संवाददाता : देहरादून उत्तराखंड
आम आदमी पार्टी उत्तराखंड के नेता व प्रदेश मीडिया सह प्रभारी अभिषेक बहुगुणा ने उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत से हाल ही में देवभूमि उत्तराखंड के 51 मंदिरों का अधिग्रहण करने वाले अधिनियम को वापस लेने का आग्रह किया। मंदिरों के अधिग्रहण को अवैध करार देते हुए उन्होंने अपने एक पत्र में मुख्यमंत्री से कहा कि प्रदेश सरकार द्वारा जो 51 मंदिरों का अधिग्रहण करने वाला अधिनियम लाया गया है वह देवभूमि की समस्त जनता और उसकी भक्तिभाव एवं निष्ठा पे प्रहार है।
उन्होंने कहा की उत्तराखंड भाजपा सरकार ने राज्य के लगभग सभी मंदिरों को संभालने के लिए कानून लाया है और मुख्यमंत्री को बोर्ड का अध्यक्ष भी बनाया है। जब से सरकार ने बिल लाने का फैसला किया है, तब से देवभूमि के पुजारियों में व्यापक आक्रोश है क्योंकि ये नई प्रणाली उनकी भूमिका और कर्तव्यों को बदल देगी जो वे और उनके परिवार दशकों से करते आ रहे हैं। यह कदम न केवल अवैध है अपितु देवभूमि की भक्तिवादी नीव पे लालच का प्रहार है एवं जन विचारधारा के खिलाफ होने के साथ साथ सुप्रीम कोर्ट के (सुब्रमण्यम स्वामी बनाम तमिलनाडु राज्य) के फैसले के भी खिलाफ है, जिसमे सर्वोच्च न्यायालय ने स्पष्ट रूप से कहा है कि संविधान के अनुच्छेद 25 के तहत सरकार किसी भी मंदिर के प्रशासन को नहीं ले सकती है, सिवाय संक्षिप्त अवधि के वो भी तब जब मंदिर के धन की हेराफेरी का कोई मामला सामने आया हो।
बहुगुणा ने कहा की देवभूमि उत्तराखंड के मामलों में, बद्रीनाथ मंदिर या केदारनाथ मंदिर या किसी अन्य 49 मंदिरों के मामले में धन के ऐसे दुरुपयोग का कोई दस्तावेज़ीकरण नहीं है और इसलिए उत्तराखंड सरकार द्वारा लाया ये अधिनियम असंवैधानिक है।आप नेता अभिषेक बहुगुणा ने मुख्यमंत्री को लिखे अपने पत्र में कहा कि “यह अधिनियम हम सभी प्रदेशवासियों के लिए एक बड़ी शर्मिंदगी है और इस मामले में हमारा रुख यह है कि मंदिरों का प्रशासन भक्तों द्वारा किया जाना चाहिए न कि सरकार द्वारा।
उन्होंने कहा की 2019 में भाजपा शाषित राज्य सरकार द्वारा पारित यह अधिनियम, चार धाम सर्किट से संबंधित 51 से अधिक मंदिरों को अपने नियंत्रण में लेने का इरादा रखता है जिसमे सरकार की मंदिरों के खजाने पे बैठी कोई दुरमंशा की बू आती है जो की बहुत ही खतरनाक है, क्योंकि यह अधिनियम सरकार को पुजारियों, स्थानीय ट्रस्टों द्वारा वर्तमान में मंदिरों के नियंत्रण में सक्षम बनाता है और नए अधिनियम में कहा गया है कि सांसद, विधायक और राज्य सरकार द्वारा नियुक्त प्रतिनिधि मंदिरों को चलाएंगे। अधिनियम के अनुसार, देवस्थानम बोर्ड का प्रमुख राज्य का मुख्यमंत्री होगा, और कई सरकारी अधिकारियों को प्रशासन में रखा जाता है। अधिनियम कहता है, यदि मुख्यमंत्री हिंदू नहीं है, तो सबसे वरिष्ठ हिंदू मंत्री बोर्ड का प्रमुख होगा।
आप नेता अभिषेक बहुगुणा ने कहा की मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत से निवेदन है की इस काले कानून को वापस लेने का निर्देश जल्द जारी करें ऐसा न करने की स्तिथि में यह स्पष्ट हो जायेगा की उत्तराखंड की ये भाजपा सरकार अपने किसी लोभ की पूर्ति हेतु हिंदुत्व का मुखोटा पहने देवभूमि उत्तराखंड को छल रही है एवं राज्य के मंदिरों को एक तुगलकी फरमान द्वारा ज़बरदस्ती अपने कब्जे में ले लेना चाहती है, ऐसी स्तिथि में आम आदमी पार्टी उत्तराखंड जनता के साथ किये जा रहे छल एवं मंदिरों के इस अधिग्रहण के खिलाफ प्रदेश भर में जनजागरण करेगी एवं देवभूमि में किये जा रहे ऐसे असंवेधानिक कार्य के खिलाफ मज़बूती से लड़ेगी और ज़रूरत पड़ने पर आंदोलन भी करेगी।