संवाददाता : शिमला हिमाचल
मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर ने गुरूवार यहां सीआईआई द्वारा ‘एचपी इकोनाॅमिक समिट-गेटिंग द ग्रोथ बैक’ पर आयोजित एक वेबीनार के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए कहा कि प्रदेश औद्योगिक निवेश नीति के तहत औद्योगीकरण को बढ़ावा देने, इसे और अधिक प्रभावशाली व उद्योग अनुकूल बनाने के लिए आकर्षक प्रोत्साहन प्रदान कर रहा है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि कोविड-19 के उपरान्त इन क्षेत्रों में निवेश को आकर्षित करने के लिए पर्यटन नीति, फिल्म नीति, सूचना प्रौद्योगिकी नीति, आयुष नीति, सस्ती आवास नीति जैसी विभिन्न नीतियों को तैयार किया गया है। हिमाचल प्रदेश को देश का औद्योगिक केंद्र बनाने के लिए राज्य सरकार ने एक समग्र दृष्टिकोण अपनाया है। उन्होंने कहा कि आवास, बिजली उत्पादन, सीए स्टोर, साॅफ्टवेयर प्रौद्योगिकी पार्कों और इस तरह के पर्यटन, बुनियादी और औद्योगिक बुनियादी ढांचे जैसे क्षेत्रों में निजी क्षेत्र की भागीदारी लाभदायक हो सकती है।
जय राम ठाकुर ने कहा कि कोरोना महामारी ने विश्व अर्थव्यवस्था पर प्रतिकूल प्रभाव डाला है। इससे ग्लोबल इन्वेस्टर्स मीट की सफलता के उपरान्त राज्य सरकार द्वारा निर्धारित लक्ष्य भी प्रभावित हुए हंै। हालांकि अर्थव्यवस्था सबसे निचले स्तर पर पहुंच गई है, फिर भी सरकार इसे पुनर्जीवित करने और ग्लोबल इन्वेस्टर्स मीट में निर्धारित निवेश लक्ष्यों को हासिल करने के लिए प्रतिबद्ध है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि लाॅकडाऊन और मजदूरों के राज्य से बाहर चले जाने के कारण राज्य में उद्योग क्षेत्र बुरी तरह प्रभावित हुआ है। राज्य में लगभग 3636 कोरोना मामलों में से 800 मामले राज्य के औद्योगिक क्षेत्रों से सामने आए हैं। उन्होंने कहा कि औद्योगिक क्षेत्र को जोड़ने वाली सड़कों के फोरलेन पर काम में तेजी लाने का प्रयास किया जाएगा। उन्होंने कहा कि बद्दी, बरोेटीवाला, नालागढ़ औद्योगिक क्षेत्र में रेलवे कनेक्टिविटी सुनिश्चित करने के लिए केंद्र सरकार से मामला उठाया जाएगा।
जय राम ठाकुर ने कहा कि औद्योगिक क्षेत्रों में पानी की समस्या हल करने के लिए जल संरक्षण सुनिश्चित करने के लिए चेकडैम का निर्माण किया जाएगा। उन्होंने कहा कि प्रदेश सूक्ष्म, लधु एवं मध्यम औद्योगिक क्षेत्रों में केन्द्र सरकार द्वारा निर्धारित लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए कड़ी मेहनत कर रहा है। राज्य सरकार को उम्मीद है कि केंद्र सरकार द्वारा स्थापित किए जाने वाले तीन बल्क ड्रग्स पार्क में से निश्चित रूप से एक बल्क ड्रग पार्क हिमाचल प्रदेश में स्थापित किया जाएगा।
उद्योग मंत्री बिक्रम सिंह ठाकुर ने कहा कि प्रदेश सरकार राज्य में सूक्ष्म, लधु एवं मध्यम उद्योगों के पुनरुद्धार के लिए हर संभव सहायता प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने इस महामारी से निपटने में राज्य सरकार को हर संभव सहायता प्रदान करने के लिए उद्योग क्षेत्र का धन्यवाद किया।
अतिरिक्त मुख्य सचिव, उद्योग राम सुभाग सिंह ने कहा कि राज्य सरकार ने अर्थव्यवस्था के पुनरुद्धार के लिए कैबिनेट सब-कमेटी का गठन किया है। सरकार सुनिश्चित कर रही है कि कोविड महामारी के कारण अर्थव्यवस्था की गतिविधियों को नुकसान न हो। उन्होंने कहा कि राज्य में पहली बार बल्क ड्रग पार्क के निर्माण के लिए 2800 एकड़ भूमि को चिन्हित किया गया है।
सीआईआई हिमाचल प्रदेश के अध्यक्ष शैलेश पाठक ने राज्य में कोविड-19 महामारी से प्रभावी ढंग से निपटने के लिए मुख्यमंत्री का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी से राज्य की अर्थव्यवस्था को 30,000 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। उन्होंने कहा कि एक पहाड़ी राज्य होने के कारण हिमाचल प्रदेश में विभिन्न विकासात्मक बाधाएं हैं, लेकिन साथ ही यह कई अतिरिक्त भी अवसर प्रदान करता है।
सीआईआई हिमाचल के उपाध्यक्ष शैलेश अग्रवाल ने मुख्यमंत्री से राज्य के औद्योगिक क्षेत्रों में रेल और सड़क नेटवर्क को सुदृढ़ करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि औद्योगिक क्षेत्र में आंतरिक सड़कों के उचित रख-रखाव और बेहतर बनाने की आवश्यकता है। उन्होंने बद्दी, बरोटीवाला, नालागढ़ औद्योगिक क्षेत्र में चेक डैम के निर्माण का भी सुझाव दिया।
माइक्रोटेक के अध्यक्ष सुबोध गुप्ता ने कहा कि कोरोना महामारी के कारण लगाए गए लाॅकडाउन के परिणामस्वरूप वैश्विक अर्थव्यवस्था में मंदी आई है, जिससे भारत और हिमाचल प्रदेश भी अछूते नहीं हैं। उन्होंने कहा कि राज्य की राजस्व प्राप्तियों में भारी वृद्धि हुई है। राज्य को फल प्रसंस्करण, आईटी, जैव प्रौद्योगिकी, सौर ऊर्जा, एमएसएमई आदि पर ध्यान केन्द्रित करने की आवश्यकता है। उन्होंने राज्य सरकार को इन क्षेत्रों में उद्यमियों को विशेष प्रोत्साहन प्रदान करने का सुझाव दिया।
उद्योगपति सुकेत सिंघल ने कहा कि हिमाचल प्रदेश को देश के फल राज्य के रूप में जाना जाता है जहां फल प्रसंस्करण क्षेत्र में निवेश की अपार संभावनाएं हैं। उन्होंने कहा कि उपज का मूल्यवर्धन सुनिश्चित करने के लिए सहकारी समितियों का गठन किया जाना चाहिए।
इस अवसर पर निदेशक उद्योग हंस राज शर्मा, उद्योगपति हरीश अग्रवाल, संजय खुराना, बिनोद, राजेन्द्र गुलेरिया, अनिल सहगल, राजीव अग्रवाल आदि उपस्थित थे।