मंगलवार, 21 जुलाई 2020

वृद्ध बंदी कारामुक्त होने के बाद दर-दर की ठोकरें ना खाएं,सरकारी योजना से करें आच्छादित : हेमन्त सोरेन

संवाददाता : रांची झारखंड


      मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन की अध्यक्षता में राज्य सजा पुनरीक्षण की  बैठक मंत्रालय में सम्पन्न हुई। बैठक में राज्य के केंद्रीय कारागार में आजीवन कारावास की सजा काट कुल 127 बन्दियों को कारामुक्त करने का प्रस्ताव रखा गया। इनमें से 79 बंदियों को रिहा करने पर सहमति बनी है।  रांची से 50, हजारीबाग से 11, पलामू से 03, जमशेदपुर से 05 और दुमका केंद्रीय कारागार से 10 बंदियों को रिहा किया जायेगा। 40 बन्दियों की रिहाई के प्रस्ताव को रद्द एवं आठ प्रस्ताव को विचाराधीन रखा गया है।



वृद्ध बन्दियों के लिए कुछ करने की आवश्यकता, समय समय पर जानकारी लें


मुख्यमंत्री ने बैठक में अधिकारियों को स्पष्ट निदेश दिया कि कारामुक्त हो रहे वृद्ध बन्दियों खासकर महिला बन्दियों का विशेष ध्यान रखें। उनके परिजनों से संपर्क कर परिजनों का कॉउंसिलिंग करने के पश्चात उन्हें सौंपे। साथ ही समय समय पर उनका हाल भी लें। यह भी सुनिश्चित करें कि ऐसे बंदी कारामुक्त होने के बाद दर-दर की ठोकरें ना खाएं। सरकारी योजना से भी उन्हें लाभान्वित करें। यथा- राशन कार्ड, वृद्धा पेंशन, आवास योजना समेत अन्य लाभ।


रिहाई में इन बातों का रखा गया ध्यान..


बंदियों को रिहा करने के लिए बंदियों के अपराध की प्रकृति, आचरण, उम्र, कारा में व्यतीत वर्ष, उनकी आपराधिक मानसिकता (ताकि बाहर निकल कर पुनः अपराध न करे), बंदी के परिवार की सामाजिक-आर्थिक स्थिति का अवलोकन बारीकी से किया गया। जघन्य अपराध की श्रेणी में आने वाले बंदियों पर किसी तरह का विचार नहीं किया गया।


उपस्थिति


बैठक में मुख्य सचिव अपर मुख्य सचिव गृह, कारा एवं आपदा प्रबंधन विभाग एल खियांग्ते, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव राजीव अरुण एक्का, पुलिस महानिदेशक एमवी राव, प्रधान सचिव सह विधि परामर्शी विधि विभाग प्रदीप कुमार श्रीवास्तव, अध्यक्ष वाणिज्यकर ट्रिब्यूनल संजय प्रसाद, सहायक कारा महानिरीक्षक तुषार रंजन गुप्ता, विशेष कार्य पदाधिकारी दीपक विद्यार्थी व अन्य उपस्थित थे।