कवयित्री श्वेता सिंह की कलम से...
कुछ तेरे साथ हूँ
जब से किया तेरा नाम राहतों में शामिल
कुछ तो दूर हूँ खुद से, कुछ तेरे पास हूँ !
जब से पाया तुझे अपनी ज़िंदगी में
कुछ हूँ खुद के साथ, कुछ तेरे साथ हूँ !
अपनी ही ख़बर आज-कल मिलती नहीं
इस क़दर अपने हाल से अंजान हूँ !
तेरी धड़कनों में रहता होगा कोई नाम
क्या मैं भी तेरे दिल में मेहमान हूँ !
अब मुलाक़ात हो, तो हो कुछ इस तरह
कि लगे तेरा ही मैं बस एक अरमान हूँ !!