सोमवार, 21 सितंबर 2020

प्राचीन छड़ी यात्रा पहुची गंगोत्री धाम, जिलाधिकारी, एसएसपी ने किया स्वागत...

संवाददाता : हरिद्वार उत्तराखंड 


      उत्तराखंड के समस्त तीर्थो और चारो धाम की यात्रा पर निकली श्रीपंच दशनाम जूना आनंद भैरव अखाड़ा द्वारा संचालित प्राचीन छड़ी यात्रा रविवार को गंगा के उदगम स्थल गंगोत्रीधाम पहुची,जहां गंगोत्री धाम के मुख्य रावल शिवप्रकाश व अन्य पुजारीगण पंण्डित राकेश सेमवाल आदि ने पवित्र छड़ी की पूजा अर्चना कर माॅ गंगा की की पवित्र धारा में स्नान कराया और वैदिक मंत्रोच्चार के मध्य माॅ गंगा के मन्दिर में छड़ी के प्रमुख महंत श्रीमहंत प्रेमगिरि व साधुओं ने की जमात के साथ कुम्भ 2021 के सकुशल भव्य तथा निर्विघ्न सम्पन्न कराने,कोरोना जैसी वैश्विक महामारी को समाप्त करने तथा केन्द्र एवं प्रदेश के राष्ट्रीय नेताओं केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह,प्रदेश के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत आदि के स्वस्थ व दीघार्यु होने की कामना के साथ आर्शीवाद मांगा।   


जूना अखाड़े के अन्र्तराष्ट्रीय संरक्षक श्रीमहंत हरिगिरि महाराज ने बताया यह पवित्र छड़ी यात्रा राष्ट्र की उन्नति,साम्प्रदायिक सौहार्द तथा विश्वशांति की कामना व भावना के साथ की जा रही है। लगभग 25 दिन की इस यात्रा में समस्त उत्तराखण्ड के तीर्थो में साधु-संतो द्वारा कोरोना की समाप्ति,कुम्भ मेला 2021 के सकुशल सम्पन्न होने तथा राष्ट्रीय नेताओं के स्वास्थ्य व कुशलता के लिए विशेष पूजा अर्चना की जायेगी।



गंगोत्रीधाम रवाना होने से पूर्व पवित्र छड़ी ने रात्रि में उत्तरकाशी में विश्राम किया था। रविवार सबेरे पवित्र छड़ी काशी विश्वनाथ मन्दिर दर्शनों के लिए पहुची,जहां जिलाधिकारी मयूर दीक्षित,वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक पंकज भटट्,उपजिलाधिकारी देवेन्द्र सिंह नेगी,तहसीलदार प्रेमसिंह रावत,कोतवाल महादेव उनियाल,लेखपाल प्रकाशचन्द्र रमोला,पंचराम राणा,गढवाल मण्डल विकास निगम के निदेशक लोकेन्द्र सिंह विष्ट आदि ने पवित्र छड़ी की पूजा अर्चना की तथा काशी विश्वनाथ महादेव के दर्शन व पूजा के बाद छड़ी को गंगोत्रीधाम के लिए रवाना किया। पवित्र छड़ी के साथ तहसीलदार प्रेमसिह रावत भी गंगोत्रीधाम के लिए रवाना किए है।


साधुओं के जत्थे में महंत विशम्भर भारती,महंत पारसपुरी,महंत कमलभारती,महंत भानपुरी,महंत अमृतपुरी,महंत मोहनानंद गिरि,महंत विमल गिरि,महंत राघवेन्द्र गिरि,महंत भगतगिरि के अतिरिक्त छड़ी महंत पुष्करराज गिरि,श्रीमहंत शिवदत्त गिरि आदि शामिल रहे।