संवाददाता : नई दिल्ली
आदिवासियों के कल्याण और विकास के लिए प्रतिबद्ध प्रमुख संस्थानों में से एक के रूप में, जनजातीय मामलों के मंत्रालय के अंतर्गत आने वाला ट्राइफेड, आदिवासी लोगों को विकास की मुख्यधारा में लाने के अपने प्रयास को आगे बढ़ाता रहा है। पहले से चली आ रही अपनी पहलों और कार्यक्रमों के कार्यान्वयन के अलावा, ट्राइफेड द्वारा अब मानव संसाधन विकास मंत्रालय, भारत सरकार के एक प्रमुख राष्ट्रीय कार्यक्रम, उन्नत भारत अभियान (यूबीए) के लिए आईआईटी दिल्ली के साथ साझेदारी की गई है।
आईआईटी दिल्ली और उन्नत भारत अभियान लिए एक साझेदारी के साथ, छोटे वन उत्पादनों में लगे हुए इन आदिवासियों को नई प्रसंस्करण प्रौद्योगिकियों, उत्पाद नवाचारों, मेंटरशिप, परिवर्तनकारी डिजिटल प्रणालियों और हैंड-होल्डिंग के लिए एक अवसर प्राप्त होगा। यह समझौता ज्ञापन, देश के सर्वोत्तम दिमागों के लिए एक मार्ग प्रदान करता है जिसके माध्यम से वे जनजातीय आजीविका की चिरस्थायी समस्याओं के समाधान में शामिल हो सकें।
इस अवसर पर आईआईटी, दिल्ली के निदेशक, वी रामगोपाल राव ने कहा कि, "आईआईटी के द्वारा समाज के साथ कई प्रकार से जुड़ने की दिशा में सोच-समझ कर काम किया जा रहा है। उदाहरण के लिए, हमारे पास इस प्रकार के तल्लीनता वाले कई कार्यक्रम हैं, जहां पर हम अपने संकाय के सदस्यों और छात्रों को उन स्थानों पर भेजने का प्रयास कर रहे हैं जहां पर वास्तविक रूप में समस्याएं व्याप्त हैं, चाहे वह अस्पतालों में काम कर रहे हों, गांवों में काम कर रहे हों, या उद्योग में काम कर रहे हों। इस प्रकार से, वे लोग समस्याओं की पहचान कर सकते हैं और उसके समाधान के लिए परिसर में प्रचुर मात्रा में उपलब्ध संसाधनों का उपयोग भी कर सकते हैं। इसलिए यह साझेदारी, प्रतिभाशाली दिमागों को वास्तविक समस्याओं के समाधान के लिए सही प्रकार से उपयोग करने का एक अवसर है, जिसके द्वारा वे समस्याओं का समाधान करने में सहायता प्रदान कर सकते हैं।
वन धन योजना, एमएफपी घटक के रूप में न्यूनतम समर्थन मूल्य प्रदान करने के साथ-साथ आदिवासियों के लिए रोजगार, आय और उद्यमिता को बढ़ावा देने वाले एक व्यापक विकास का अवसर प्रदान करता है। इस साझेदारी का सफलतापूर्वक कार्यान्वयन हो जाने से, जनजातीय लोगों को लाभ प्राप्त होगा और इस दिशा में कई ज्यादा आगामी पहलों को किया जा सकेगा, ट्राइफेड को विश्वास है कि आदिवासी आबादी की आर्थिक स्थिति को पुनर्जीवित करके, पूरे देश में जनजातियों के जीवन और आजीविका को संपूर्ण रूप से परिवर्तन करने में तीव्रता लाई जा सकेगी।
उन्नत भारत अभियान (यूबीए), मानव संसाधन विकास मंत्रालय (एमएचआरडी), भारत सरकार का एक प्रमुख राष्ट्रीय कार्यक्रम है, जो समावेशी भारत की वास्तुकला के निर्माण में सहायता प्रदान करने के लिए ज्ञानी संस्थानों का लाभ उठाकर, ग्रामीण विकास की प्रक्रियाओं में महत्वपूर्ण परिवर्तन करने की कल्पना करता है ।https://unnatbharatabhiyan.gov.in/index#network। आईआईटी, दिल्ली के उन्नत भारत अभियान प्रकोष्ठ में, एक सलाहकार समिति, एक कार्यकारी समिति और एक कोर वर्किंग ग्रुप शामिल किए गए हैं, जिसमें संस्थान के विभिन्न विभागों और केंद्रों से शामिल लगभग 40 सदस्य हैं। सेंटर फॉर रूरल डेवलपमेंट टेक्नोलॉजी (सीआरडीटी) के साथ-साथ आईआईटी दिल्ली का रू-टैग ग्रुप पूरी तरह से उन्नत भारत अभियान की गतिविधियों में शामिल हो रहा है। इसके द्वारा प्रत्यक्ष हस्तक्षेप के लिए, कुछ ग्रामीण समूहों की पहचान भी की गई है और यह विभिन्न प्रतिभागी संस्थाओं और स्वैच्छिक संगठनों के साथ नेटवर्किंग की प्रक्रिया कर रहा है।
उन्नत भारत अभियान (यूबीए) के अंतर्गत, आईआईटी दिल्ली ने बड़ी संख्या में नोडल संस्थानों (आईआईटी, एनआईटी, डीएसटी, डीबीटी, आईसीएआर, आईसीएमआर, एमजीआईआरआई सीएसआईआर प्रयोगशालाओं, इसरो, डीआरडीओ, बार्क और रक्षा प्रयोगशालाओं आदि), सामुदायिक संगठनों (गैर सरकारी संगठनों, पीआरआई और यूएलबी और अन्य सामुदायिक संगठनों), सीएसआर औद्योगिक जागरूक संगठनों के साथ एक मजबूत संरचनात्मक नेटवर्क तैयार किया है। वर्तमान समय में, यूबीए नेटवर्क में 44 क्षेत्रीय समन्वय संस्थान (आरसीआई) शामिल हैं जो समाधान की सुविधा प्रदान करते हैं, जिनमें 13 विषय विशेषज्ञ समूह (एसईजी), विशिष्ट विशेषज्ञ सलाहकार और 2600 से अधिक प्रतिभागी संस्थान (पीआई), क्षमताओं का निर्माण करने और उसका समाधान चाहने वालों यानी कि जनजातीय समुदायों के साथ जुड़े हुए हैं।