प्रजा दत्त डबराल @ नई दिल्ली
अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 का व्यापक रूप से स्वागत किया है जो भारत केंद्रित होने के साथ-साथ 21वीं सदी की आवश्यकताओं के अनुरूप शिक्षार्थी को वैश्विक नागरिक बनाने की अवधारणा पर आधारित है।
इस संबंध में जानकारी देते हुए महासंघ के अध्यक्ष प्रोफेसर जे पी सिंघल ने बताया कि पांचवी कक्षा तक अनिवार्य रूप से मातृभाषा में शिक्षा देने तथा यथासंभव आठवीं और उसके पश्चात उच्च शिक्षा तक मातृभाषा में शिक्षा देने को बढ़ावा देने का प्रावधान स्वागत योग्य कदम है। महासंघ शिक्षा नीति में बाल्यावस्था देखभाल एवं शिक्षा पर विशेष रूप से ध्यान देने को उचित मानता है क्योंकि वैज्ञानिक दृष्टि से मस्तिष्क के बड़े अंश विकास 6 वर्ष की उम्र तक हो जाता है। शिक्षा की सार्वभौमिक पहुंच के लिए जन्म पृष्ठभूमि और लिंग के अवसर पर समान अवसर उपलब्ध करवाना व्यक्ति और समाज के सर्वांगीण विकास के लिए अत्यंत आवश्यक है इसे शिक्षा नीति ने ठीक प्रकार उठाया गया है।
प्रोफेसर सिंघल ने बताया कि महासंघ का सदैव मत रहा है कि शिक्षा को अलग-अलग खंडों में बांट कर देखना उचित नहीं है। प्रसन्नता का विषय है कि शिक्षा नीति कला,विज्ञान,शैक्षणिक सहशैक्षणिक, अकादमिक और व्यवसायिक शिक्षा में विभेद समाप्त करने का प्रावधान किया गया है। शिक्षा की गुणवत्ता के लिए गुणवत्तापरक शिक्षक प्रशिक्षण की महत्ता को रेखांकित करते हुए एकीकृत b.ed डिग्री पाठ्यक्रम की व्यवस्था का महासंघ स्वागत करता है। पारदर्शी आधार पर शिक्षकों की नियुक्ति की व्यवस्था, शिक्षकों की गरिमा को पुनः बहाल करने तथा शैक्षिक प्रशासन में भागीदारी की व्यवस्था सराहनीय है।
महासंघ के महामंत्री शिवानंद सिंदनकेरा ने बताया कि शिक्षा नीति में भारतीय जीवन मूल्यों, परंपराओं और भारतीय भाषाओं को प्रोत्साहन देने के लिए शिक्षा के प्रत्येक स्तर पर पाठ्यक्रम में इनका समावेश एक समर्थ,गौरवशाली, आत्मनिर्भर भारत बनाने में निश्चय ही प्रमुख भूमिका निभाएगा। नीति में उल्लेखित स्नातक स्तर पर समग्र एवं बहुविषयक शिक्षा देना बहुत आवश्यक है ताकि विद्यार्थी का केवल मानसिक ही नहीं वरन शारीरिक, आत्मिक और नैतिक विकास भी हो, शिक्षा नीति में की गई इस व्यवस्था के दूरगामी सकारात्मक प्रभाव होंगे ।
सिंदनकेरा ने कहा कि नेशनल रिसर्च फाउंडेशन की व्यवस्था सभी क्षेत्रों में शोध को बेहतर ढंग से प्रोत्साहित कर पाएगी ऐसा महासंघ का मानना है। शिक्षा के व्यवसायीकरण को रोकने के लिए विभिन्न प्रावधान किए गए हैं, महासंघ को आशा है इनके आधार पर प्रभावी ढंग से शिक्षा के व्यवसायीकरण को रोका जा सकेगा। शिक्षा के वित्तपोषण और नीति के कार्यान्वयन को विशेष रूप से रेखांकित किया गया है, महासंघ का मानना है कि इस पर राज्य एवं केंद्र सरकारों को दृढ़ इच्छाशक्ति के साथ कार्य करने की आवश्यकता है।
प्रोफेसर जे पी सिंघल ने बताया कि अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ मानव संसाधन विकास मंत्रालय का नामकरण शिक्षा मंत्रालय करने का स्वागत करता है । महासंघ का यह मानना है कि नाम में इस परिवर्तन के साथ शिक्षा के वास्तविक उद्देश्य की पूर्ति के लिए कार्य होगा तथा राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में शिक्षा के जो हितकारी प्रावधान हैं उन्हें समयबद्ध रूप से लागू किया जाएगा।