संवाददाता : जयपुर राजस्थान
नई दिल्ली के एनडीएमसी कन्वेंशन सेंटर में बुधवार को केन्द्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में आयोजित आयोजित राज्यों के वित्त मंत्रियों की प्री बजट मीटिंग में नगरीय आवासन मंत्री शांति धारीवाल ने केन्द्र सरकार से इस्टर्न राजस्थान कैनाल परियोजना को राष्ट्रीय परियोजना घोषित करने की मांग की। उन्होंने कहा कि करीब 35 हजार करोड़ रुपये की इस महत्वाकांक्षी परियोजना को जल्द से जल्द राष्ट्रीय परियोजना का दर्जा दिया जाए, ताकि इसके निमार्ण कार्य को तीव्रता मिल सके।
उन्हांंेने कहा कि पूर्वी राजस्थान की करीब 40 प्रतिशत आबादी को पीने तथा खेती के लिए पानी की पूर्ति हेतु यह परियोजना राजस्थान के विकास के लिए अति महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि राजस्थान की भौगोलिक स्थिति को देखते हुए तथा पानी की कमी के मद्देनजर ईस्टर्न कैनाल परियोजना को राष्ट्रीय परियोजना का दर्जा देकर निर्माण कार्य जल्द से जल्द पूरा किया जाए।
धारीवाल ने बैठक में मांग रखी कि केन्द्र सरकार पर राजस्थान के हिस्से का जीएसटी के तहत क्षतिपूर्ति का बकाया 4 हजार 878 करोड़ रूपये तथा सीएसटी के तहत बकाया अन्य 4 हजार करोड़ रुपये की क्षतिपूर्ति की राशि जल्द से जल्द जारी की जाए ताकि राजस्थान को हो रहे वित्तीय नुकसान की भरपाई की जा सके।
धारीवाल ने कहा कि संविधान के प्रावधानों के अनुरूप जीएसटी के तहत राज्य को मिलने वाली इस क्षतिपूर्ति की धनराशि को महीनें की पहली तारीख को ही राज्य के खाते में ट्रांसफर किया जाना चाहिए। ताकि राज्य सरकार कर्मचारियों के वेतन और अन्य विकास परियोजनाओं को समय पर धनराशि उपलब्ध करवा सके। श्री धारीवाल ने बताया कि जीएसटी काउंसिल की इस मीटिंग में पहली बार वोटिंग पैटर्न को अपनाया गया तथा वोटिंग के माध्यम से यह तय हुआ कि राज्यों के स्तर पर जीएसटी में एकरूपता होनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि राज्यों के पास कमाई के संसाधन भी काफी कम है तथा जीएसटी लगने के बाद राज्यों की केन्द्र सरकार पर काफी वित्तीय निर्भरता हो चुकी है। ऎसे में केन्द्र सरकार राज्यों का बकाया पैसा सही समय पर राज्यों को हस्तांतरित करे ताकि राज्य अपने वित्तीय कार्य ठीक से कर सके।
धारीवाल ने प्री-बजट मीटिंग में केन्द्र प्रवर्तित योजनाओं के तहत राज्य को मिलने वाली धनराशि का मुददा उठाते हुए कहा कि वर्तमान में केन्द्र सरकार केन्द्र प्रवर्तित योजनाओं में 50 प्रतिशत का योगदान देती है। जो कि पूर्व में 75 प्रतिशत था। उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार ने जब से यह हिस्सेदारी घटाई है तब से राज्यों पर वित्तीय भार काफी बढ़ गया है तथा आधारभूत संरचना के विकास में राज्यों को वित्तीय संसाधनों की कमी का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने पूर्व की तरह केन्द्रीय प्रवर्तित परियोजनाओं में केन्द्र राज्य की हिस्सेदारी 75 रुपये 25 प्रतिशत रखने की मांग रखी। साथ ही उन्होंने केन्द्र प्रवर्तित योजनाओं के तहत मिलने वाले पैसे को स्कीम फंड की जगह स्टेट कंसोलिडेट फंड में देने की मांग रखी।
हर घर नल, हर घर जल योजना के लिए केन्द्र सरकार देवे 7 हजार 775 करोड़ रुपये की सालाना वित्तीय मदद
धारीवाल ने केन्द्रीय मंत्री से आग्रह किया कि राजस्थान जैसे देश के सबसे बड़े भू-भाग पर बसी आबादी तक पेयजल पहुंचाने के लिए केन्द्र सरकार प्रति वर्ष 7 हजार 775 करोड़ रुपये की वित्तीय मदद आगामी दस सालों तक लगातार प्रदान करे, तभी जाकर राजस्थान के हर घर तक नल के माध्यम से शुद्ध पेयजल पहुंचाना संभव हो सकेगा।
धारीवाल ने बैठक में टोंक-बांसवाड़ा-डूंगरपुर में रेल लाईन बिछाने के लिए बजट में प्रावधान करने की मांग भी रखी। उन्होंने कहा कि राजस्थान के ये क्षेत्र अभी तक रेलवे लाईनों से नहीं जुड़ पाए हैं। इसलिए यहां विकास की संभावनाओं का पूर्ण रूप से दोहन नहीं हो सका है। श्री धारीवाल ने इन क्षेत्रों को रेलवे लाईन से जोड़ने का मांग रखते हुए कहा कि इन क्षेत्रों को रेल लाईन से जोड़ने से यहां के उद्योग धंधों को राष्ट्रीय स्तर पर आगे बढ़ने का अवसर मिलेगा।