प्रजा दत्त डबराल @ नई दिल्ली
जिन्होंने ६३ दिन की लगातार भूख हड़ताल के बाद आज़ादी की बलिदेवी पर १३ सितम्बर,१९२९ को अपने प्राणों की आहित दी।
बम विस्फोट के विशेषज्ञ जतीन्द्र नाथ,शहीद भगत सिंह के अत्यंत साहसी सहयोगी थे।लाहौर षड्यंत्र काण्ड के दौरान उन्होंने राजनीतिक क़ैदियों को विशेष दर्जा दिलवाने के लिए भूख हड़ताल की।६३ दिनों की भूख हड़ताल के बाद १३ सितम्बर १९२९ की उनकी मृत्यु हो गई।
प्रशांत सी बाजपेयी (अध्यक्ष, स्वतंत्रता आन्दोलन यादगार समिति) ने हमारे संवाददाता को बताया की शहीद जतीन्द्र नाथ दास के अंतिम संस्कार के लिए उनके पार्थिव शरीर को लाहौर से कलकत्ता रेल द्वारा ले जाने के लिए क्रांतिकारी दुर्गा भाभी ने बोस्टल जेल-लाहौर से यात्रा शुरू किया।हज़ारों लोगों ने उस सच्चे शहीद को अपनी श्रद्धांजलि दी।
अंतिम यात्रा में जन सैलाब,उस दौरान क्रांतिकारियों के प्रति जन भावनाएँ देश में किस कदर उमड़ पड़ी थी। दिल्ली में लाखों लोग शहीद जतीन्द्र नाथ दास के अंतिम दर्शन के एकत्र हुए। कानपुर में जब रेल गाड़ी पहुँची तो वहाँ पंडित जवाहरलाल नेहरु और गणेश शंकर विद्यार्थी के नेतृत्व में लाखों लोग श्रद्धांजलि देने के लिए इंतज़ार कर रहे थे। इलाहाबाद में कमला नेहरू के नेतृत्व में ऐसे ही जनता की लहर उमड़ पड़ी।कलकत्ता की अंतिम यात्रा में सुभाष चंद्र बोस के साथ लाखों लोगों ने जतीन्द नाथ दास को भावभीनी श्रद्धांजलि देने के लिए एकत्र हुए। मीलों तक लोगों को देखा जा सकता था।अनेक अन्य स्थानों पर भी श्रद्धांजलि सभाओं का आयोजन हुआ। देश भर लोगों ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित कि जा रहा था।
स्वतंत्रता संग्राम में अपने प्राणों की आहुति देने वाले सत्याग्रही-क्रांतिकारी देशभक्त जतीन्द्र नाथ दास की 91 वीं पुण्यतिथि पर
शत् शत् नमन।।