रचना(ग़ज़ल)बलजीत सिंह बेनाम (सम्प्रति:संगीत अध्यापक) की कलम से :-
ग़ज़ल
मैंने पहले न देखी कभी
या ख़ुदा इस क़दर सादगी...
रोशनी में छुपी तीरगी
तीरगी में छुपी रोशनी...
पेट भर तुम भी खाओ मियाँ
शायरी शायरी शायरी...
मौत के आने तक हर क़दम
ज़िन्दगी है लहू चूसती...
राज़ तुम हो छुपाते अगर
लो ज़ुबाँ हमने भी अपनी सी।