल को काफी बढ़ावा दिया है तथा इसके साथ ही समूची टोल प्रणाली में और ज्यादा पारदर्शिता ला दी है। राष्ट्रीय राजमार्गों पर अवस्थित शुल्क वाले प्लाजा की सभी लेन को 'फास्टैग लेन' घोषित करने के हालिया आदेश पर अमल करने के साथ ही अब फास्टैग का व्यापक उपयोग होने लगा है, जो नए टैगों की बिक्री के साथ-साथ टोल प्लाजा पर फास्टैग के जरिये अपेक्षाकृत ज्यादा टोल संग्रह से साफ जाहिर होता है।
नवंबर महीने के अंतिम दो हफ्तों में जारी किए गए फास्टैग की संख्या में उल्लेखनीय बढ़ोतरी दर्ज की गई। पहले जहां प्रतिदिन औसतन 28 हजार फास्टैग जारी किए जाते थे, वहीं पिछले पांच दिनों में प्रतिदिन जारी किए गए फास्टैग की औसत संख्या काफी बढ़कर 1.5 लाख फास्टैग के उच्च स्तर पर पहुंच गई। इसी तरह फास्टैग के जरिये टोल संग्रह का आंकड़ा भी प्रतिदिन 1 मिलियन से काफी बढ़कर अब लगभग 1.6-1.7 मिलियन दैनिक के स्तर को छू गया है।
इस अधिदेश से एनईटीसी की पैठ निश्चित तौर पर बढ़ जाएगी, क्योंकि ज्यादातर टोल प्लाजा पहले से ही कुल टोल संग्रह का 50-55 प्रतिशत फास्टैग के जरिये ही प्राप्त कर रहे हैं। एनईटीसी की पैठ मजबूत होने से वाहनों की निर्बाध आवाजाही सुनिश्चित होगी और इसके परिणामस्वरूप देश में समग्र लॉजिस्टिक लागत भी घट जाएगी। एनईटीसी की पैठ बढ़ने से इस पूरी प्रणाली में पारदर्शिता भी काफी बढ़ जाएगी।