सोमवार, 22 जून 2020

बच्चों, महिलाओं, वैज्ञानिकों और कर्मचारियों ने डीएसटी परिसर में देखा सूर्य ग्रहण...

संवाददाता : नई दिल्ली


      राष्ट्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संचार परिषद,विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग ने विज्ञान प्रसार के साथ मिलकर 21 जून, रविवार को पड़े सूर्य ग्रहण को सोलर इक्लिप्स चश्मे से सजीव देखने के लिए विभाग के परिसर में एक कार्यक्रम का आयोजन किया।बच्चों, महिलाओं, वैज्ञानिकों और अन्य अधिकारियों तथा कर्मचारियों ने इस शानदार आकाशीय घटना को देखने का लुत्फ उठाया, साथ ही ग्रहण के कारण प्रकाश और छाया की इस घटना को देखने का रोमांचक अनुभव लिया।


एनसीएसटीसी और विज्ञान प्रसार द्वारा मेटलिक माइलर फिल्म से बनाए गए विशेष डिजाइन वाले चश्मे दर्शकों को दिए गए। ग्रहण की इस घटना का दर्शकों के सामने वर्णन किया गया और माइलर फिल्म के उपयोग से लिए गए फोटोग्राफ के माध्यम से सूर्य ग्रहण दिखाया गया।



गौरतलब है कि 16 फरवरी, 1980 को जब पूर्ण सूर्य ग्रहण पड़ा था तो आज के परिदृश्य की तुलना में हालात पूरी तरह अलग थे। अधिकांश लोग ग्रहण के दुष्प्रभावों से बचने के लिए अपने-अपने घरों में ही कैद हो गए थे। विज्ञान के प्रति उत्साह कुछ लोगों को छोड़ दें, तो सड़कें खाली हो गई थीं; स्कूल, बाजार और कई अन्य प्रतिष्ठान एक अनचाहे भय से बंद कर दिए गए थे। इसके बाद 24 अक्टूबर, 1995 को भारत में पूर्ण सूर्य ग्रहण दिखाई दिया था और एनसीएसटीसी ने माइलर फिल्म से बने चश्मों से ग्रहण के सुरक्षित दर्शन के द्वारा बच्चों, शिक्षकों, विज्ञान संगठनों, वैज्ञानिकों तथा आम लोगों को जोड़कर देश भर में जागरूकता कार्यक्रमों की एक श्रृंखला का आयोजन किया गया।


मजबूत प्रयासों के साथ हालात में बदलाव हुआ और बाद में पड़े सूर्य ग्रहणों के दौरान लोगों की धारणा में व्यापक बदलाव देखने को मिला। इस बार लोगों ने बाहर निकलने और सूर्य ग्रहण के सजीव दर्शन के रोमांच का अनुभव हासिल किया, हालांकि इस दौरान सामाजिक दूरी और सतर्कता उपायों का पूरी तरह पालन किया गया। 


डीएसटी के आर्यभट्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑफ ऑब्जर्वेशनल साइंसेज (एआरआईईएस), नैनीताल, भारतीय खगोल-भौतिकी संस्थान (आईआईए), बंगलुरू और विज्ञान प्रसार जैसे विभिन्न स्वायत्त संस्थानों ने विभिन्न स्थानों से ग्रहण के चित्र खींचे और जूम, यूट्यूब तथा फेसबुक के माध्यम से लाइव स्ट्रीमिंग का आयोजन किया गया।