मंगलवार, 12 मई 2020

हार्डिंग बम कांड के शहिदों को स्वतंत्रता आन्दोलन यादगार समिति की तरफ से श्राद्धांजलि : प्रशांत सी बाजपेयी

प्रजा दत्त डबराल @ नई दिल्ली


      सन् 1912 में बनायी गई,मास्टर अमीर चंद, मास्टर अवध बिहारी, बसन्त कुमार विश्वास और लाला हनुमन्त द्वारा लार्ड हार्डिंग ब्रिटिश वायसराय को जान से मार डालने की एक क्रांतिकारी योजना थी,जो सफल न हो सकी।


लार्ड हार्डिंग घायल हुए पर बच गया,किन्तु जिस हाथी पर बैठ कर दिल्ली के चाँदनी चौक में वायसराय की शानदार सवारी निकाली जा रही थी उसका महावत व अन्य लोग मर गए।



प्रशांत सी बाजपेयी (अध्यक्ष, स्वतंत्रता आन्दोलन यादगार समिति) ने हमारे संवाददाता को बताया की पुलिस ने इस काण्ड में चारों प्रमुख क्रातिकारियों को 23 मई 1914 गिरफ्तार करके उन पर दिल्ली षड्यंत्र केस का मुकदमा चलाया गया । लाला हनुमन्त को उमर कैद की सजा देकर अण्डमान भेज दिया।


हार्डिंग बम कांड मामले में क्रांतिकारी मास्टर अमीर चंद,भाई मुकंद और अवध बिहारी को 8 मई 1915 में दिल्ली के फाँसी दी गयी थी,उस जेल का निशान मिटा दिये गये।आज वहाँ जेल की जगह मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज बन गया।


बसन्त कुमार विश्वास को 11 मई 1915 को पंजाब की अम्बाला सेंट्रल जेल इस स्वतंत्रता सेनानी को फांसी दे दी गई थी।क्रांतिकारी रास बिहारी बोस जिन्होंने वायसराय लार्ड हार्डिंग पर बम फेकने की योजना का महत्वपूर्ण भूमिका रही थी। अपनी गिरफ्तारी से बचते हुए जापान पहुंच गए।



दिल्ली के इन क्रांतिकारी सपूतों के बलिदान को भूलाया नहीं जा सकता। उनकी देशभक्ति के जज्बे ने अंग्रेजी हुकूमत की नींव हिला कर रख दी। हम इन शहीदों के ऋणी हैं। जिनके महान बलिदान ने मातृभूमि को अंग्रेजों के शिकंजे से मुक्त कराया। ऐसे राष्ट्रभक्तों से हम देशभक्ति के जज्बे से हम सभी को प्रेरणा लेना चाहिए।