कवयित्री श्वेता सिंह की कलम से :-
"फ़ासला बनाए रखिए"
वक़्त है ये जैसा भी, गुज़र जाएगा
वक़्त का है तक़ाज़ा, हौसला बनाए रखिए,
आपकी मुस्कुराहट उन्हें देगी सुकून
जो हैं साथ, पहले से ज़्यादा ख़्याल रखिए,
मिलते थे जब भी वो कहते थे
दूर होकर भी तसव्वुर में बनाए रखिए,
अभी वक़्त है खुद को समझने का
एक दिन पहचान जायेंगे, इत्मीनान रखिए,
हर कहानी का अंजाम होता एक जैसा नहीं
इसलिए लफ़्ज़ों में भी फ़ासला बनाए रखिए।