सोमवार, 22 जून 2020

क्या ग्लेनमार्क की फेविपिराविर गोली कोरोना के इलाज के लिए संजीवनी ? जानें क्या कहना है विशेषज्ञों का...

संवाददाता : नई दिल्ली


      ग्लेनमार्क फार्मास्युटिकल्स ने कोविड-19 के हल्के और मध्यम लक्षणों वाले मरीजों के लिए जहां विषाणु रोधी दवा ‘फेविपिराविर’ पेश की है। दूसरी ओर, चिकित्सा विशेषज्ञों ने आगाह किया कि इसे कोरोना वायरस संक्रमण के इलाज के लिए रामबाण औषधि के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि इलाज में यह मददगार होगी और वायरस के प्रभाव को घटाएगी।



चिकित्सा विशेषज्ञों ने कहा कि यह दवा कितनी कारगर साबित होगी, यह आने वाले महीनों में पता चल पाएगा।  ग्लेनमार्क र्मास्युटिकल्स ने कहा कि उसने कोविड-19 के हल्के और मध्यम लक्षणों वाले मरीजों के इलाज के लिए ‘फेबिफ्लू ब्रांड नाम से विषाणु रोधी औषधि ‘फेविपिराविर पेश की है। कंपनी ने कहा की इसकी कीमत प्रति गोली करीब 103 रुपये होगी। इसने एक बयान में कहा कि ‘फेबिफ्लू भारत में केाविड-19 के इलाज के लिए गोली के रूप में ली जाने वाली पहली ‘फेविपिराविर’ मंजूरी प्राप्त दवा है।


फोर्टिस अस्पताल, शालीमार बाग में श्वसन संबंधी रोग एवं अनिद्रा विकार विभाग के निदेशक डॉ विकास मौर्या ने कहा कि जापान में इन्फ्लूएंजा के लिए यह दवा पहले से उपयोग की जा रही है। वे कोविड-19 मरीजों पर भी इसका उपयोग कर रहे हैं। ‘रेमडेसिविर और ‘फेविपिराविर जैसी विषाणु रोधी दवा कोविड-19 के लिए विशेष रूप से नहीं है, बल्कि इन्फ्लूएंजा के लिए उपयोग की जाती रही है।मौर्या ने कहा कि अध्ययनों में यह पाया गया है कि कोविड-19 के इलाज में ‘फेविपिराविर’ के कुछ फायदे हैं और यही कारण है कि इसे भारत में भी पेश किया गया है।


 उन्होंने कहा कि यह दवा एक राहत के तौर पर आई है। मौर्या ने कहा कि यह रामबाण औषधि नहीं है क्योंकि (मरीज को) सिर्फ इसे ही हमें नहीं देना होगा। यह कोविड-19 के लिए विशेष रूप से नहीं बनी है ,लेकिन यह कितनी उपयोगी है, हमें देखना होगा। जब व्यापक स्तर पर इसका उपयोग किया जाएगा, तब इसके प्रभाव का पता चलेगा। मैक्स हेल्थकेयर में इंटरनल मेडिसिन के सहायक निदेशक डॉ. रोमील टिक्कू ने कहा कि यह दवा महत्वपूर्ण साबित हो सकती है। उ


न्होंने कहा कि जब मरीज को संक्रमण के शुरुआती समय में यह दवा दी जाएगी तो यह वायरस के प्रभाव को घटा सकती है और इसमें संक्रमण को बढ़ने को रोकने की भी क्षमता है। इसलिए यह अस्पतालों में लोगों के भर्ती होने की दर में कमी ला सकती है।