रविवार, 31 जनवरी 2021

भ्रष्टाचार के खिलाफ सरकार का जीरो टॉलरेन्स,दो दिन में देवघर के दो पदाधिकारी हुए निलंबित

 संवाददाता : रांची झारखंड

भ्रष्टाचार से कोई समझौता नहीं। सरकार गठन के बाद ही मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने भष्टाचार के मामले में जीरो टॉलरेन्स की बात कही थी। इस परिपेक्ष्य में विगत एक वर्ष में ठोस निर्णय लिए गए। इस कड़ी में शनिवार को मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने जिला अवर निबंधक, देवघर राहुल चौबे के निलंबन प्रस्ताव को स्वीकृति दी है। उनपर देवीपुर अंचल में 31 एकड़ जमीन के निबंधन में नियमों की अवहेलना करने के आरोप में कार्रवाई की गई है।

दूसरी ओर, एक दिन पूर्व ही राजस्व कार्यों में अनियमितता, देवघर अंचल में पिछले एक साल में किए गए राजस्व संबंधी कार्यों की जांच समिति को सहयोग नहीं करना, बिना अवकाश स्वीकृत कराए अनाधिकृत रूप से अपने कार्यालय एवं मुख्यालय से अनुपस्थित रहना, अपने कार्यों के प्रति लापरवाही, उच्चाधिकारियों द्वारा दिए गए आदेश की अवहेलना, कर्तव्यहीनता, आम जनों के प्रति असंवेदनशीलता एवं विधि व्यवस्था संधारण और आम जनों के कार्यों के निष्पादन में लापरवाही बरतने के आरोप में मुख्यमंत्री ने अंचल अधिकारी, देवघर अनिल कुमार सिंह के निलंबन प्रस्ताव को स्वीकृति दी है। 

आईपीएस अधिकारी पर कार्रवाई, भ्रष्टाचार पर अनदेखी नहीं

भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी अनुराग गुप्ता (संप्रति निलंबित) के विरुद्ध भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की धारा 7 एवं 13 (1) (d) और 13 (2) सह पठित भारतीय दंड विधान की धारा 120 (b) के तहत कार्रवाई की जाएगी। गृह, कारा एवं आपदा प्रबंधन विभाग के इससे संबंधित प्रस्ताव को मुख्यमंत्री ने स्वीकृति दी है। साथ ही, बुंडू प्रखंड के तत्कालीन प्रखंड विकास पदाधिकारी और वर्तमान में निलंबित ललन कुमार को सेवा से बर्खास्त करने के प्रस्ताव और ग्रामीण विकास विभाग कार्यमंडल, सिमडेगा के कार्यपालक अभियंता अरविंद कुमार को निलंबित करने के प्रस्ताव पर सहमति दे दी। एसीबी की टीम ने कार्यपालक अभियंता को अपने आवास में संवेदक से रिश्वत लेने के आरोप में गिरफ्तार किया था।

रक्षक होकर कटवाए वृक्ष, आपूर्ति में हुई गड़बड़ी, दर्ज करें एफआईआर

मेदिनीनगर वन प्रमंडल के कुंदरी प्रक्षेत्र के वन क्षेत्र पदाधिकारी जितेंद्र कुमार हाजरा के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने के प्रस्ताव को मुख्यमंत्री ने स्वीकृति दी। उनके खिलाफ माफियाओं की मिलीभगत से 15 हेक्टयर से ज्यादा वनभूमि से लगभग 535 पेड़ों का अवैध पातन करने एवं अन्य आऱोप है। धनबाद नगर निगम में ई-गवर्नेंस कार्यों हेतु कंप्यूटर सामग्रियों और अन्य उपकरणों की आपूर्ति में बरती गई अनियमितता को लेकर तत्कालीन नगर आयुक्त मनोज कुमार, तत्कालीन उप नगर आयुक्त प्रदीप कुमार प्रसाद और अनिल कुमार यादव के खिलाफ अलग-अलग प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश भी मुख्यमंत्री ने दिया है। इन तीनों के खिलाफ विभागीय कार्यवाही शुरू करने, नगर निगम के तत्कालीन अरबन रिफॉर्म स्पेशलिस्ट मनीष कुमार के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश दिया गया है। वहीं कनीय पर्यवेक्षक-सह-भंडारपाल हरिशचंद्र पांडेय एवं लेखापाल अनिल कुमार मंडल को निलंबित किया गया है।

एसीबी इनके खिलाफ करेगी आरोपों की जांच

मुख्यमंत्री ने झारखण्ड उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार (विजिलेंस) के पत्र के आलोक में दुमका के तत्कालीन प्रधान जिला एवं सत्र न्यायधीश ओम प्रकाश सिंह के खिलाफ दुमका नगर थाना में भारतीय वन अधिनियम-1927 और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम –1988 की विभिन्न धाराओं के अंतर्गत दर्ज मामले, निरंजन कुमार  के खिलाफ गंभीर आरोपों, झारखण्ड राज्य सहकारी बैंक के रांची शाखा और सरायकेला शाखा में वित्तीय अनियमितता, राशि का गबन और दुरुपयोग मामले की जांच, धनबाद नगर निगम में 14वें वित्त आयोग की योजना में लगभग दो सौ करोड़ रुपए के प्राक्कलन घोटाले, देवघर प्रखंड स्थित मसनजोरा ग्राम पंचायत के मथुरापुर ग्राम  में  मनरेगा योजनाओं में बरती गई अनियमितता की जांच भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो से एवं गिरिडीह डिवीजन के अंतर्गत गिरिडीह के प्रधान डाकघर और गिरिडीह टाउन उप डाकघर में जमा 11 करोड़, 64 लाख, 38 हजार , 635 रुपए की फर्जी निकासी के जरिए की गई धोखाधड़ी मामले को गहन अनुसंधान हेतु सीबीआई को हस्तांतरित करने के प्रस्वाव को स्वीकृति दी है। इसके अतिरिक्त 132 गृह रक्षकों द्वारा नामांकन के दौरान व बाद में भी जाति प्रमाण पत्र को छिपाकर 28 सालों तक सेवा करने वालों के खिलाफ जांच कराने का एवं सरकार से पारिश्रमिक व भत्ता इत्यादि लेने के मामले में इन गृह रक्षकों से अगले आदेश तक  कोई भी कार्य नहीं लेने का आदेश मुख्यमंत्री ने दिया है।

इनके माध्यम से वर्तमान सरकार ने भ्रष्टाचार के खिलाफ कड़ी कार्रवाई का संदेश  दिया है।  सरकार का मानना है कि बेहतर कार्यप्रणाली विकसित कर झारखण्ड को एक नई दिशा दी जा सकती  है। इसके लिये कार्यपालिका को ईमानदारी से अपने दायित्वों का पालन करना है।