प्रजा दत्त डबराल @ नई दिल्ली
सीमांत के आखिरी गांव तक के बच्चों को शिक्षा में समानता: प्रो.डॉ.मोहन पंवार (हेमवती नंदन बहुगुणा विश्वविद्यालय)
उच्च शिक्षा सोपानों में सबसे बेहतरीन संभावना सुनिश्चित: डॉ. बी डब्ल्यू पांडे (दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स)
भारत में केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा प्रस्तावित व लागू की गई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 का देश भर में स्वागत किया जा रहा है। शिक्षा मंत्रालय के गठन व शिक्षा क्षेत्र में अगले दो-तीन दशकों तक का पथ प्रदर्शक बनने वाली शिक्षा नीति के आने से भारत को विश्व गुरु बनने से कोई अवरोध शायद ही बाकी बचा हो।
हेमवती नंदन बहुगुणा केंद्रीय विश्वविद्यालय के प्रोफेसर मोहन सिंह पंवार ने नई शिक्षा नीति को भारत के 21वीं शताब्दी में विश्व में ज्ञान क्रांति का सूचक बताते हुए कहा कि अपने पांच दशक के शैक्षणिक जीवन में समस्त देश की भौगोलिक सामाजिक व सांस्कृतिक विविधता को ध्यान में रखते हुए जो शिक्षा नीति शिक्षा मंत्री माननीय डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक जी के नेतृत्व में लागू की गई है वहां भारत के संपूर्ण स्वरूप को शिक्षा जगत से जोड़ने का विस्तृत रोड मैप है।
प्रोफेसर पंवार जोकि हिमालय के उच्चतर क्षेत्रों में सामाजिक आर्थिक व सांस्कृतिक सृजन व पर्यावरण पर कार्य करते हैं ने बताया कि देश के सुदूर सीमावर्ती क्षेत्रों में बसे गांव मैं रहने वाले जनसामान्य वह विद्यार्थियों को इस शिक्षा नीति में बड़े से बड़े शहरों व विकसित प्रदेशों के समकक्ष पढ़ाई के अवसर उपलब्ध कराने का प्रस्ताव है। यह केवल इन हिमनद क्षेत्रों से जानकार मंत्री महोदय के कारण ही संभव हो सका।
इसी कड़ी में दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रतिष्ठित दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में कार्यरत भूगोल प्राध्यापक प्रोफेसर विंध्यवासिनी पांडे ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति में उच्च शिक्षा में किए गए प्रावधानों का उल्लेख करते हुए कहा की उच्च शिक्षा में सर्टिफिकेट कोर्स, डिप्लोमा कोर्स, डिग्री कोर्स, और ऑनर्स कोर्स के साथ शोध जोड़ने से शिक्षा की गुणवत्ता में भारी गुणात्मक सुधार आने की प्रस्तावना तय की गई है।
प्रोफेसर पांडे ने बताया कि उच्च शिक्षा में अपनी क्षमता अनुसार विद्यार्थी व शिक्षा के साथ-साथ प्रशासनिक व शासनिक समर्थन के साथ समाज राष्ट्र व विश्व के कल्याण के लिए शोध में उसकी भागीदारी इस शताब्दी के लिए मानव कल्याण में वरदान सिद्ध होगी।