शनिवार, 16 नवंबर 2019

पदम भूषण स्वर्गीय शशि भूषण कि पुस्तक का विमोचन ,"शशि भूषण-लोकतंत्र के हक में"...

प्रजा दत्त डबराल @ नई दिल्ली


      11 नवंबर को आई एस ई ने पदम भूषण स्वर्गीय शशि भूषण का 95वीं जन्म दिवस मनाया । इस मौके पर "शशि भूषण-लोकतंत्र के हक में" उनके पुस्तक का विमोचन भी हुआ।


शरद यादव (पूर्व केंन्द्र मंत्री एवं अध्यक्ष लोकतान्त्रिक जनता दल), डी.पी त्रिपाठी (पूर्व सांसद एवं महामंत्री एन सी पी), के सी त्यागी, (पूर्व सांसद  एवं महामंत्री जेडीयू ) ,अजय तिवारी (लेखक व पत्रकार), राजेन्द्र सोलंकी, (पूर्व एमएलए) ,प्रशांत बाजपेयी (अध्यक्ष,आई एस ई ) समारोह में उपस्थित थे ।



पुस्तक विमोचन "संसद में शशि भूषण-लोकतंत्र के हक में"फोटो में L to R प्रशांत सी बाजपेयी, डॉ भास्कर राव,प्रोफेसर अजय तिवारी, शरद यादव, डी पी त्रिपाठी ,राजेन्द्र स़ोलंकी।


इन सभी ने शशि भूषण जी के जीवन्त व्यक्तित्व, समाजवादी विचारों,उनके जनता की ज़मीनी समस्याओं जैसे जातिवाद,दलितों का शोषण,भूमिहीन किसानों व श्रमिकों पर किए जा रहे दमन व शोषण जैसे गम्भीर मुद्दों को  शशि भूषण जी द्वारा  संसद व संसद के बाहर प्रगतिशील भूमिका निभाई।


इसी प्रकार उनका संघर्ष एक तरफ जहां राजनीतिक संकीर्णता और साम्प्रदायिक कट्टरतावाद के विरूद्ध था, वहीं दूसरी तरफ लोकहितकारी नियमों और सेक्यूलर संस्कृति के पक्ष में था। इसी संघर्ष में उन्होंने कांग्रेस के भीतर और बाहर की सभी प्रगतिशिल शक्तियों को एकजुट किया। इस एकजुटता का सबसे उज्ज्वल प्रमाण मिला 



राष्टी्पिता के जुनाव में। यह बात राजनीति के अध्येताओं को भूली नहीं है कि कांग्रेस के अधिकृत उम्मीदवार के खिलाफ,इन्दिरा गांधी के उम्मीदवार वी वी गिरि के पक्ष में " अंतरात्मा की आवाज़ " पर वोट देना का आह्वान शशि भूषण जी ने ही किया था। इस घटना से केवल कांग्रेस की ही नहीं,भारतीय राजनीति की भी दिशा बदल ग‌ई।


बैंकों का राष्टीयकरण,राजा-महाराजाओं के विशेष अधिकार:प्रवीपर्स की समाप्ती,भारतीय संविधान की प्रस्तावना में समाजवाद और धर्मनिरपेक्षता शब्द जोड़ने जैसे अनेक राष्टीय महत्पूर्ण विषयों पर अपने युवा तुर्क साथियों के साथ महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। शशि भूषण जी ने महात्मा गांधी को अपना आदर्श और प्रेरणा माना था।