शनिवार, 14 मार्च 2020

मैं बचपन से देशभक्त हूं, लेकिन इस कानून से मैं डरा हुआ हूं और दिल्ली के सभी लोग डरे हुए हैं : मनीष सिसोदिया

संवाददाता : नई दिल्ली


        दिल्ली विधानसभा में उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने शुक्रवार को एनआरसी और एनपीआर पर अपना पक्ष रखा। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा लाए जा रहे कानून के तहत प्रत्येक नागरिक को अपनी नागरिकता साबित करने के लिए जन्म प्रमाण पत्र देना होगा। उसके पास पासपोर्ट, वोटर कार्ड, आधार कार्ड, पैन कार्ड या षिक्षा प्रमाण पत्र है, तो वह मान्य नहीं होगा। मैं बचपन से देशभक्त हूं और चुना हुआ जन प्रतिनिधि भी हूं। फिर भी मैं डरा हुआ हूं। मेरे साथ वो लोग भी डरे हुए हैं, जिनका मैं प्रतिनिधित्व कर रहा हूं।

 

दिल्ली विधानसभा में अभिभाषण देते हुए दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि मैं अपने आपको बचपन से ही देशभक्त मानता आया हूं और मुझे लगता है कि इस देश के लिए तन मन धन कुर्बान करना, हमेशा अपनी मेहनत, खून पसीना एक करके देश के लिए कुछ करना, चाहे वह नौकरी करो, कोई काम करो या राजनीति करो, हमारी देशभक्ति वही है। मुझे बड़ा फक्र है कि मैं 134 करोड़ हिंदुस्तानियों में से एक हूं। जब 2011 की जनगणना हुई थी, तब जनसंख्या 124 करोड़ की आई थी। तब मुझे फक्र हुआ था कि 124 करोड़ हिंदुस्तानियों में एक नाम मेरा भी है। जब मैं कहता हूं कि मैं 134 करोड़ हिंदुस्तानियों में से एक हंू तो मेरा कहने का मतलब है कि मैं 1/134 करोड़ हिंदुस्तान हूं। मैं हूं हिंदुस्तान। जब जनगणना होती है, तो हम सब लोग बड़े फक्र से कहते हैं कि हमारा नाम लिखो। हम भी इसमें से एक हैं।

 


 

इस देश में हर दस साल बाद जनगणना होती रही है और हर हिंदुस्तानी बड़े फक्र के साथ, सहयोग के साथ अपनी जिम्मेदारी समझते हुए कहता है कि मैं भी 134 करोड़ में से एक हूं। मेरा भी नाम लिख लो। मेरी पत्नी, बेटे और पिता जी का नाम लिख लो। मैं सोच रहा था कि जनगणना होगी और मेरे घर जनगणना वाले आएंगे तो मैं भी बताउंगा। मेरा नाम मनीष सिसोदिया है। मैं हिंदुस्तानी हूं। मेरे पिता, मेरी पत्नी और मेरे बेटे का नाम लिखो।

 

मनीष सिसोदिया ने कहा कि अब सरकार कह रही है कि जनगणना तो करेंगे ही, नागरिकता रजिस्टर भी बनाएंगे। मतलब यह कि नागरिकों का रजिस्टर भी भरेंगे। जनगणना तो 134 करोड़ की लिख देंगे, लेकिन साथ ही हर नागरिक का नागरिकता रजिस्टर में नाम लिखा जाएगा। शुरूआती दौर में मुझे भी लगा कि अच्छा है। मुझे भी अच्छा लगेगा जब किसी रजिस्टर में मेरा नाम लिखा होगा। मनीष सिसोदिया पुत्र धर्मपाल सिह सिसोदिया लिखा देख कर फक्र होगा।

 

लेकिन समस्या उसकी प्रक्रिया पर हुई। मैं जिस नागरिकता रजिस्टर में अपना नाम लिखा हुआ देख कर खुश होना चाहता हूं, उस रजिस्टर के बारे में कहा गया है कि इसमें आप का नाम तभी लिखा जाएगा, तब आप नागरिक होंगे। अभी मैं बड़ा फक्र से कहता हूं कि मैं 134 करोड़ हिंदुस्तान हूं, लेकिन जब आपको यह पता चलेगा कि आपका नाम तभी लिखा जाएगा, जब आप साबित करोगे कि आप हिंदुस्तानी हो। तब मैंने एक्ट देखा कि नागरिकता कानून में क्या लिखा है।

 

मनीष  सिसोदिया ने कहा कि जो नागरिकता रजिस्टर बनेगा उसमें एनपीआर का सेक्शन तीन कहता है कि कोई भी आदमी जन्म से हिंदुस्तान का नागरिक हो सकता है। बशर्ते कि वह 26 जनवरी 1950 के बाद और 1987 से पहले जन्म लिया हो। तब उसका जन्म प्रमाण चलेगा। 1987 से 2003 के बीच वह जन्म लिया हो, तो उसका जन्म प्रमाण पत्र और अपने एक अभिभावक का जन्म प्रमाण पत्र चाहिए। 2003 के बाद अगर जन्म लिया हो, तो उसका अपना जन्म प्रमाण पत्र चाहिए। उसके माता पिता का प्रमाण पत्र चाहिए और अगर एक अभिभावक का जन्म प्रमाण पत्र है, तो उसको यह साबित करना होगा कि मेरे जन्म के समय मेरे दूसरे अभिभावक वैधानिक रूप से भारत में नहीं रह रहे थे। मैं सोच रहा था कि कोई सेक्शन तीन का कर्मचारी आएगा और पूछेगा कि आप नागरिक हो और मैं कहूंगा कि हां, मैं 1972 में पैदा हुआ और इस देश का नागरिक हूं।

 

उसके बाद जो कानून में लिखा हुआ है, उसे देख कर मैं डर गया। जबकि मैं जन प्रतिनिधि हंू और सभी प्रतिनिधि डर रहे हैं। कोई रामलीला मैदान में क्या बोल दे या चुनावी रैली में क्या बोल दे, मैं उसकी बात ही नहीं कर रहा हूं। मैं इस कानून की बात कर रहा हूं, जिसमे ंलिखा हुआ है कि अब पहले 14 बिंदु पूछ रहे थे अब 9 और बिंदु पूछेंगे। पासपोर्ट, आधार कार्ड, पैन कार्ड, शिक्षा प्रमाण पत्र मान्य नहीं है। तब मैं कैसे सत्यापित करूंगा कि मैं इस देश का नागरिक हूं। कानून उस अधिकारी को यह अधिकार दे रहा है। जनसंख्या रजिस्टर में वह अधिकारी कहेगा कि यह कागज नहीं चलेगा। वो कागज मांगेगा, तो मैं क्या दिखाउंगा। मेरे पास जन्म प्रमाण पत्र नहीं है।

 

जन्म प्रमाण पत्र क्या होता है, जन्म प्रमाण पत्र डेट आॅफ बर्थ सर्टिफिकेट नहीं होता है। जन्म प्रमाण पत्र जब आप पैदा हुए, उस वक्त बनता है। अधिकारी को इस कानून में अधिकार मिला हुआ है। सेक्शन 4 में लिखा है, ‘वो मेरे नाम के आगे लिख देगा संदिग्ध (डाउटफूल)।’ उसके बाद किसी दिन मुझे बांग्लादेशी घोषित कर देंगे। कहेंगे कि तुम्हारा नाम मनीष सिसोदिया है ही नहीं, तुम्हारे पिता का नाम धर्मपाल सिंह सिसोदिया है, यह कैसे मान लें। फिर मैं क्या करूंगा। मुझे डिटेंशन सेंटर भेजेंगे। इसलिए मैं डरा हुआ हूं। इसलिए जिन लोगों का प्रतिनिधित्व कर रहा हैं, वह दिल्ली के लोग डरे हुए हैं।

 

इसलिए डरे हुए हैं कि मेरा नाम वोटर लिस्ट से ही नहीं, मेरे घर से भी पत्ता कटवा दोगे। आपकी सोच वोटर लिस्ट से नाम काटने तक की नहीं है। आपकी सोच उससे भी कहीं ज्यादा खतरनाक है। आप नहीं चाहते हैं कि जो दलित अपनी मेहनत करके बिहार व यूपी के किसी गांव से आकर दिल्ली में अपनी जगह बना रहा है, उसे विश्वास मिल सके कि आपके बराबरी पर आकर खड़ा हो जाए।

 

आप नहीं चाहते है कि किसी अनपढ़ किसान का बेटा, किसी अनपढ़ गरीब मजदूर का बेटा, किसी सामान्य दुकानदार का बेटा दिल्ली में आकर मेहनत कर रहा है, कही उसने जगह बना ली है। आप सामंतवादी सोच से यह कर रहे हैं। आपकी इसमें साजिश है। इसलिए गोपाल राय जी ने जो प्रस्ताव रखा है, मैं उसका समर्थन करता हूं।