गुरुवार, 19 मार्च 2020

झारखंड शिक्षा परियोजना परिषद, राज्य कार्यकारिणी समिति की 56वीं बैठक...

संवाददाता : रांची झारखंड


      राज्य सरकार शिक्षा के माध्यम से विकास की गाड़ी को पटरी पर दौड़ाएगी। इसके लिए सरकार ने समग्र शिक्षा पर फोकस करते हुए वित्तीय वर्ष 2020-21 में लगभग 3 हजार करोड़ रुपये खर्च करने फैसला लिया है। मुख्य सचिव डॉ. डीके तिवारी ने झारखंड मंत्रालय में झारखंड शिक्षा परियोजना परिषद, राज्य कार्यकारिणी समिति की 56वीं बैठक में शिक्षा विभाग के 2960 करोड़ रुपये के बजट प्रस्तावों को समीक्षोपरांत अनुमोदित कर केंद्र सरकार की स्वीकृति के लिए भेजने का निर्देश दिया है। इस राशि को शिक्षा के साथ विद्यार्थियों की पोशाक, जूता-मोजा, स्वेटर समेत शिक्षण सामग्री में व्यय किया जाएगा। इस मद में पिछले वर्ष का बजटीय प्रावधान लगभग 2600 करोड़ रुपये का था।



मध्याह्न भोजन के लिए 638 करोड़ का बजटीय प्रावधान अनुमोदित


स्कूली बच्चों के स्वास्थ्य पर भी सरकार ने फोकस किया है। मुख्य सचिव ने मध्याह्न भोजन के लिए 638 करोड़ रुपये के बजटीय प्रावधान को अनुमोदित किया है। स्कूलों में बच्चों के मध्याह्न भोजन की गुणवत्ता बेहतर करने की कवायद के तहत मुख्य सचिव ने भोजन में प्रोटीन की उपलब्धता बढ़ाने का निर्देश दिया है। उन्होंने कहा कि एक सर्वे में यह स्पष्ट हुआ है कि झारखंड में एनिमिया के 90 प्रतिशत से अधिक मामलों में प्रोटीन की कमी रही है। उन्होंने कहा कि दाल के साथ चना और प्रोटीनयुक्त अन्य खाद्य सामग्री मध्याह्न भोजन में शामिल करें। वहीं मध्याह्न भोजन बनाने के बर्तनों को भी बेहतर करने का निर्देश दिया। उन्होंने कहा कि यह सुनिश्चित होना चाहिए कि कोई भी बर्तन बिना ढक्कन का नहीं हो, ताकि उसमें रखे खाद्य पदार्थों में कोई अवांछित चीज नहीं गिर सके। साथ ही पुराने पड़ चुके उन बर्तनों को बदलने का निर्देश दिया, जो अनगढ़ हो गए हों या धब्बेदार बन चुके हैं।


खाली पड़े स्कूल भवनों पर अवैध कब्जा रोकें


राज्य में बंद हो चुके विद्यालय भवनों पर अवैध कब्जा की शिकायतों को लेकर सरकार गंभीर हो चुकी है। मुख्य सचिव डॉ. डीके तिवारी ने इसे लेकर व्यापक दिशा निर्देश देते हुए ऐसे भवनों का उपयोग सुनिश्चित करने को कहा है। उन्होंने कहा कि जहां कहीं से अवैध कब्जा की शिकायत प्राप्त हो, तत्काल उसकी प्राथमिकी दर्ज कराते हुए कानूनी कार्रवाई कराएं। उन्होंने खाली पड़े स्कूल भवनों की वास्तविक स्थिति का सत्यापन कराकर उसकी पंचायतवार सूची बनाने का भी निर्देश दिया है। गौरतलब है कि राज्य के कम छात्रों वाले 3500 विद्यालयों को दूसरे स्कूलों में समेकित करने के कारण उनके भवन खाली हो गए हैं। उनमें से लगभग 1600 भवनों का उपयोग किया जा रहा है।


एक बच्चे को एक से अधिक पुरानी पुस्तक नहीं दें


मुख्य सचिव ने पूर्ववर्ती छात्रों की पुस्तकें नये छात्रों को देने की शिक्षा विभाग की परिपाटी की समीक्षा करते हुए कहा कि अगर पुरानी पुस्तकें अच्छी हालत में नहीं हों, तो उन्हें किसी भी हाल में नये छात्रों को नहीं दें। अगर पुस्तकें अच्छी भी हों, तो एक छात्र को एक से अधिक पुरानी पुस्तक नहीं दें। कहा, यह सुनिश्चित हो कि किसी छात्र को सभी किताबें पुरानी मिले और किसी को सारी नई। उन्होंने बाल मनोविज्ञान का हवाला देते हुए कहा कि बच्चों में नई पुस्तक के प्रति अलग तरह का लगाव होता है, जो शिक्षण में भी सकारात्मक भूमिका निभाता है। उन्होंने निर्देश दिया कि वैसी पुरानी पुस्तकों का भी वितरण नहीं करें जो ऊपर से देखने में तो ठीक-ठाक हैं, लेकिन उसके कुछ पन्ने फटे या गायब हों।


स्कूल भवनों का उचित रख-रखाव सुनिश्चित करें


मुख्य सचिव ने राज्य के 35 हजार स्कूल भवनों के उचित रख-रखाव पर बल देते हुए निर्देश दिया कि इसके लिए स्कूलों को कमरे के आधार पर हेड ऑफ द ऑफिस को राशि दें। उन्होंने कहा कि स्कूल प्रबंधन खुद स्कूल भवनों की छोटी-मोटी सामान्य मरम्मत, रंगाई-पुताई आदि कराए। इसके लिए किसी इंजीनियर के पास जाने की जरूरत नहीं है। स्कूल प्रबंधन रख-रखाव में प्रयुक्त सामग्री खरीद का वाउचर और मजदूरी के मस्टर रोल के अनुसार व्यय की गई राशि से विभाग को अवगत कराए।


मुख्य सचिव डॉ. डीके तिवारी की अध्यक्षता में हुई बैठक में वित्त विभाग के अपर मुख्य सचिव केके खंडेलवाल, स्कूली शिक्षा के प्रधान सचिव एपी सिंह, कल्याण सचिव हिमानी पांडेय, सचिव प्रशांत कुमार, रांची की मेयर आशा लकड़ा समेत अन्य अधिकारी मौजूद थे।