मंगलवार, 23 जून 2020

प्लासी युद्ध जिसे इतिहास में " महा विश्वासघात भी कहा जाता है...

प्रजा दत्त डबराल @ नई दिल्ली


      यह युद्ध २३ जून १७५७ में ,  अविभाजित बंगाल के नवाब सिराजुद्दौला और ईस्ट इंडिया कंपनी , जिसका नेतृत्व राबर्ट क्लाइव कर रहा था, इनकी सेना में केवल ३०० सैनिक थे , जबकि सिराजुद्दौला की सेना में १८००० सैनिक थे, लेकिन युद्ध से पूर्व ही नवाब के तीन सेना नायक , उसके दरबारी , राज्य के अमीर सेठ , जगत सेठ आदि से क्लाइव ने सौदेबाजी कर ली थी।


प्रशांत सी बाजपेयी (अध्यक्ष, स्वतंत्रता आन्दोलन यादगार समिति) ने हमारे संवाददाता को बताया की इस षड्यंत्र ने भारत में अंग्रेजों की सत्ता की स्थापना कर दी। प्लासी युद्ध में सिराजुद्दौला की सेना में जहाँ एक ओर मीरमदान,मोहनलाल जैसे देशभक्त वहीं दूसरी ओर मीर जाफर कुत्सित विचार वाले धोखेबाज थे‌।  इस युद्ध में मीरमदान मारा गया। राबर्ट क्लाईव बिना युद्ध किए ही विजय रहा।



परन्तु मीर जाफर के विश्वासघात के कारण सिराजुद्दौला को हारना पडा।वह जान बचाकर भागा,परन्तु मीर जाफर के पुत्र मीरन ने उसे पकड़वा कर मार डाला।फलस्वरूप मीर जाफर बंगाल का नवाब बनाया गया।बंगाल पर अंग्रेजों का अधिकार हो गया ।


यद्यपि प्लासी युद्ध भारत का इतिहास ही बदल गया। उस काल की शुरूआत हुई जिसमें इसका आर्थिक एवं नैतिक शोषण अधिक हुआ। इस प्रकार अंग्रेजों ने भारत में साम,दाम,दंड, भेद,फूट डालो और राज करो जैसे सभी नीतियों का प्रयोग करते हुए ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने भरतीया साम्राज्य को हासिल कर लिया था और अंग्रेजों को भारत की सबसे बड़ी आर्थिक और सैन्य शक्ति बना दिया।


गद्दार सभी धर्मों  में हैं। विदेशी तत्त्व इनसे अपना हित साधकर , हिंदुस्तान को खोखला बनाते आये हैं।