प्रजा दत्त डबराल @ नई दिल्ली
दिल्ली विश्वविद्यालय के कार्यकारी परिषद सदस्य और नेशनल डेमोक्रेटिक टीचर्स फ्रंट के महासचिव डॉ वी एस नेगी ने मानवाधिकार आयोग में शिकायत दर्ज कराई है।
4 महीने से बिना वेतन के इनके जीवन व कठिनाई की कल्पना कर सकते हैं केजरीवाल सिसोदिया जी ?
कॉन्ट्रैक्ट, MTS, क्लेरिकल, चौकीदार, चपरासी, ड्राइवर, लाइब्रेरी स्टाफ कर्मचारियों शिक्षकों के परिवारों के प्रति संवेदनशील बनें। दिल्ली सरकार 12 कालेजों पर सकारात्मक रुख अपनाए।
दिल्ली सरकार के पूर्णत फंडेड कई कॉलेजों में चल रहे वेतन और ग्रांट के आर्थिक संकट को लेकर नेशनल डेमोक्रेटिक टीचर्स फ्रंट के अकादमिक परिषद, कार्यकारी परिषद और डूटा में निर्वाचित प्रतिनिधियों ने राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग को पत्र लिखा है जिसमें एन डी टी एफ ने आयोग से शिक्षकों और कर्मचारियों का वेतन दिलाने की गुहार लगाई है। गौरतलब है कि दिल्ली सरकार के पूर्णत फंडेड अनेक कॉलेजों में पिछले तीन-चार महीने से शिक्षकों और कर्मचारियों को वेतन नहीं मिल रहा है।
एनडीटीएफ प्रतिनिधियों ने बताया कि पिछले दो-तीन महीने से वेतन न मिलने के कारण शिक्षकों और कर्मचारियों को अब अपना घर का खर्च चलाना भी मुश्किल होता जा रहा है। पत्र के अनुसार संविधान के अनुच्छेद 21 और 23 के तहत प्रत्येक व्यक्ति को जीवन जीने और काम के बदले मजदूरी का अधिकार प्राप्त है। लेकिन दिल्ली सरकार पिछले दो-तीन महीने से वेतन रोक कर संवैधानिक और मानव अधिकार की सीमाएं लांघ रही है ।
पत्र के अनुसार दिल्ली सरकार को ग्रांट और वेतन जारी करने के लिए कई बार अनुरोध किया जा चुका है लेकिन दिल्ली सरकार इन कॉलेजों से सौतेला व्यवहार कर रही है। इन कॉलेजों में समय पर ग्रांट जारी नहीं की जा रही है और जो ग्रांट दी भी जाती है वह पर्याप्त नहीं होती है। इसके कारण ज्यादातर कॉलेज वित्तीय संकट का सामना कर रहे हैं। वैश्विक महामारी में मेडिकल खर्च,बच्चों की शिक्षा के साथ कॉलेज के रखरखाव, बिजली और पानी के बिल का पैसा भी समय पर जारी नहीं किया जा रहा है।
एनडीटीएफ प्रतिनिधियों ने राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग को बताया कि ग्रुप सी और डी कर्मचारियों की स्थिति बहुत ही दयनीय है ।फंड के अनियमित होने या रोकने का दुष्प्रभाव इस सत्र में होने वाले दाखिलों पर भी पड़ने की संभावना है क्योंकि अपेक्षित शिक्षक ,कर्मचारी और सुविधाएं फंड की कमी से प्रभावित होंगी ।पत्र में बताया गया है कि 2016 -17 में सरकार ने कई नए पाठ्यक्रम आरंभ किए। सामान्य कमजोर वर्ग के विद्यार्थियों के लिए आरक्षण लागू होने से 25% सीटें कॉलेजों में बढ़ी लेकिन इसके मद्देनजर शिक्षक कर्मचारी और अन्य सुविधाओं के लिए सरकार ने आर्थिक अनुदान में वृद्धि नहीं की।
एनडीटीएफ प्रतिनिधियों ने मानवाधिकार आयोग से अनुरोध किया है कि आयोग वेतन जारी ना होने के मामले में संज्ञान लेकर निर्देश जारी करे कि दिल्ली सरकार शीघ्र इन कॉलेजों के कर्मचारियों और शिक्षकों की ग्रांट जारी करे।