गुरुवार, 30 अप्रैल 2020

"बहुत खूबसूरत इस दुनिया के नजारे " कवयित्री कुसुम डबराल की कलम से...

कवयित्री और सामाजिक कार्यकर्ता कुसुम डबराल की कलम से :-


"बहुत खूबसूरत इस दुनिया के नजारे"


बहुत खूबसूरत इस दुनिया के नजारे हो गये,
जिस पल से ऐ सनम हम तुम्हारे हो गये...


हसरतों के दफ़न,का सामान होना,चाहिए...
दिल के एक,कोने में कब्रिस्तान होना  


 खामोश आँखो में और कितनी वफ़ा रखु ...
तुझी को चाहूं और तुझी से फासला रखु   


 
भेजी थी एक अर्जी आज उसके पते पर
वापस कर दी संगदिल ने कह मेरी गलियाँ बन्द है...


 रब लिखूँ, ख्वाहिश लिखूँ, मेहरबाँ लिखूँ या फरमाइश लिखूँ !
उड़ेल कर दिल के जज्बात कागज पे, आ ए  सनम तुझ पर मैं एक किताब लिखूँ !


होंठों पे है हँसी चेहरा नूरानी है..!!
चौकिये मत हुज़ूर सब आपकी मेहरबानी है...!!


जिला पूर्ति अधिकारी जसवन्त सिंह कंडारी के नेतृत्व में चला राजकीय अन्न भंडार ट्रांसपोर्ट नगर में औचक निरीक्षण...

संवाददाता : देहरादून उत्तराखंड 


       आज संभागीय खाद्य नियंत्रक गढ़वाल संभाग चन्द्र सिंह धर्मसत्तु एवं जिला पूर्ति अधिकारी जसवन्त सिंह कंडारी के नेतृत्व में राजकीय अन्न भंडार ट्रांसपोर्ट नगर का निरीक्षण किया गया। 


इस दौरान गोदाम पर उपस्थित विभाग के कर्मियो एवं विभाग की अंतिम सीढ़ी जनपद के उचित दर विक्रेताओं को पुष्प देकर उनके सराहनीय कार्य के लिए सम्मानित किया गया एवं निर्देश दिए गए कि इस महामारी में उपभोक्ताओं को सुचारू एवं निरंतर रूप से खाद्यान्न आदि की रसद बनाए रखने के लिए समुचित व्यवस्था एवं कोई भी उपभोक्ता इस दौरान खाद्यान्न आदि से वंचित न रहे। 



इस हेतु निर्देश दिए गए एवं इस दौरान विक्रेताओं को आ व्यवहारिक समस्यायो पर भी चर्चा की गई तथा निस्तारण करने के प्रयासों के लॉक डाउन के दौरान बंद कांटो निकटवर्ती कांटो को तत्काल प्रभाव से खोलने हेतु सहायक नियंत्रक विभाग से गोदाम के निकट धर्म कांटो को खुलवाने की व्यवस्था एवं अन्य कार्रवाई अपने स्तर पर करने हेतु दूरभाष पर आर.एफ़.सी द्वारा निर्देशित किया गया, निरीक्षण के दौरान जिला पूर्ति अधिकारी द्वारा जनपद के विक्रेता को मासिक आवटन के सापेक्ष शतप्रतिशत वदसपमद करने के निर्देश दिए गए। 


महोदय द्वारा भी समय समय पर आवंटन की समीक्षा करने की बात कही गई द्य ह्म्द्घष् महोदय द्वारा खाद्यान्न की गुणवत्ता एवं उचित तोल के संबंध में गोदाम प्रभारी हरेंद्र सिंह रावत को निर्देशित किया गया कि किसी भी दशा में इस संबंध में कोई भी शिकायत प्राप्त न हो यदि हो तो उसका तत्काल निस्तारण किया जाए एवं एवं गोदाम को प्राप्त हो रहे खाद्यान्न की उचित वजन एवं गुणवत्ता का पर प्रभावी नियंत्रण रखने के निर्देश दिए गए,जिला पूर्ति अधिकारी द्वारा दुकान / प्रवर्तन प्रभारी विभूति जुयाल को निर्देशित किया गया की गोदाम से दुकान तक खाद्यान्न की पांहुच एवं गुणवत्ता की समीक्षा करते हुए समय-समय पर अवगत कराएं एवं विक्रेताओं को खाद्यान्न आदि दुकानों तक पहुंचने पर व्यवस्था या अन्य कठिनाई उत्पन्न ना हो इसकी भी समीक्षा करते रहे द्य इसके अतिरिक्त खाद्यान्न का योजना वार महावार व वस्तु वार उठान सुचारू एवं नियंत्रण नियमित रूप से सुनिश्चित कियघ् जाने के भी निर्देशविभूति जुयाल को दिये गए  निरिक्षण के समय मौके पर गोदाम प्रभारी हरेंद्र सिंह रावत दुकान विजय कन्थुरा, प्रशांत बिष्ट एवं गोदाम कर्मचारी व विभिन्न क्षेत्रों के विक्रेता उपस्थित रहे ।


प्रदेश में टेलीमेडिसिन सेवा व दून मेडिकल कॉलेज में ई-हॉस्पिटल सेवा का शुभारंभ...

संवाददाता : देहरादून उत्तराखंड 


      मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत बुधवार को प्रदेश में बहु प्रतीक्षित टेलीमेडिसिन सेवा व दून मेडिकल कॉलेज में ई-हॉस्पिटल सेवा का शुभारंभ किया। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कहा कि कोविड-19 जैसी विश्वव्यापी महामारी में संक्रमण के प्रसार को कम करने के लिए अस्पतालों में भीड़ को कम करने जैसे उपायों के लिए यह सेवा एक सटीक उपकरण साबित होगी साथ ही सुदूर क्षेत्रों जहां चिकित्सा सेवाओं हेतु विशेषज्ञ राय की आवश्यकता होती है वह भी पहुंच पाएगी।


मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह ने दून मेडिकल कॉलेज, देहरादून में ई-हॉस्पिटल सेवा के शुभारम्भ के अवसर पर कहा कि ई-हॉस्पिटल सुविधा के प्रारंभ होने से मरीजों को दी जाने वाली सेवाओं के ऑनलाइन प्रबंधन से कार्य की गुणवत्ता बढ़ाने में सहायता होगी। उन्होंने कहा कि ई-हॉस्पिटल सेवा दीनदयाल चिकित्सालय (कोरोनेशन) देहरादून व जिला चिकित्सालय अल्मोड़ा में पहले से ही चलाई जा रही है।




टेलीमेडिसिन के अंतर्गत एनआईसी, भारत सरकार द्वारा उपलब्ध करवाए गए टेलीमेडिसिन सॉफ्टवेयर को प्रदेश के जिला चिकित्सालय व अन्य चिकित्सालयों में प्रयोग में लाया जाएगा। यह सेवा https://ors.gov.in व https://ehospital.gov.in के माध्यम से उपलब्ध होगी। वहीं CDAC द्वारा उपलब्ध करवाए गए संजीवनी टेलीमेडिसिन सॉफ्टवेयर का उपयोग प्रदेश के मेडिकल कॉलेजों में किया जायेगा। ई-संजीवनी टेलीमेडिसिन सेवा https://esanjeevaniopd.in के माध्यम से उपलब्ध होगी।


इस सेवा हेतु कोई भी रोगी मोबाइल फोन से भी चिकित्सकीय राय ले पाएंगे। वर्तमान में यह सेवा जिला चिकित्सालय अल्मोड़ा, दीनदयाल चिकित्सालय (कोरोनेशन) देहरादून, बेस चिकित्सालय हल्द्वानी, संयुक्त चिकित्सालय प्रेमनगर देहरादून, सुशीला तिवारी मेडिकल कॉलेज हल्द्वानी व दून मेडिकल कॉलेज देहरादून में प्रारंभ की गई है। भविष्य में सभी जिला चिकित्सालयों एवं मेडिकल कॉलेजों में विस्तारित की जाएगी।


इस अवसर पर कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज, मदन कौशिक, डॉ हरक सिंह रावत, यशपाल आर्य, अरविन्द पाण्डेय, सुबोध उनियाल, राज्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत, मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह, स्वास्थ्य सचिव नीतीश कुमार झा, महानिदेशक स्वास्थ्य डॉ अमिता उप्रेती, उप महानिदेशक एनआईसी के नारायणन, स्वास्थ्य महानिदेशालय एवं एनआईसी के अन्य अधिकारीगण उपस्थित थे।



बाजार में एकाएक भीड़ न बढ़े इसके लिए दुकानों को ओड-ईवन नम्बर के हिसाब से खुलवाने पर विचार किया...

संवाददाता चंडीगढ़ हरियाणा 


      हरियाणा के उप-मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने कहा कि कोविड-19 के कारण उत्पन्न स्थति के दृष्टिïगत 3 मई, 2020 तक लगाए गए राष्टï्रव्यापी लॉकडाउन के दौरान रोजमर्रा की आवश्यक वस्तुओं की उपलब्धता व चरणबद्घ तरीके से दुकानों व वाणिज्यिक प्रतिष्ठïानों को खोलने के लिए केन्द्रीय गृह मंत्रालय द्वारा राज्यों को पहले ही दिशा-निर्देश जारी किए जा चुके हैं। इसी कड़ी में बाजार में एकाएक भीड़ न बढ़े इसके लिए दुकानों को ओड-ईवन नम्बर के हिसाब से खुलवाने पर विचार किया जाना चाहिए। 


आज यहां अपने निवास पर पत्रकारों से बातचीत करते हुए उप-मुख्यमंत्री ने कहा कि कोरोना वायरस पूरे विश्व में एक महामारी का रूप ले चुका है। देश के अनेक राज्य इसकी चपेट में हैं। हरियाणा में बेहतर प्रबंधन के चलते स्थिति कुछ नियंत्रण में है।



उन्होंने कहा कि इस संकट से लड़ाई लडऩे में डॉक्टरों, नर्सों, पैरा मेडिकल स्टाफ, पुलिस तथा अन्य आवश्यक सेवाएं उपलब्ध करवाने वाले विभागों के कर्मचारियों के साथ-साथ मीडियाकर्मी भी अपनी जान जोखिम में डालकर लोगों तक पल-पल की जानकारी पहुंचा रहे हैं। हरियाणा सरकार ने चण्डीगढ़ में मीडियाकर्मियों का कोरोना टेस्ट भी करवाने के प्रबंध किए तथा साथ ही उन्होंने स्वयं का कोरोना टेस्ट भी करवाया।  


उप-मुख्यमंत्री ने कहा कि ग्रीन जोन व अन्य क्षेत्रों में चरणबद्घ तरीके से आरंभ किए गए औद्योगिक व वाणिज्यिक गतिविधियों में 73 हजार से अधिक श्रमिक काम पर लौटे हैं। इसी प्रकार, ईंट-भट्ठों पर लगभग 2.07 लाख से अधिक मजदूर काम पर लौट आए हैं। इसके अलावा, निर्माण स्थलों पर 16 हजार से अधिक मजदूरों को इन-सिटू काम पर रखने की अनुमति दी गई है।


बशर्ते कि सभी मजदूर लॉकडाउन के नियमों का पालन करते हुए मास्क व सेनेटाइजर का उपयोग करेंगे और हर दो घण्टे में साबुन से अपने हाथ धायेंगे। उन्होंने कहा कि जो क्षेत्र कोरोना से प्रभावित नहीं हैं, उन क्षेत्रों में उद्यमी स्व-प्रमाण पत्र देकर अपना उद्योग संचालित कर सकते हैं। पहले ब्लॉक स्तर की कमेटी पांच श्रमिकों तक वाले प्रतिष्ठïानों को खोलने की अनुमति के लिए अधिकृत थी अब इसे बढ़ाकर 20 मजदूरों तक किया गया है। उन्होंने कहा कि उद्यमी अपनी इकाइयों के पुन: संचालन के लिए पोर्टल पर ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। 


केसीसीबी के अध्यक्ष ने हि.प्र. एसडीएमए कोविड-19 एसडीआरएफ में 51 लाख रुपये का चेक भेंट किया...

संवाददाता : शिमला हिमाचल


        कांगड़ा केन्द्रीय सहकारिता बैंक (केसीसीबी)के अध्यक्ष डाॅ. राजीव भारद्वाज ने बैंक की ओर से मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर को हि.प्र. एसडीएमए कोविड-19 स्टेट डिजास्टर रिस्पाॅंस फंड के लिए 51 लाख रुपये का चेक भेंट किया। अध्यक्ष द्वारा इस फंड में बैंक के कर्मचारियों की ओर से 23,73205 रुपये का एक और चेक भी दिया गया।

 


 

हि.प्र. पैरा रेग्यूलर टीचर संघ ने भी  इस फंड में 1,01,000 रुपये का योगदान दिया। शिमला मंत्री सुरेश भारद्वाज ने इस अवसर पर उपस्थित थें ।मुख्यमंत्री ने इस पुनीत कार्य के लिए उनका आभार व्यक्त किया।

खाद-बीज की क्वालिटी को लेकर शिकायत न आए : मुख्यमंत्री भूपेश बघेल

संवाददाता : रायपुर छत्‍तीसगढ़


    मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने राज्य के किसानों को खरीफ के लिए बेहतर क्वालिटी का बीज और मानक गुणवत्ता वाले रायसानिक उर्वरकों के उपलब्धता सुनिश्चित  करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा है कि खाद-बीज क्वालिटी का लेकर किसी भी तरह की षिकायत नहीं आनी चाहिए। मुख्यमंत्री ने जिलों में भेजे जा रहे खाद-बीज की क्वालिटी की समय-समय पर सघन जांच पड़ताल करने के भी निर्देष दिए हैं।


मुख्यमंत्री बघेल यहां अपने निवास कार्यालय के सभाकक्ष में कृषि विभाग के कामकाज के साथ ही आगामी खरीफ सीजन को लेकर कृषि विभाग द्वारा की जा रही तैयारियों की गहन समीक्षा की। बैठक में कृषि मंत्री श्री रविन्द्र चौबे, मुख्य सचिव श्री आर. पी. मण्डल, अपर मुख्य सचिव सुब्रत साहू, कृषि उत्पादन आयुक्त मनिंदर कौर द्विवेदी, उप सचिव मुख्यमंत्री सचिवालय सौम्या चैरसिया सहित, दुग्ध महासंघ के महाप्रबंधक नरेन्द्र दुग्गा अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।


बैठक में कृषि मंत्री रविन्द्र चौबे ने बताया कि किसानों को खरीफ के लिए खाद एवं बीज की समय पर उपलब्धता सुनिश्चित करने हेतु जिलों में इसका पर्याप्त भण्डारण किए जाने के साथ ही सोसायटियों से वितरण भी शुरू कर दिया गया है। खरीफ सीजन के लिए 9 लाख 7 हजार 800 क्विंटल विभिन्न किस्म के बीज की मांग के मद्देनजर अब तक 2 लाख 78 हजार 469 क्विंटल बीज का भण्डारण डबल लॉक केन्द्रों एवं सोसायटियों में किया जा चुका है। इसी तरह खरीफ सीजन के लिए विभिन्न किस्म के 11 लाख 30 हजार मीटरिक टन रासायनिक उर्वरक के वितरण का लक्ष्य के विरूद्ध अब तक जिलों में 6 लाख 9 हजार 621 मीटरिक टन उर्वरक का भण्डारण कराया जा चुका है।



बैठक में जानकारी दी गई कि इस साल के खरीफ सीजन के लिए 9 लाख 7 हजार 800 क्विंटल बीज के वितरण का लक्ष्य है, जो बीते वर्ष की तुलना में 67 हजार क्विंटल अधिक है। खरीफ सीजन वर्ष 2019 में 8 लाख 40 हजार 710 क्विंटल बीज का वितरण किया गया था। इसी तरह इस साल खरीफ सीजन में 11 लाख 30 हजार मीटरिक टन खाद्य वितरण का लक्ष्य है, जो बीते खरीफ सीजन में वितरित 8 लाख 87 हजार 590 मीटरिक टन से 2 लाख 42 हजार 410 मीटरिक टन ज्यादा है। कृषि उत्पादन आयुक्त  ने बताया कि रायपुर जिले में अब तक 18 हजार 470 क्विंटल, बलौदाबाजार में 17 हजार 561 क्विंटल, गरियाबंद में 7007 क्विंटल, महासमुंद में 23 हजार 462 क्विंटल, धमतरी में 10 हजार 184 क्विंटल, दुर्ग जिले में 13 हजार 653 क्विंटल, बालोद में 15 हजार 643 क्विंटल, बेमेतरा में 9 हजार 157 क्विंटल, राजनांदगांव में 13 हजार 196 क्विंटल, कबीरधाम में 2461 क्विंटल, बिलासपुर में 9812 क्विंटल, मुंगेली में 2667 क्विंटल, जांजगीर-चांपा में 88 हजार 331 क्विंटल, कोरबा में 3780 क्विंटल, रायगढ़ में 21 हजार 389 क्विंटल, सरगुजा में 1050 क्विंटल, सूरजपुर में 1380 क्विंटल, बलरामपुर में 1335 क्विंटल, कोरिया में 3402 क्विंटल, जशपुर में 2544 क्विंटल, जगदलपुर में 3359 क्विंटल, कोण्डागांव में 1522 क्विंटल, दंतेवाड़ा में 229 क्विंटल, सुकमा में 1700 क्विंटल, कांकेर में 2865 क्विंटल, बीजापुर में 1810 क्विंटल तथा नारायणपुर में 300 क्विंटल बीज का भण्डारण किया जा चुका है। सोसायटियों के माध्यम से  किसानों द्वारा अब तक 10 हजार 144 क्विंटल खरीफ बीज का अग्रिम उठाव भी किया जा चुका है।


इसी तरह रायपुर जिले में अब तक 75 हजार 918 मीटरिक टन,  बलौदाबाजार में 51 हजार 493 मीटरिक टन, गरियाबंद में 15 हजार 684 मीटरिक टन, महासमुंद में 38 हजार 457 मीटरिक टन, धमतरी में 26 हजार 483 मीटरिक टन, दुर्ग जिले में 23 हजार 164 मीटरिक टन, बालोद में 28 हजार 226 मीटरिक टन, बेमेतरा में 25 हजार 851 मीटरिक टन, राजनांदगांव में 37 हजार 125 मीटरिक टन, कबीरधाम में 19 हजार 710 मीटरिक टन, बिलासपुर में 43 हजार 688 मीटरिक टन,  मुंगेली में 16 हजार 171 मीटरिक टन, जांजगीर-चांपा में 34 हजार 83 मीटरिक टन, कोरबा में 4162 मीटरिक टन, रायगढ़ में 41 हजार 38 मीटरिक टन, सरगुजा में 20 हजार 400 मीटरिक टन, सूरजपुर में 19 हजार 943 मीटरिक टन, बलरामपुर में 13 हजार 664 मीटरिक टन, कोरिया में 12 हजार 448 मीटरिक टन, जशपुर में 7792 मीटरिक टन, जगदलपुर में 18 हजार 864 मीटरिक टन, कोण्डागांव में 8239 मीटरिक टन, सुकमा में 2120 मीटरिक टन, कांकेर में 22 हजार 600 मीटरिक टन, बीजापुर में 899 मीटरिक टन तथा नारायणपुर में 1399 मीटरिक टन रासायनिक खाद का भण्डारण किया जा चुका है। सोसायटियों के माध्यम से किसानों द्वारा अब तक 46 हजार 818 मीटरिक टन खाद का अग्रिम उठाव किया जा चुका है।


प्रदेश में जल जीवन मिशन के तहत ग्राम स्तरीय समितियों का गठन होगा समितियां गांव-गांव में बनाएगी...

संवाददाता  : जयपुर राजस्थान


      प्रदेश में जल जीवन मिशन के तहत ग्राम स्तरीय समितियों का गठन होगा, ये समितियां राज्य के गांवों में विलेज वाटर एवं सेनिटेशन प्लान तैयार करेगी। जलदाय विभाग के प्रमुख शासन सचिव श्री राजेश यादव ने बुधवार को झालाना स्थित जल एवं स्वच्छता सहयोग संगठन के कार्यालय में जल जीवन मिशन की प्रगति की समीक्षा के लिए आयोजित बैठक में सपोर्ट गतिविधियों के प्रस्ताव को मंजूरी दी, इसके लिए आगामी मई माह में निविदा जारी की जाएगी।

 


 

यादव ने बैठक के दौरान अधिकारियों द्वारा दिए गए प्रस्तुतीकरण को देखा और जल जीवन मिशन के अन्तर्गत ग्राम आधारित सहयोग गतिविधियों के संचालन के लिए स्वयंसेवी संस्थाओंध्कम्पनियों का चयन कर जन सहभागिता के आधार पर गांवों में प्रत्येक घर में नल से जल पहुंचाने के कार्यक्रम को समयबद्ध रूप से क्रियान्वित करने के निर्देश दिए। उन्होंने इस योजना के संचालन के प्रस्ताव की अनुमति प्रदान करते हुए इसके कार्य की निविदा मई माह में जारी करने के निर्देश दिए।  

 

प्रमुख शासन सचिव ने बैठक में अधिकारियों के साथ वित्तीय वर्ष 2020-21 में जल जीवन मिशन के तहत संचालित की जाने वाली सपोर्ट गतिविधियों के प्लॉन पर विस्तार से चर्चा की गई। इसके तहत प्रत्येक गांव में एक ग्राम जल एवं स्वच्छता समिति का गठन किया जाएगा। उक्त समिति गांव की पेयजल योजनाओं के निर्माण तथा संचालन का कार्य करेगी। प्रदेश में चालू वित्तीय वर्ष में ऎसी 5000 समितियों के गठन का लक्ष्य रखा गया है। 

 

बैठक में नागौर फ्लोरोसिस मैनेजमेन्ट प्रोजेक्ट के सम्बंध में भी प्रस्तुतीकरण दिया गया। प्रमुख शासन सचिव यादव ने विचार विमर्श के दौरान शीघ्र ही इस योजना को शुरू करने के लिए अधिकारियों को आवश्यक निर्देश दिए। बैठक में बताया गया कि यह परियोजना नागौर जिले के 986 गांव व 7 ब्लॉक में क्रियान्वित की जाएगी। इसके तहत बच्चों व बुजुगोर्ं की फ्लोरोसिस स्कि्रीनिंग व सामुदायिक प्रशिक्षण के अलावा तथा जिले के एएनएम, आशा एवं चिकित्सकों को भी प्रशिक्षित किया जाएगा। नागौर में योजना के तहत 5 फ्लोरोसिस जांच केन्द्रों की भी स्थापना होगी। 

 

बैठक में प्रमुख शासन सचिव ने अधिकारियों को विभाग के अभियन्ताओं, प्लम्बर, ईलेक्टि्रशियन तथा हैण्डपम्प मिस्ति्रयों के प्रशिक्षण के लिए भी रूपरेखा बनाने के निर्देश दिये। बैठक में जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग के मुख्य अभियन्ता (शहरी एवं एनआरडब्ल्यू तथा स्पेशल प्रोजेक्ट्स) सी. एम. चौहान ने प्रदेश में गर्मियों में पेयजल आपूर्ति तथा व्यवस्था के सम्बंध में अब तक की गई कार्यवाही के बारे में विस्तृत विवरण प्रस्तुत करते हुए बताया कि गर्मियों में पूरे प्रदेश में पेयजल की सुचारू आपूर्ति के लिए विभाग की पूरी तैयारी है। बैठक में डब्ल्यूएसएसओ के निदेशक अमिताभ शर्मा के अलावा ईएसटीआई के प्रतिनिधि और अन्य सम्बंधित अधिकारी, कंसलटेंटस और कार्मिक उपस्थित रहे।

अकेले पीएम-किसान स्कीम में महीनेभर में किसानों को दिए 17,986 हजार करोड़ रू...

संवाददाता : नई दिल्ली


      देश में फसलों की कटाई व बुआई की स्थिति बताने के साथ ही खेती-किसानी की भलाई के लिए केंद्र सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं की प्रगति समेत कृषि मंत्रालय से संबंधित अन्य गतिविधियों की जानकारी देने के लिए केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण, ग्रामीण विकास तथा पंचायती राज मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने आज पत्रकार वार्ता की।


उन्होंने बताया कि COVID-19 संकट के चलते प्रभावी लॉकडाउन के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्देश पर, किसानों को हरसंभव राहत दी गई है। अकेले प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (पीएम-किसान) स्कीम में ही गत 24 मार्च से अब तक करीब एक महीने में किसानों के खातों में 17,986 करोड़ रूपए जमा किए गए हैं।


प्रारंभ से अब तक 9.39 करोड़ किसान परिवार लाभान्वित हुए हैं तथा 71,000 करोड़ रू. की राशि अंतरित की जा चुकी है। किसानों की भलाई के लिए पहले कभी किसी भी सरकार ने इतने कम समय में इतनी ज्यादा राशि नहीं दी। साथ ही बताया कि जीडीपी में कृषि के योगदान के भी बढ़ने की उम्मीद है।


पत्रकार वार्ता में तोमर के साथ नीति आयोग के सदस्य रमेश चंद्र तथा कृषि मंत्रालय के सचिव संजय अग्रवाल भी मौजूद थे। तोमर ने बताया कि इस वर्ष फरवरी में पीएम-किसान का एक वर्ष पूरा हुआ। इस एक वर्ष में ही किसानों को सीधे आय संबंधी सहायता देने का निर्णय लिया गया। पीएम मोदी जी की सरकार ने सभी किसान परिवारों के लिए इस स्‍कीम को लागू कर अपना वचन निभाया, क्‍योंकि पहले मूल स्‍कीम के तहत केवल छोटे और सीमांत किसान ही शामिल थे। कोविड महामारी के दौरान भी इस कार्यक्रम से बड़ी संख्‍या में किसान लाभान्‍वित हुए हैं।



हमने किसानों को 24 मार्च 2020 से अब तक 17,986 करोड़ रू. अंतरित किए हैं। प्रारंभ से अब तक 9.39 करोड़ किसान परिवार लाभान्‍वित हुए हैं तथा इस संबंध में 71,000 करोड़ रू. की राशि अंतरित की गई है। एक अप्रैल से 31 जुलाई 2020 की अवधि के लिए देय किस्‍त का अप्रैल के पहले पखवाड़े की अवधि के भीतर 8.13 करोड़ लाभार्थियों को भुगतान कर दिया गया था।


रिकॉर्ड खाद्यान् उत्पादनश्री तोमर ने बताया कि वर्ष 2018-19 में 285.20 मिलियन टन खाद्यान्न उत्पादन हुआ था, जबकि 2019-20 (अनुमानित) में यह आंकड़ा 291.95 मिलियन टन है और अब 2020-21 (लक्षित) में 298.3 मिलियन टन उत्पादन की उम्मीद है। दलहन के उत्‍पादन में 28.3 प्रतिशत की वृद्धि करके प्रोटीन क्रांति लाई गई है, जिसके तहत वर्ष 2014-15 में दलहन का उत्‍पादन 17.20 एमटी से बढ़कर 2019-20 में 23.02 एमटी हो गया। ग्रीष्‍मकालीन फसलों पर विशेष ध्‍यान दिए जाने के कारण पिछले वर्ष 41.31 लाख हेक्‍टेयर के सापेक्ष इस वर्ष 57.07 लाख हेक्‍टेयर क्षेत्र पर बुआई की गई है, जो कि 38 प्रतिशत ज्यादा है।


बागवानी फसलों का रिकार्ड उत्पादन वर्ष 2018-19 में 310.74 मिलियन टन, 2019-20 (अनुमानित) में 313.35 मिलियन टन बागवानी फसलों का रिकार्ड उत्‍पादन।


रियायती संस्थागत ऋण के लिए सार्वभौमिक पहुंचकृषि मंत्री ने बताया कि पीएम-किसान लाभार्थियों के लिए किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) के लाभ दिए जाने हेतु फरवरी 2020 में केसीसी सेच्‍यूरेशन अभियान चलाया गया था। केसीसी के तहत पंजीकरण प्रक्रिया को एक पृष्ठ वाला प्रपत्र बनाकर सरल कर दिया गया है तथा इस संबंध में केवल ज़मीन के दस्‍तावेज की प्रति ही प्रस्‍तुत की जाएगी। बैंकों को तब से लेकर अब तक पीएम-किसान लाभार्थियों से 75 लाख से अधिक आवेदन प्राप्‍त हुए है। लगभग 20 लाख आवेदकों को करीब 18 हजार करोड़ रू. स्‍वीकृत भी कर दिए गए हैं।


रबी फसलों की एमएसपी बढ़ाने से किसान खुशश्री तोमर ने बताया कि वर्ष 2019-20 में रबी फसलों के लिए एमएसपी में वृद्धि करके किसानों को दिवाली का उपहार दिया गया था। विभिन्‍न फसलों की उत्‍पादन लागत के सापेक्ष 50 प्रतिशत से 109 प्रतिशत तक की वृद्धि की गई थी। गेहूं और जौ की एमएसपी में 85 रू., चने में 255 रू., मसूर में 325 रू. और सरसों की एमएसपी में 225 रू. प्रति क्‍विंटल की वृद्धि की गई। 25,637 करोड़ रू. की कीमत वाली 54.46 लाख एमटी दलहन और तिलहन की खरीद के लिए स्‍वीकृति जारी कर दी गई है। रबी फसल के दलहन-तिलहन से संबंधित केंद्रों को पिछले वर्ष 1485 के सापेक्ष इस वर्ष 2790 अर्थात दोगुना कर दिया गया है। जैसे-जैसे खरीद बढ़ेगी, आवश्‍यकतानुसार और अधिक केंद्र खोले जाएंगे। श्री रमेश चंद्र ने बताया कि खरीद केंद्रों में करीब 50 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।


पीएम फसल बीमा योजना किसानों के अनुकूल बनाईश्री तोमर ने जानकारी दी कि किसानों की मांग पूरी करने के लिए इस स्‍कीम को सभी किसानें के लिए स्‍वैच्‍छिक बनाया गया है। प्रीमियम में किसानें के हिस्‍से में कोई परिवर्तन नहीं किया गया है। मंत्रालय के अनुसार, अब भारत सरकार पूर्वोत्‍तर राज्‍यों के लिए पहले की अपेक्षा 50 प्रतिशत के बजाय 90 प्रतिशत प्रीमियम राजसहायता देयता को वहन करेगी। श्री तोमर के अनुसार, पीएमएफबीवाई से किसानों को हुए लाभ को इससे ही समझा जा सकता है कि 9,214 करोड़ रू. की प्रीमियम के बदले 50,289 करोड़ रू. का भुगतान किया गया है। अधिकांश राशि का भुगतान लाकडाउन अवधि के दौरान कर दिया गया, जिससे किसानों को राहत मिली है।


किसान कल्याण हेतु तकनीकएक नई तकनीक के साथ ई-नाम को किसानों की सहायता के लिए प्रस्तुत किया गया है। 2 अप्रैल 2020 को ई-नाम में 3 नए मॉड्यूल लॉन्च किए गए थे-



  • वेयरहाउस आधारित ट्रेडिंग मॉड्यूलई-एनडब्ल्यूआर के साथ ई-नाम को एकीकृत किया।



  • एफपीओ मॉड्यूलजो सीधे अपने संग्रह केंद्रों से उपज, बोली और भुगतान अपलोड करने में सक्षम बनाता है। एफपीओ आसपास के शहरों और कस्बों में भी सब्जियों की आपूर्ति कर रहे हैं। माल की आवाजाही और उसके व्यापार से उत्पन्न सभी समस्याओं का समाधान वास्तविक समय (रियल टाइम) के आधार पर किया जाता है। राज्यों ने पहले ही एफपीओ के लिए पास/ई-पास जारी करने का निर्णय ले लिया है। किसानों और व्यापारियों के लिए कृषि उपज की आवाजाही के सही तरीके की पहचान करने के लिए किसान रथ ऐप लॉन्च किया है। लॉजिस्टिक्स एग्रीगेटर्स के ऊबराइजेशन मॉड्यूल के रूप में 11.37 लाख से अधिक ट्रक और 2.3 लाख ट्रांसपोर्टर पहले से ही इस मॉड्यूल से जोड़ दिए गए हैं। इसी तरह, अखिल भारतीय कृषि परिवहन कॉल सेटर शुरू किया गया है। इस सेंटर की स्‍थापना सब्‍जी, फलों और कृषि आदानों जैसी नाशवान जिंसों की अंतर्राज्‍यीय ढुलाई के लिए राज्‍यों के बीच समन्‍वय के लिए की गई है। कॉल सेटर के नंबर 18001804200 और 14488 हैं।

  • लॉकडाउन अवधि के दौरान रेलवे ने तीव्र गति से आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति करने के लिए 567 पार्सल स्पेशल (जिसमें से 503 टाइम टेबल पार्सल ट्रेनें हैं) ट्रेनों के परिचालन हेतु 67 मार्ग निर्धारित किए। इन ट्रेनों ने देश भर में 20,653 टन खेप पहुंचाई है।


लॉकडाउन के दौरान खेती के लिए की गई विशेष छूटखेत में किसानों व श्रमिकों द्वारा खेती कार्य करने के साथ ही खेती-किसानी के संबंध में लॉकडाउन के दौरान विशेष छूट दी गई है।


लॉकडाउन प्राइवेट स्कूलों की मजबूरी कहें या मनमानी...

संवाददाता : देहरादून / हल्द्वानी उत्तराखंड 


      इसे प्राइवेट स्कूलों की मजबूरी कहें या मनमानी, किंतु हजारों छात्रों के अभिभावकों की लाचारी यह है कि उन्हें घर बैठे अपने बच्चों की स्कूल फीस के साथ ट्रांसपोर्टेशन फीस भी भरनी पड़ रही है। जिस कारण काफी अभिभावक परेशान हैं।


प्राइवेट स्कूलों की ओर से मासिक फीस के साथ ही ट्रांसपोर्टेशन फीस का मैसेज अभिभावकों को पहुंचने से वह काफी परेशान हैं।हालांकि फिलहाल फीस जमा करने को लेकर कोई दबाव नहीं होने के कारण अभिभावक कुछ भी कहने से बच रहे हैं। किंतु आपस में एक दूसरे को मैसेज भेज कर खूब कानाफूसी कर रहे हैं।



अकेले हल्द्वानी और आसपास क्षेत्रों में 250 से अधिक प्राइवेट स्कूल है। कमोबेश सभी स्कूलों के पास अपनी बस और वैन होने से वह बच्चों को ट्रांसपोर्टेशन की सुविधा देते हैं।ट्रांसपोर्टेशन का प्रति बच्चा 600 से लेकर 3000 रुपये तक वसूले जाते हैं।


हल्द्वानी में लगभग 25000 बच्चे स्कूल वैन से आते जाते हैं। नाम न छापने की शर्त पर अभिभावक कहते हैं कि लॉकडाउन  में ट्रांसपोर्टेशन फीस का कोई औचित्य नहीं होता। वही स्कूल वालों की दलील है कि वैन और बस चालक तथा अन्य स्टाफ का वेतन भी ट्रांसपोर्टेशन फीस से ही निकाला जाता है।


इस साल के सीबीएसई व NCERT सभी कक्षाओं के पाठ्यक्रम में 30% की कटौती करे,कम किया गया पाठ्यक्रम सत्र 2021-22 की प्रवेश परीक्षा में भी मान्य हो : मनीष सिसोदिया

प्रजा दत्त डबराल @ नई दिल्ली


      ऑनलाइन शिक्षा, ऐकडेमिक कैलेंडर इत्यादि जैसे शिक्षा के कुछ प्रमुख बिंदुओं पर चर्चा करने मंगलवार को केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री रमेश पोखरियाल ‘निशांक’  ने देश के सभी शिक्षा मंत्रियों की वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के द्वारा मीटिंग बुलायी, जिसमें शामिल हुए दिल्ली के शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने कुछ अहम मुद्दों पर बल दिया। 

 


 

दिल्ली सरकार  पिछले 3-4 हफ़्तों से तकनीक का इस्तेमाल कर लाखों बच्चों तक शिक्षा पहुंचा रही है। शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने सभी को सम्बोधित करते हुए कहा कि स्वास्थ्य की दृष्टि से आज नहीं तो कल हम कोरोना से बाहर निकल ही जाएँगे, लेकिन इसका शिक्षा और अर्थ व्यवस्था पर जो प्रभाव पड़ेगा वह दूरगामी होगा। इसलिए हम सब शिक्षा मंत्रियों की ज़िम्मेदारी बनती है कि इससे कम से कम नुक़सान हो, इसके लिए हम अभी से तैयार रहें।

 

उपमुख्यमंत्री व शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने दिए कई बड़े सुझाव-

 

जिस तरह 9वीं और 11वीं कक्षा के लिए इंटर्नल असेस्मेंट और अब तक हुई परीक्षा के आधार पर बच्चों को मार्क्स देने का निर्णय लिया है, वही निर्णय 10वीं और 20वीं के बच्चों के लिए भी लिया जाए। ऐसा इसलिए, क्योंकि निकट भविष्य में भी सोशल डिस्टन्सिंग की वजह से बची हुई परीक्षाएं कराना संभव नहीं होगी। इसलिए इस मुद्द्दे पर अनिश्चितता ख़त्म करते हुए तुरंत निर्णय लेने चाहिए। दिल्ली देश का एकमात्र ऎसा प्रदेश है, जिसका अपना बोर्ड नहीं है लिहाज़ा CBSE ही उसका बोर्ड है। अतः CBSE को दिल्ली के सुझाव पर गंभीरता से विचार करना चाहिए।

 


 

IIT NEET यूनिवर्सिटी प्रवेश जैसे सभी परीक्षाएं कराना आगे भी मुश्किल होगा। बच्चों का वर्ष ख़राब ना हो, उन्हें तनाव न हो, उसके लिए 12वीं के छात्रों को उनके मार्क्स पर इस साल मेरिट के हिसाब से एडमिशन दिए जाए।

 

इस साल के सीबीएसई व NCERT सिलेबस में 30% की कटौती की जाए और अगले साल के सीबीएसई बोर्ड इग्ज़ाम, आईआईटी जेईई, नीट यूनिवर्सिटी भी उसी हिसाब से हों।

 

कोरोना के दौर में दिल्ली में टेक्नॉलजी के माध्यम से बच्चों तक शिक्षा पहुँचाने के प्रयासों के बारे में बताते हुए उपमुख्यमंत्री व शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि बहुत से बच्चों के घर  में स्मार्टफ़ोन नहीं होते। दिल्ली में भी 68% बच्चों के पास अभी स्मार्टफ़ोन इसलिए हैं क्यूँकि उनके माता पिता घर पर हैं।  शिक्षा मंत्री ने  केंद्र सरकार से अनुरोध किया कि दूरदर्शन और ऑल इंडिया रेडियो पर दिल्ली सरकार को समय मिल पाए, जिससे कि दिल्ली के सरकारी स्कूलों के टीचर  एलेमेंटरी, सेकंडेरी और हायर सेकंडेरी शिक्षा की इंटरैक्टिव कक्षाएं लें और बच्चे उसी lesson प्लान के आधार पर पढ़ाई कर सकें जो उनके स्कूल में फ़ॉलो किया जाता है।

शिमला होटल और रेस्टाॅरेंट ऐसोसिएशन की मुख्यमंत्री से भेंट...

संवाददाता : शिमला हिमाचल


      शिमला होटल और रेस्टाॅरेंट ऐसोसिएशन के एक प्रतिनिधिमंडल ने अध्यक्ष संजय सूद की अगुवाई में यहां मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर से भेंट की।

 


 

प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री को कोविड-19 महामारी के दृष्टिगत ऐसोसिएशन की विभिन्न मांगों से अवगत करवाया और प्रदेश सरकार द्वारा इससे निपटने के लिए उठाए गए प्रभावी प्रयासों की सराहना की।

 

मुख्यमंत्री ने प्रतिनिधिमंडल को आश्वासन दिया कि सरकार उनकी मांगों पर सहानुभूतिपूर्वक विचार करेगी। इस अवसर पर शिक्षा मंत्री सुरेश भारद्वाज भी उपस्थित थे। 

प्रधानमंत्री और बांग्‍लादेश की प्रधानमंत्री महामहिम शेख हसीना के बीच टेलीफोन पर बातचीत...

संवाददाता : नई दिल्ली


      प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने बांग्‍लादेश की प्रधानमंत्री महामहिम शेख हसीना के साथ टेलीफोन पर बातचीत की। प्रधानमंत्री मोदी ने रमजान के पवित्र महीने के अवसर पर भारत की जनता और स्‍वयं अपनी ओर से बांग्‍लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना और बांग्‍लादेश की जनता को बधाई दी।


दोनों नेताओं ने कोविड-19 महामारी के कारण उत्‍पन्‍न क्षेत्रीय हालात पर चर्चा की और उसके प्रभाव को कम करने के लिए अपने-अपने देश में उठाए जा रहे कदमों से एक-दूसरे को अवगत कराया।



दोनों नेताओं ने सार्क के सदस्‍य देशों के नेताओं के बीच 15 मार्च को सहमत विशेष व्यवस्थाओं को लागू करने की दिशा में हुई प्रगति पर प्रसन्नता व्यक्त की। प्रधानमंत्री मोदी ने सार्क कोविड-19 आपातकालीन निधि में 1.5 मिलियन डॉलर का योगदान देने के लिए प्रधानमंत्री शेख हसीना का आभार प्रकट किया।


प्रधानमंत्री शेख हसीना ने इस क्षेत्र में कोविड-19 का मुकाबला करने की दिशा में समन्वित प्रयासों का नेतृत्‍व करने और बांग्लादेश को चिकित्सा आपूर्ति और क्षमता निर्माण दोनों के संदर्भ में सहायता प्रदान करने के लिए प्रधानमंत्री मोदी को धन्यवाद दिया।


दोनों नेताओं ने सड़क, रेल, अंतर्देशीय जलमार्ग और वायु मार्ग के माध्यम से सीमा पार आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति जारी रहने पर संतोष व्यक्त किया। प्रधानमंत्री मोदी ने इतिहास, संस्कृति, भाषा और भाईचारे के साझा संबंधों को याद करते हुए दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों की उत्कृष्ट स्थिति पर संतोष व्यक्त किया और कोविड-19 को फैलने से रोकने और इस महामारी के स्वास्थ्य एवं आर्थिक प्रभावों को कम करने में बांग्लादेश की मदद करने के लिए भारत की तत्परता सुनिश्चित की।


प्रधानमंत्री ने इस ऐतिहासिक मुजीब बारशो में प्रधानमंत्री शेख हसीना और बांग्लादेश की समस्‍त मैत्रीपूर्ण जनता के अच्छे स्वास्थ्य और कल्याण के लिए अपनी शुभकामनाएं दीं।


आम आदमी पार्टी के प्रवक्ता राजू मौर्य ने लिखा मुख्यमंत्री को खुला पत्र...

संवाददाता : देहरादून उत्तराखंड 


      सूबे के मुखिया त्रिवेन्द्र सिंह रावत को आम आदमी पार्टी के प्रवक्ता राजू मौर्य ने पत्र लिखकर जनता की पीड़ा को ब्यान किया है और आग्रह किया है कि अपने प्रदेश के जो लोग अलग अलग राज्यों में फसे हुए है उनकी घर वापसी की जाये  उत्तराखंड के युवा बाहरी प्रदेशो मे इस लोकडाऊन मे फसे हुए है। लगातार वह अपने घरो तक वापस पहुंचाने के लिए गुहार लगा रहे है।



मुझे व्यक्तिगत रूप से भी लगातार दिल्ली नोयडा मे फसे हुए उत्तराखंडी भाईयो के फोन और मेसेज आरहे है कि कैसे भी उनकी घर वापसी की व्यवस्था की जाये। हमे बेहद दुख और खेद है की हमारी सरकार का रवैया इस विषय मे निराशाजनक है, उन फसे हुए उत्तराखंडीयो को वापस लाने के बजाये सरकार मूक दर्शक बनी हुई है।


हमारा सरकार से अनुरोध है कि ऐसे लोगो से सम्पर्क साधा जाये और उनकी वापसी की कोई सार्थक योजना बनाई जाये और यदी सरकार इसमे असमर्थ हो तो हमे अनुमति दी जाये हम अपने प्रदेश के लोगो को वापस लाने की सम्पूर्ण व्यवस्था करेंगे ।यह अति गम्भीर विषय है इस पर त्वरित निर्णय लेने की आवश्यकता है।


सरकार कच्चे माल और तैयार उत्पाद की निरंतर आपूर्ति सुनिश्चित कर रही हैः मुख्यमंत्री

संवाददाता : शिमला हिमाचल


      प्रदेश सरकार कच्चे माल और तैयार उत्पादों की निरंतर आपूर्ति सुुनिश्चित करने के अलावा उद्योगपतियों को उनकी इकाइयों के सुचारू संचालन के लिए हर संभव सहायता प्रदान कर रही है।

 

यह बात मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर ने आज यहां वीडियो काॅन्फ्रेंसिंग के माध्यम से जिला सिरमौर के काला अम्ब क्षेत्र के स्टील उद्योगपतियों के साथ बातचीत करते हुए कही।

 

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश सरकार ने देश में कोविड-19 के दृष्टिगत राज्य के विभिन्न उद्योगों, व्यावसायिक इकाइयांे जैसे पर्यटन, कृषि और अन्य विद्युत उपभोक्ताओं को विभिन्न प्रकार की छूट दी है।  

 


 

उन्होंने कहा कि औद्योगिक व्यावसायिक और कृषि उपभोक्ताओं को बिजली खपत शुल्क के भुगतान में छूट दी गई है। अप्रैल, 2020 की खपत के लिए मई 2020 में बिल दिया जाएगा, जबकि मई महीने का बिल 30 जून तक लंबित कर दिया गया है। इस शुल्क को जुलाई, अगस्त और सितंबर माह 2020 में तीन बराबर किश्तों में लिया जाएगा।

 

जय राम ठाकुर ने कहा कि अप्रैल, 2020 की खपत के लिए 31 मई, 2020 में जारी किए जाने वाले बिलों को औद्योगिक, वाणिज्यिक और कृषि उपभोक्ताओं के लिए 31 मई, 2020 या इससे पहले जमा करने पर एक प्रतिशत की छूट दी जाएगी, जिसकी अधिकतम सीमा 10 हजार रुपये तक होगी। उन्होंने कहा कि मई 2020 की खपत के लिए जून 2020 में बिल दिए जाएंगे।

 

मुख्यमंत्री ने उद्योगपतियों से उनके कारखाने में सामाजिक दूरी का सख्ती से पालन करने का आग्रह किया। उन्होंने उद्योगपतियों को आश्वासन दिया कि सरकार उनकी मांगों पर सहानुभूतिपूर्वक विचार करेगी।

 

स्टील उद्योग के प्रतिनिधि हेम राज गर्ग, संजय जैन और पवन सैनी ने वीडियो काॅन्फ्रेंसिंग के दौरान उद्योग की विभिन्न मांगों के बारे में अवगत करवाया।

 

अतिरिक्त मुख्य सचिव उद्योग मनोज कुमार, अतिरिक्त मुख्य सचिव स्वास्थ्य आरडी धीमान और अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी इस अवसर पर उपस्थित थे।

उत्तराखंड में अगले चार दिन बारिश और ओलावृष्टि की चेतावनी...

प्रजा दत्त डबराल @ देहरादून उत्तराखंड 


      प्रदेश में अगले चार- दिन बारिश और ओलावृष्टि का दौर जारी रह सकता है। विशेषकर पर्वतीय इलाकों में ओलावृष्टि की चेतावनी मौसम विभाग ने दी है। मौसम विभाग ने अगले चार दिन पहाड़ों में बारिश और ओलावृष्टि की संभावना जतायी है।



मौसम विज्ञान केंद्र के निदेशक बिक्रम सिंह के अनुसार 30 अप्रैल को आंशिक रूप से बादल रहेंगे।राज्य के कुमाऊं क्षेत्रों में कुछ स्थानों और गढ़वाल में कहीं-कहीं बारिश हो सकती है। वहीं कुमाऊं मंडल के पर्वतीय इलाकों में ओलावृष्टि और आकाशीय बिजली की चेतावनी है। वहीं 1 मई को प्रदेश में पर्वतीय क्षेत्रों में कहीं-कहीं हल्की बारिश हो सकती है।


जबकि शेष जगह मौसम शुष्क रहेगा। 2 और 3 मई को प्रदेश के पर्वतीय क्षेत्रों में कुछ स्थानों में हल्की बारिश हो सकती है। इस दौरान 2 मई को कुमाऊं मंडल में कहीं-कहीं और 3 मई को प्रदेश के पर्वतीय क्षेत्रों में ओलावृष्टि हो सकती है।


बुधवार, 29 अप्रैल 2020

आय के बिना लोग अपने और अपने परिवार का पालन पोषण कैसे करेंगे : चिदंबरम

प्रजा दत्त डबराल @ नई दिल्ली


      कल इस माह का आखिरी कार्य दिवस है। भारत के 12 करोड़ से ज्यादा लोग सांस रोककर इंतजार कर रहे हैं और वो केवल इतना जानना चाहते हैं कि क्या उन्हें अप्रैल माह के लिए उनका वेतन/भत्ता मिलेगा। स्पष्ट रूप से भारत के मेहनतकश नागरिकों व उनके परिवार तनाव व बढ़ती अनिश्चितता की स्थिति में है। सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम (एमएसएमई) मंत्रालय की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार 6.3 करोड़ एमएसएमई में 11 करोड़ लोग काम करते हैं।



उनमें से ज्यादातर अप्रैल माह में एक दिन भी काम नहीं कर पाए, क्योंकि कोरोना महामारी को रोकने के लिए पूरे देश में लॉकडाऊन लागू है। आय के बिना ये लोग अपने और अपने परिवार का पालन पोषण कैसे करेंगे?इन 11 करोड़ लोगों की रोजी रोटी खतरे में है क्योंकि ज्यादातर नियोक्ता (एम्प्लॉयर्स) उनके वेतन/भत्ते देने की स्थिति में नहीं हैं।इस माह व्यवसायों (businesses) की कोई सेल नहीं हुई और उनके विक्रेताओं के पैसे भी अटक गए हैं, जिससे विक्रेता भी निराश हैं। अधिकांश प्राईवेट सेक्टर को मौद्रिक लिक्विडिटी के मामले में बहुत बड़ा झटका लगा है।


इसके अलावा, ये व्यवसाय अपने भविष्य को लेकर भी अनिश्चित हैं। उन्हें नहीं मालूम कि वो अपना व्यवसाय कैसे चला पाएंगे  या फिर क्या उन्हें अपना व्यवसाय हमेशा के लिए बंद करना पड़ेगा। सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों को बचाने के लिए साहसी निर्णय लेने का समय आ गया है। यदि व्यवसायों को उम्मीद नहीं दिखेगी, तो उन्हें बंद होने पर मजबूर होना पड़ेगा।


बॉलीवुड एक्टर इरफान खान का 54 साल की उम्र में निधन, फिल्म जगत में शोक की लहर...

प्रजा दत्त डबराल @ नई दिल्ली


      बॉलीवुड एक्टर इरफान खान का 54 साल की उम्र में बुधवार को निधन हो गया। इरफान खान की तबीयत अचानक खराब होने की वजह से उन्हें मंगलवार को मुंबई के कोकिलाबेन अस्पताल के आईसीयू में एडमिट किया गया था। उन्हें कोलन इंफेक्शन की वजह से भर्ती कराया गया था। बॉलीवुड एक्टर इरफान खान जो कि लंबे समय से कैंसर से जंग लड़ रहे थे, आज जिंदगी की जंग हार गए। 



मंगलवार को इरफान की तबीयत काफी बिगड़ गई थी जिसके चलते उन्हें मुंबई के कोकिलाबेन अस्पताल के आईसीयू में भर्ती कराया गया था। अब ये खबर सामने आई है कि उन्होंने जिंदगी की जंग हार गए और इस दुनिया को अलविदा कह दिया।  इरफान खान की मौत की खबर सबसे की जानकारी फिल्म मेकर शूजित सरकार ने सबसे पहले दी। उन्होंने ट्वीट कर उनकी आत्मा की शांति की प्रार्थना की। 



https://twitter.com/search/irfan+khan


 

बॉलीवुड के टैलेंटेड अभिनाताओं में शामिल इरफान खान के यूं अचानक चले जाने से उनके फैंस और बॉलीवुड सेलेब्स सदमे में हैं। दो साल पहले मार्च 2018 में इरफान को न्यूरो इंडोक्राइन ट्यूमर नामक बीमारी का पता चला था। विदेश में इस बीमारी का इलाज कराकर इरफान खान ठीक हो गए थे। भारत लौटने के बाद इरफान खान ने अंग्रेजी मीडियम में काम किया था. किसे पता था ये मूवी इरफान की जिंदगी की आखिरी फिल्म साबित होगी। 


" न जाने होश खो बैठी बसन्त की ये रवानी" धीरज मणि डबराल की कलम से...

" न जाने होश खो बैठी बसन्त की ये रवानी " कवि धीरज मणि डबराल की कलम से...


 


 " न जाने होश खो बैठी बसन्त की ये रवानी "


 


न जाने होश खो बैठी बसन्त की ये रवानी।
जहाँ लिक्खी दरिंदों ने दर्द जख्मों की कहानी।।


वो यौवन की कली बनकर नहीं अहसास धोखे का।
हवस के शोले आँखों में टपकता इश्क़ नादानी।।


जहाँ था खौफ का मंजर वहीं तूफान भी भारी।
हवाएं रुख बदलकर भी न कुछ कर पाई अनजानी।।


कभी कुदरत सजाती है वहाँ गुलशन की बारातें।
हुई बेआबरू दुल्हन किसी ने भी न पहचानी।।


जहाँ गैरों की मंज़िल हो नहीं होता कोई अपना।
नहीं मोहताज़ होते हैं जहाँ रिश्ते हों जिस्मानी।।


कहीं जालिम निगाहों में कहाँ कोई है महफूज़।
लपेटे में फँसी दामनी न कर पाई आनाकानी।।


मिटे हैं सब दरिंदे फिर मिटी इनकी जवानी।
मिला इंसाफ दामनी को रूह तेरी हो रूहानी।।


राज्य सरकार के कर्मचारियों द्वारा अग्रिम जीपीएफ की निकासी पर कोई प्रतिबंध नहीं होगा : मनोहर लाल

संवाददाता चंडीगढ़ हरियाणा 


      कोविड-19 महामारी के मद्देनजर देशव्यापी लॉकडाउन के कारण वित्तीय संकट के बावजूद, हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने स्पष्ट कर दिया है कि विवाह जैसे अपरिहार्य व्यय के लिए राज्य सरकार के कर्मचारियों द्वारा अग्रिम जीपीएफ की निकासी पर कोई प्रतिबंध नहीं होगा।


मनोहर लाल यहां विभिन्न कर्मचारी संघ, हरियाणा सर्व कर्मचारी महासंघ, हरियाणा सर्व कर्मचारी संघ, हरियाणा राज्य कर्मचारी संघ और भारतीय मजदूर संघ के नेताओं के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्य्म एक बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे।


कर्मचारियों को सरकार की रीढ़ की हड्डी मानते हुए उन्होंने कहा कि राज्य सरकार के कर्मचारियों को 17 प्रतिशत महंगाई भत्ते (डीए) का लाभ मिलता रहेगा।  उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि 12,316 पदों पर भर्ती के लिए अंतिम परिणाम, जिसके लिए पहले ही लिखित परीक्षा आयोजित की जा चुकी है, लॉकडाउन की अवधि पूरी होने के तुरंत बाद घोषित किया जाएगा।  



उन्होंने कहा कि वर्तमान राज्य सरकार के पांच वर्षों के कार्यकाल में, 68,560 पद हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग (HSSC) और लगभग 5000 पद हरियाणा लोक सेवा आयोग (HPSC) द्वारा भरे गए हैं।  इसके विपरीत, राज्य में पिछली सरकार के पिछले 10 वर्षों के कार्यकाल में केवल हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग  द्वारा लगभग 80,000 और हरियाणा लोक सेवा आयोग द्वारा लगभग 8000 पदों को भरा गया था।  उन्होंने कहा कि वर्तमान राज्य सरकार ने प्रदेश में एक निष्पक्ष और पारदर्शी भर्ती नीति अपनाई है जिसके तहत युवाओं को योग्यता के आधार पर नौकरियां दी जा रही हैं।


उन्होंने  वेतन को दोगुना लेने से मना करने और हरियाणा कोरोना रिलीफ फंड में एक दिन के वेतन का योगदान देने के अपने फैसले के लिए नर्सिंग वेलफेयर एसोसिएशन हरियाणा के लिए आभार भी व्यक्त किया।  उन्होंने कहा कि एक पत्र में, एसोसिएशन ने अवगत कराया है कि मुख्यमंत्री ने मासिक वेतन नर्सिंग स्टाफ को दोगुना करने की घोषणा की थी।  हालांकि, कोविड-19 महामारी के मद्देनजर उन्होंने बढ़ोतरी को वापस लेने का फैसला किया है क्योंकि सरकार को बीमारी से लडऩे के लिए धन की आवश्यकता है।  इसके अलावा, नियमित नर्सिंग स्टाफ ने भी हरियाणा कोरोना रिलीफ फंड में एक दिन के वेतन का योगदान करने की इच्छा व्यक्त की है।


मुख्यमंत्री ने सभी स्वास्थ्य संगठनों, स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों और एनएचएम, पुलिस कर्मियों, स्वच्छता कर्मियों, बिजली, पब्लिक हेल्थ, और अन्य सभी विभागों का भी आभार व्यक्त किया जो इस संकट की घड़ी में लगातार काम कर रहे हैं।  उन्होंने कहा कि 2.80 लाख सरकारी कर्मचारियों में से, 2 लाख कर्मचारियों ने हरियाणा कोविड राहत कोष में योगदान करने की इच्छा व्यक्त की है और योगदान दिया।  उन्होंने शेष कर्मचारियों से भी आगे आने और फंड में योगदान देने की अपील की, जिसके तहत फंड में योगदान करने का विकल्प कर्मचारियों को अगले महीने के लिए भी उपलब्ध होगा।


मनोहर लाल ने कहा कि राज्य सरकार को हर महीने 6000  से 7000 करोड़ रुपये की राशि वेतन, सामाजिक सुरक्षा पेंशन और ऋण अदायगी सहित पेंशन के खर्च पर करनी पड़ती है, इसलिए कर्मचारी संघ को संकट के इस समय में कुछ भत्तों को जारी रखने या स्थगित करने सहित उनके खर्चों को कम करने हेतु आगे आना चाहिए और सुझाव देना चाहिए।


उन्होंने कहा कि राज्य सरकार द्वारा यह सुनिश्चित करने का प्रयास किया जा रहा है कि राज्य में कोई भी गरीब व्यक्ति भोजन से वंचित न रहे।  इसके लिए, राज्य सरकार द्वारा अब तक 1.93 करोड़ खाद्य पैकेट वितरित किए गए हैं।  इसके अलावा, लगभग 16,000 प्रवासी मजदूरों और बेघर लोगों के लिए राहत शिविरों की व्यवस्था की गई है।


कर्मचारी संघ के नेताओं ने मुख्यमंत्री मनोहर लाल को उनके सुझाव लेने के लिए धन्यवाद दिया और उनकी ज़रूरत के समय में राज्य सरकार को सभी समर्थन और सहयोग का आश्वासन दिया      


बैठक में मुख्य सचिव केशनी आनंद अरोड़ा, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव श्री राजेश खुल्लर, मुख्यमंत्री के अतिरिक्त प्रधान सचिव वी. उमाशंकर, वित्त विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव  टीवीएसएन प्रसाद,  सामान्य प्रशासन विभाग के प्रधान सचिव श्री विजयेंद्र कुमार,  कार्मिक, प्रशिक्षण, सतर्कता और संसदीय कार्य विभाग के सचिव नितिन यादव,  सूचना, जनसंपर्क विभाग के निदेशक पी सी मीणा और राज्य सरकार के अन्य वरिष्ठ अधिकारियों सहित वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से जुडऩे वाले कर्मचारी संघ के नेताओं में वीरेंद्र धनखड़, सुभाष लांबा, कृष्ण लाल गुर्जर और हनुमान गोदारा शामिल थे।


मुख्यमंत्री ने केंद्र सरकार से 27 परियोजनाओं के लिए 536 करोड़ रुपये स्वीकृत करने का आग्रह किया...

संवाददाता : शिमला हिमाचल


      मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर ने सड़क परिवहन एवं राजमार्ग केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी से प्रदेश की भौगोलिक परिस्थियों को ध्यान मंे रखते हुए प्रदेश के लिए केंद्रीय सड़क विनिर्माण निधि के तहत 27 परियोजनाओं के लिए 563 करोड़ रुपये समयबद्ध तरीके से स्वीकृत करने का आग्रह किया है। इन परियोजनाओं में 17 सड़कें और 10 पुल शामिल हैं।  

 

केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री ने वीडियो काॅन्फ्रेंस के माध्यम से मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर एवं अन्य प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों और लोक निर्माण एवं परिवहन मंत्रियों के साथ बातचीत की।

 

मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर ने कहा कि वाहनों की आवाजाही को ध्यान में रखते हुए शिमला-मटौर और पठानकोट-मण्डी राष्ट्रीय राजमार्गों के रखरखाव और सामयिक नवीकरण महत्वपूर्ण है और इसे समय पर सुनिश्चित किया जाना चाहिए। उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण से इस कार्य को सुनिश्चित करने के लिए पर्याप्त निधि उपलब्ध करवाने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि 97 किलोमीटर के सैंज-औट राष्ट्रीय राजमार्ग-305 सहित जलोड़ी सुरंग को विश्व बैंक हरित राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजनाओं के अंतर्गत लाया जाना चाहिए।

 


 

मुख्यमंत्री ने केंद्रीय मंत्री का विश्व बैंक हरित राष्ट्रीय राजमार्ग के अंतर्गत पांवटा साहिब-गुम्मा-फेडस पुल सड़क के लिए 1486 करोड़ रुपये तथा हमीरपुर-मंडी सड़क के लिए 1112 करोड़ रुपये स्वीकृत करने के लिए आभार व्यक्त किया। उन्होंने केंद्र सरकार का 205 किलोमीटर समधो-काजा-ग्रामफू राष्ट्रीय राजमार्ग-505 के विकास एवं रखरखाव करने के लिए इसे प्रदेश सरकार को सौंपने के लिए आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि यह जनजातीय क्षेत्रों में पर्यटन गतिविधियों को बढ़ावा देने के अलावा इन क्षेत्रों के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।

 

जय राम ठाकुर ने केंद्रीय मंत्री से प्रदेश के 69 राजमार्गों की शीघ्र स्वीकृति का आग्रह किया, ताकि इन पर कार्य जल्द ही शुरू किया जा सके। उन्होंने केंद्रीय मंत्री का प्रदेश के लिए 25 राष्ट्रीय राजमार्गों की स्वीकृति के लिए आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार ने भारत सरकार को प्राथमिकता सूची भी प्रदान की है और केंद्र सरकार सेे इन प्रस्तावों पर सहानुभूतिपूर्वक विचार करने का आग्रह किया।

 

उन्होंने कहा कि कोविड-19 महामारी और लाॅकडाउन के उपरांत भारत सरकार द्वारा सामाजिक दूरी और अन्य दिशा-निर्देशों का पालन करने हुए राष्ट्रीय राजमार्ग पर 11 परियोजनाओं पर कार्य आरंभ कर दिया गया है। उन्हांेने कहा कि भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण द्वारा प्रदेश में सात परियोजनाओं पर भी कार्य आरंभ किया गया है। इस कार्य के लिए लगभग 200 मजदूरों को लगाया गया है।

 

जय राम ठाकुर ने कहा कि प्रदेश में भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण कार्यालय को सुदृढ़ करने की आवश्यकता है, ताकि राज्य में एनएचएआई द्वारा चलाई जा रही विभिन्न परियोजनाओं के कार्य में तेजी लाई जा सके। उन्होंने केंद्रीय मंत्री से मनाली टोल बैरियर के युक्तिकरण का भी आग्रह किया, क्योंकि इससे यात्रियों को असुविधा का सामना करना पड़ रहा है।

 

केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने मुख्यमंत्री को आश्वासन दिया कि प्रदेश की विभिन्न मांगों पर सहानुभूतिपूर्वक विचार किया जाएगा। उन्होंने राजमार्ग में मालवाहक वाहनों के सुचारू संचालन पर भी बल दिया, क्योंकि सड़क परिवहन मंत्रालय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भारत को पांच ट्रिलियिन डाॅलर की अर्थव्यवस्था बनाने के सपने को साकार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।

 

मुख्य सचिव अनिल खाची, प्रधान सचिव लोक निर्माण विभाग जेसी शर्मा, इंजीनियर इन चीफ लोक निर्माण विभाग भवन शर्मा, राष्ट्रीय राजमार्ग की चीफ इंजिनियर अर्चना ठाकुर, सूचना एवं जन सम्पर्क विभाग के निदेशक हरबंस सिंह ब्रसकोन भी इस बैठक में उपस्थित थे।

मुख्यमंत्री बघेल ने कहा अन्य राज्यों में फंसे छत्तीसगढ़ के श्रमिकों की शीघ्र वापसी के प्रयास जारी...

संवाददाता : रायपुर छत्‍तीसगढ़


      मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा है कि छत्तीसगढ़ के ऐसे श्रमिक जो कोरोना वायरस (कोविड-19) संकट के लॉकडाउन के कारण अन्य राज्यों में फंसे हुए है, उनकी छत्तीसगढ़ वापसी के लिए राज्य सरकार प्रयास कर रही है और उनकी वापसी के लिए शीघ्र कार्यवाही की जाएगी।  



इसी तरह अन्य राज्यों के श्रमिक जो छत्तीसगढ़ के रास्ते से होकर अपने राज्यों में जाएंगे उनके लिए यह प्रावधान किया गया है कि वो राज्य की सीमा पर बनाए गए चेकपोस्ट पर अपना पंजीयन करा लें और वहीं पर रूके, उनके वहीं पर रूकने और भोजन की व्यवस्था रहेगी। छत्तीसगढ़ सरकार ऐसे श्रमिकों को राज्य की सीमा से उनके राज्य की सीमा तक पहुंचाने की व्यवस्था करेगी।


प्रवासी मजदूर, छात्र एवं आमजन की दूसरे राज्यों से गृह राज्य में वापसी की मॉनिटरिंग केन्द्र के स्तर पर...

संवाददाता  : जयपुर राजस्थान


       परिवहन मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने केन्द्र सरकार से मांग की है कि पूरे देश में अलग-अलग राज्यों में लॉकडाउन के कारण अटके जो लाखों प्रवासी मजदूर, छात्र एवं आमजन अपने गृह राज्यों में आने के इच्छुक हैं, उनके आवागमन की प्रक्रिया की मॉनिटरिंग केन्द्र के स्तर पर की जाए। इस प्रक्रिया के दौरान आने वाली समस्याओं को दूर करने के भी प्रयास किए जाएं।

 


 

खाचरियावास मंगलवार को शासन सचिवालय में हुई एक वीडियो कांफे्रंसिंग में केन्द्रीय परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी के समक्ष इस विषय पर अपनी बात रख रहे थे। खाचरियावास ने कहा कि अभी विभिन्न राज्य सरकारें ही एक दूसरे की मदद से प्रवासी मजदूरों एवं अन्य की घर वापसी के लिए प्रयास कर रही हैं, लेकिन यह संख्या इतनी बड़ी है कि इसके लिए एक केन्द्रीय व्यवस्था की आवश्यकता है। पूरे देश में प्रवासी मजदूर, विद्यार्थी एवं आम आदमी लॉकडाउन के कारण अटके होने से परेशान है।

 

उन्हाेंंने कहा कि अलग-अलग राज्यों में प्रवासी मजदूरों एवं अन्य वगोर्ं के ट्रांसपोर्टेशन के लिए देशभर में समस्या आ रही है। भारत सरकार इसकी मॉनिटरिंग के साथ ही उनकी समस्याएं दूर करने के लिए केन्द्रीयकृत व्यवस्था करे। इस पर केन्द्रीय परिवहन मंत्री गडकरी ने सहमति जताते हुए घोषणा की कि आज-कल में ही इसके लिए एक हैल्पलाइन केन्द्र सरकार द्वारा प्रारम्भ कर दी जाएगी।

 

खाचरियावास ने लॉकडाउन समाप्त किए जाने की स्थिति में सार्वजनिक परिवहन के लिए अतिरिक्त धनराशि जारी जारी करने की भी मांग की क्योंकि सभी लोग टेक्सियों का खर्च नहीं उठा सकते। श्री खाचरियावास ने बताया कि केन्द्र ने सभी मांगों पर सकारात्मक रूख दिखाया है।

कोरोना ने दिया है नवीन जीवन पद्धति अपनाने का संदेश : मुख्यमंत्री

संवाददाता : भोपाल मध्यप्रदेश 


      मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने प्रमुख आध्यात्मिक गुरुओं और आचार्य शंकर सांस्कृतिक एकता न्यास के सदस्यों के साथ 'कोविड-19 की चुनौतियाँ और एकात्म बोध' विषय पर विस्तार से चर्चा की।


चौहान ने कहा कि आज आचार्य शंकर एवं रामानुज की जयंती है। मध्यप्रदेश में ओंकारेश्वर में शंकराचार्य जी की प्रतिमा स्थापित करने और अन्य कार्यों से सभी न्यासी अवगत हैं। उन्होंने कहा है कि कोरोना ने एक चुनौती उत्पन्न की है। हम धैर्य, साहस और संयम से इसका मुकाबला कर रहे हैं। प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में देश में सभी जरूरी कार्रवाई की गई। धर्म और दर्शन भी इस संकट से निपटने में राह दिखा रहा हैं।



मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कोरोना संकट यह संदेश भी दे रहा कि हमें नई जीवन पद्धति अपनानी पड़ेगी। नए ढंग से जीना पड़ेगा। यह प्रश्न उत्पन्न हो रहा है कि हमारा विकास किस तरह हो ? अर्थ-व्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए स्वदेशी अपनाते हुए पारंपरिक ज्ञान का उपयोग कर कुटीर ग्रामीण उद्योगों को विकसित करना होगा। श्री चौहान ने कहा कि प्रकृति की आराधना की परंपरा सशक्त हो। हम नदी को माँ और वृक्षों को पूजनीय मानते हैं। सभी नदियां हमारे लिए पूजनीय हैं। पशु-पक्षी, जीव-जंतु सब में एक ही आत्मा का दर्शन किया जा सकता है। उन्होंने आध्यात्मिक गुरुओं से कहा कि मैं आपके चरणों में प्रणाम करता हूँ। एकात्म बोध कैसे जागे और हम अंधेरे से उजाले की तरफ कैसे बढ़े। आप सभी का दर्शन इस संबंध में उपयोगी होगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि शीघ्र ही आचार्य शंकर सांस्कृतिक न्यास की बैठक भी आयोजित की जाएगी।


वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में आध्यात्मिक गुरुओं ने मुख्यमंत्री श्री चौहान द्वारा मध्यप्रदेश में कोरोना पर नियंत्रण और शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में आयुर्वेदिक काढ़े के उपयोग की सराहना की। उन्होंने कहा कि अन्य राज्यों के लिए भी यह आयुर्वेदिक काढ़ा अनुकरणीय होगा। स्वामी अवधेशानंद जी गिरि, स्वामी स्वरूपानंद जी सरस्वती और स्वामी संवित सोम गिरि ने मध्यप्रदेश के इस नवाचार की प्रशंसा की।


स्वामी अवधेशानंद गिरि, हरिद्वार


भारत माता मंदिर के प्रमुख जूना पीठाधीश्वर स्वामी अवधेशानंद जी गिरि ने कहा सांस्कृतिक न्यास आपके संकल्प से बना है। न्यास के न्यासी गण और सभी संत-वृंद सभी की ओर से आपको बधाई। स्वामी जी ने कहा कि चुनौती के इस समय में भय, अभाव, अवसाद तो आए ही हैं, समाधान का अवसर भी उपलब्ध है। जीवन अंतहीन संभावनाओं का नाम है। मनुष्य की चेतना शताब्दियों से इस तरह के कष्ट देख रही है। स्वामी जी ने कहा आचार्य शंकर का एकात्म का संदेश भी एक बड़े समाधान के रूप में उपलब्ध है। इस सिद्धांत से विश्व एकीकृत है। वैसे भी भारत की विधियाँ संसार में स्वीकृत हुई हैं । प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में भारत का योग एक महत्वपूर्ण माध्यम है। इसी तरह, अन्य सांस्कृतिक परंपराएँ और आयुर्वेद का उपयोग इस संकट को कम करने और समाप्त करने में सहयोगी है। स्वामी अवधेशानंद जी ने मुख्यमंत्री श्री चौहान के आयुर्वेदिक काढ़े के उपयोग को बढ़ाने और मध्यप्रदेश की करीब एक करोड़ जनता तक इसे पहुंचाने के कदम की सराहना की। स्वामी जी ने कहा कि नर्मदा परिक्रमा के समय लगभग 25 करोड़ वृक्षारोपण, सिंहस्थ के सफल आयोजन और उसमें स्वयं निरंतर एक माह उपस्थित रहने के श्री चौहान के कदम उन्हें एक शासक, एक समर्थ प्रशासक और सच्चे उपासक की पहचान देते हैं।


स्वामी स्वरूपानंद जी सरस्वती, मुम्बई


स्वामी स्वरूपानंद जी सरस्वती ने कहा कि समय में बहुत बदलाव आने वाला है लेकिन आपत्ति की स्थिति में भी ईश्वर की कृपा होती है। आयुर्वेद का प्रचार हो रहा है यह इम्यून सिस्टम को बढ़ाने में उपयोगी है। इसी तरह मनुष्य की मनोदशा ठीक रहती है, तो यह इम्यून सिस्टम और अच्छा रहता है। स्वामी जी ने कहा कि इस समय भक्ति, श्रद्धा, विश्वास बदलाव लाने का कार्य कर रहे हैं। लोगों का उत्साह बढ़ रहा है। सभी प्रार्थना और पाठ में सक्रिय हैं निश्चित ही पूजा, आराधना का सकारात्मक प्रभाव होता है। हम सभी भारतीय पूरी दुनिया के लिए प्रार्थना करते हैं। अपनी ओर से हम सेवा करते हैं और व्यवहार परिवर्तन का प्रयत्न करते हैं, तो यह संपूर्ण समाज के लिए उपयोगी होता है। वेदांत ज्ञान और भगवान शंकराचार्य के सिद्धांतों पर विचार और क्रियान्वयन आज की आवश्यकता है।


स्वामी संवित सोम गिरि-बीकानेर


स्वामी संवित सोम गिरि जी ने कहा कि विश्व को शंकराचार्य जी का संदेश देना आवश्यक है। आज सारा विज्ञान, धर्म और अध्यात्म की ओर आशा भरी निगाहों से देख रहा है। भारत में गर्भाधान से लेकर अंत्येष्टि तक भिन्न-भिन्न संस्कार हैं। उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति में वर्णित है कि मानव-मानव में भेद नहीं होना चाहिए। आत्मबोध को प्रत्येक व्यक्ति समझे, यह आवश्यक है। आज मनुष्य के लिए संदेश है कि हम अपने अपराध के लिए प्रकृति से, पर्यावरण से क्षमा भी मांगें। स्वामी जी ने कहा कि कोविड-19 एक चुनौती है लेकिन इसका समाधान भी आसान है। हम सभी को एक आत्मबोध को लेकर संपन्न होना होगा धरती हमारी माता है, इस बोध से जुड़कर हम अपनी शक्ति पहचाने। स्वामी जी ने मुख्यमंत्री चौहान द्वारा आयुर्वेदिक काढ़े की व्यवस्था लागू करने की प्रशंसा की। साथ ही यह भी कहा कि पूरे विश्व तक यह पहुँचना चाहिए।


स्वामी परमात्मानंद सरस्वती, राजकोट


स्वामी परमात्मानंद सरस्वती जी ने कहा कि अति आत्म-विश्वास हितकारी नहीं होता बल्कि कष्टकारी होता है। यह अज्ञान से उत्पन्न होता है। शरीर के सभी अंग किस तरह परस्पर सहयोग करते हैं, यह बात हमें एकात्म दर्शन से सीखने को मिलती है। कोरोना एक मनोवैज्ञानिक कष्ट है। मानसिक स्वास्थ्य ठीक न होने से यह बढ़ता है। आज ईश्वर इस संकट के बहाने संभवत: यह शिक्षा देना चाह रहा हैं। कि व्यक्ति जितना अधिक उपभोग करेगा, वह कल्याणकारी नहीं बल्कि कष्ट का कारण बनेगा। व्यक्ति को कंज्यूमर से कंट्रीब्यूटर बनना है। स्वामी जी ने बढ़ते उपभोक्तावाद पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि यह तय है कि कोरोना वायरस से एकात्म भाव ही मनुष्य को बचाएगा। स्वामी जी ने कहा कि समाज के लिए त्याग की भावना सामाजिकता से और एकात्म भाव से हम सोने की चिड़िया के रूप में जाने गए है। सिर्फ अर्थ संपन्न होने से ही भारत सोने की चिड़िया नहीं बना था। स्वामी जी ने व्यक्ति को उऋण होने के लिए प्रयासरत रहने की आवश्यकता बताई और इसे सृष्टि की रक्षा के लिए भी आवश्यक बताया।


निवेदिता भिड़े, कन्याकुमारी


निवेदिता ने कहा कि मनुष्य एकात्मकता को भूलकर उपभोग में जीने लगा था। काम, क्रोध और भय बढ़ने से रोग आते हैं। ईश्वर ने कोरोना संकट से आत्मबोध का महत्व बता दिया है। सुश्री निवेदिता ने कहा कि शरीर के अपने नियम होना चाहिए। आज व्यक्ति कभी भी सोता, जागता है, जो उसकी इम्यूनिटी को प्रभावित करता है। सृष्टि की सेवा में आत्मीय भाव से संलग्न होना और रोग से सभी की रक्षा के लिए प्रयासरत रहना अति आवश्यक है। सुश्री निवेदिता ने शंकराचार्य जयंती की शुभकामनाएँ देते हुए मुख्यमंत्री श्री चौहान के प्रयासों को महत्वपूर्ण बताया।


मुकुल कानितकर, नागपुर


वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में मुकुल जी ने भागीदारी करते हुए कहा कि भारतीय शिक्षण मंडल निरंतर यह प्रयास कर रहा है कि परंपराएँ अक्षुण्ण रहें। शंकराचार्य जी के दर्शन को पंडित दीनदयाल उपाध्याय ने भी आवश्यक बताया है। आज मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री चौहान इस दिशा में सक्रिय हैं। वर्ष 2007 में प्रारंभ किए गए सामूहिक सूर्य नमस्कार का महत्व लोग समझने लगे हैं। मुकुल जी ने आशा व्यक्त करते कहा कि आचार्य शंकर न्यास आत्मा की शक्ति को जागृत करने की दिशा में कार्य करेगा। हमारी परंपराओं में प्रथम रोटी गाय को खिलाने, तुलसी को जल चढ़ाने जैसी छोटी-छोटी परंपराएँ संस्कृति का महत्वपूर्ण भाग हैं। गुरुकुल शिक्षा केंद्र पूरे विश्व को संदेश देते हैं । इस लॉक डाउन को हमने घर वास का नाम दिया है, जो मनोबल बढ़ाने के अवसर के रूप में देखा जाना चाहिए। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने जिस लक्ष्मण रेखा के पालन की बात की है, वह राष्ट्र धर्म का निर्वाह ही है। मुकुल जी ने कहा कि आदर्श शासन व्यवस्था का एक मॉडल इस एकात्मता के आधार पर तैयार हो सकता है। इस संबंध में शोध हो और विश्वविद्यालय स्तर पर अध्ययन, अनुसंधान के माध्यम से मॉडल तैयार किया जाना चाहिए।


प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और इंडोनेशिया के राष्ट्रपति के बीच टेलीफोन पर हुई बातचीत...

संवाददाता : नई दिल्ली


      प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने इंडोनेशिया के राष्ट्रपति महामहिम जोको विडोडो के साथ टेलीफोन पर बातचीत की। दोनों राजनेताओं ने इस क्षेत्र के साथ-साथ पूरी दुनिया में कोविड-19 महामारी के फैलाव के बारे में अपने-अपने विचारों का आदान-प्रदान किया।


इंडोनेशिया के राष्ट्रपति ने इंडोनेशिया को दवा उत्पादों की आपूर्ति के लिए भारत सरकार द्वारा दी गई सुविधा की सराहना की। प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने उन्हें आश्वासन दिया कि भारत चिकित्सा उत्पादों या दोनों देशों के बीच व्यापार की जाने वाली अन्य वस्तुओं की आपूर्ति में किसी भी तरह के व्यवधान को रोकने के लिए अपनी ओर से भरसक कोशिश करेगा।



दोनों राजनेताओं ने एक दूसरे के यहां मौजूद अपने-अपने नागरिकों से संबंधित मुद्दों पर चर्चा की और इस बात पर सहमति जताई कि उनकी टीमें इस संबंध में हरसंभव सुविधा सुनिश्चित करने के लिए आपस में निरंतर संपर्क में रहेंगी।


प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने इस तथ्य को रेखांकित किया कि इंडोनेशिया भारत के विस्तारित पड़ोस में एक महत्वपूर्ण समुद्री साझेदार है, और द्विपक्षीय संबंधों की मजबूती दोनों ही देशों को इस महामारी से लड़ने में मदद करेगी।


प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने रमजान के पवित्र महीने के लिए राष्ट्रपति महामहिम विडोडो और इंडोनेशिया के मैत्रीपूर्ण लोगों को शुभकामनाएं भी दीं।


हिमाचल के चंबा इलाके में आया भूकंप, कोरोना दहशत के बीच झटकों से सहमे लोग...

संवाददाता : चंबा हिमाचल


      कोरोना संकट के बीच मंगलवार को हिमाचल प्रदेश में भूकंप के झटके ने लोगों को डरा दिया। हिमाचल प्रदेश के चंबा इलाके में 4.0 की तीव्रता वाला भूकंप आया, जिसके बाद लोगों को घरों से बाहर निकलते देखा गया। हालांकि, इस भूकंप से अब तक किसी तरह के नुकसान की खबर नहीं है।



मगर कोरोना वयारस के दहशत के बीच भूकंप के झटकों से लोग सहमे हुए जरूर नजर आए।बताया जा रहा है कि यह भूकंप चंबा इलाकों में दोपहर 12:17 बजे हुआ। भूकंप का केंद्र 19 किलोमीटर की गहराई पर था। बता दें कि इससे पहले 12 और 13 अप्रैल को लगातार दिल्ली में दो दिन भूकंप के झटके आए थे लोग पूरी तरह से दहशत में आ गए थे। रिक्टर स्केल पर दोनों दिन भूकंप की तीव्रता बहुत खास नहीं थी। यही वजह है कि किसी तरह का कोई नुकसान नहीं हुआ। भूकंप के दौरान मकान, दफ्तर या किसी भी इमारत में अगर आप मौजूद हैं तो वहां से बाहर निकलकर खुले में आ जाएं। इसके बाद खुले मैदान की ओर भागें।भूकंप के दौरान खुले मैदान से ज्यादा सुरक्षित जगह कोई नहीं होती।


भूकंप आने की स्थिति में किसी बिल्डिंग के आसपास न खड़े हों। अगर आप ऐसी बिल्डिंग में हैं, जहां लिफ्ट हो तो लिफ्ट का इस्तेमाल बिल्कुल न करें। ऐसी स्थिति में सीढ़ियों का इस्तेमाल करना ही उचित होता है।भूकंप के दौरान घर के दरवाजे और खिड़की को खुला रखें। इसके अलावा घर की सभी बिजली स्विच को ऑफ कर दें। 


अगर बिल्डिंग बहुत ऊंची हो और तुरंत उतर पाना मुमकिन न हो तो बिल्डिंग में मौजूद किसी मेज, ऊंची चौकी या बेड के नीचे छिप जाएं। भूकंप के दौरान लोगों को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि वो पैनिक न करें और किसी भी तरह की अफवाह न फैलाएं, ऐसे में स्थिति और बुरी हो सकती है।


केदारनाथ धाम,10 कुंतल फूलों से सजा, प्रात: 6 बजकर 10 मिनट पर खुलें कपाट...

प्रजा दत्त डबराल @ रुद्रप्रयाग उत्तराखंड 


      विश्व प्रसिद्ध भगवान केदारनाथ धाम के कपाट बुधवार को विधि विधान और पूजा अर्चना के बाद खोल दिए जाएंगे। हालांकि पहले कपाट खुलने के मौके पर यहां तीर्थयात्री और स्थानीय लोगों की कमी साफ महसूस होगी। कोराना संकट के चलते यह पहला मौका होगा जब कपाट खुलने पर बाबा के दरबार में भक्तों का टोटा होगा। इधर कपाट खुलने की सभी तैयारियां पूरी कर ली गई है।



बुधवार सुबह 6 बजकर 10 मिनट पर बाबा केदार के कपाट खोल दिए जाएंगे। मुख्य पुजारी शिव शंकर लिंग कपाट खुलने की परम्परा का निर्वहन करेंगे। जबकि उनके साथ देवस्थानम बोर्ड के प्रतिनिधि के तौर पर बीडी सिंह मौजूद रहेंगे। इस बार मंदिर को फूलों और बिजली की लड़ियों से सजाया गया है। बताया गया है कि केदारनाथ धाम को 10 कुंतल फूलों से सजाया गया है।


इस मौके पर चारधाम देवस्थानमं बोर्ड द्वारा भेजे गए अधिकारी कर्मचारियों के साथ प्रशासन और पुलिस की टीम भी मौजूद रहेगी।पूरी सागदी के साथ कपाट खुलने की परम्परा निभाई जाएगी। सोशल डिस्टेंसिंग रहे और भीड़ न हो इसके लिए प्रशासन ने किसी को भी केदारनाथ जाने की अनुमति नहीं दी है।


इसलिए कपाट खुलने के मौके पर काफी कम संख्या में लोग मौजूद रहेंगे। जिलाधिकारी मंगेश घिल्डियाल ने बताया कि कोरोना महामारी के चलते केदारनाथ के कपाट खुलने की परम्परा का सादगी से निर्वहन किया जाएगा, किसी भी दर्शनार्थी को केदारनाथ जाने की अनुमति नहीं दी गई है।


मंगलवार, 28 अप्रैल 2020

ब्लाक प्रमुख जयहरिखाल ने की CM से फोन पर बात,प्रभारी मंत्री पौड़ी ने डाला ग्रामीणों के पेयजल पर डाका...

प्रजा दत्त डबराल @ नई दिल्ली


          प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का यह नारा "हर घर को नल से जल" सफल होता नजर नहीं आ रहा ,उत्तराखंड के जयहरिखाल ब्लॉक में इसका एक उदाहरण देखने को मिला है। इससे पूरे इलाके की जनता में बड़ा रोष है। आइए आपको बताते हैं विस्तार से :


लॉकडाउन के इस कठिन समय पर जहां कई लोग देवदूत बनकर निस्वार्थ भाव से आम जनता की मदद के लिए सामने आ रहे हैं वहीं कुछ ऐसे भी लोग हैं जो अपने  निजी स्वार्थ के कारण अपने पद का दुरुपयोग कर आम जनता का शोषण  कर रहे हैं।


समखाल  स्थित वृद्धाश्रम  के निकट एक सार्वजनिक हैंडपंप लगा हुआ है ।यह एकमात्र हैंडपंप है जो कि  नजदीकी गांव जिनमें ओडल, खुंडोली, सारी ,पौखाल, समखाल स्थित वृद्धाश्रम (जहां पर वर्तमान में 40 लोग रह रहे हैं) आदि के गांव को पानी की आपूर्ति की जाती है।


स्थानीय लोगों का यह आरोप है कि उत्तराखंड सरकार में माननीय मंत्री डॉ हरक सिंह रावत इस पर पूर्ण रूप से संलिप्त हैं। यहां पर मंत्री की बहू (अनुकृति गुसाईं ) का एक निजी NGO महिला उत्थान एवं बाल कल्याण संस्थान है। जिसकी वह अध्यक्षता है ।



जिस पर पानी की पूर्ति के लिए इस हैंडपंप का सहारा लिया जा रहा है वह बिना किसी जानकारी के इस हैंडपंप पर मोटर लगाकर इसका पूरा पानी अपने NGO को सप्लाई की जा रही है। आम जनता की मदद के बजाय, उनको राशन एवं खाद्य सामग्री मुहैया करवाना तो दूर की बात उनसे उनका पीने का पानी भी छीन लिया गया।


इस महामारी संकट के दौर में जहां प्रदेश सरकार भाजपा की तरफ से माननीय मंत्री हरक सिंह जी को प्रभारी मंत्री बनाया गया है वही मंत्री जी द्वारा हैंडपंप पर मोटर लगवा कर आम जनता के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। आखिरकार मंत्री ही बने जनता के कंठ सुखाने का कारण। यह हैंडपंप एकमात्र जल स्रोत है स्थानीय लोगों के लिए क्योंकि अभी तक भैरवगड़ी जल परियोजना वहां पर सुचारू रूप से चालू नहीं हो पाई है।


आज से 10 वर्ष पूर्व जब दीपक भंडारी इस क्षेत्र से जिला पंचायत सदस्य थे तब उनके ही द्वारा पौखाल और समखाल में इस पानी हैंडपंप जल स्रोत की स्वीकृति तत्कालीन जल संस्थान के अधिशासी अभियंता मेवाड़ से करवाई गई थी । जिस पर यह कहा गया था कि हैंडपंप पर मोटर लगवा कर सारी और पौखाल के ग्रामीणों को पानी उपलब्ध भी करवाया जा सकता है।


लेकिन विभाग द्वारा यह कहा गया था कि जो हैंडपंप सार्वजनिक स्थानों पर लगे हुए हैं इन हैंडपंपों पर मोटर लगाने का शासनादेश का कोई भी प्रावधान नहीं है व सार्वजनिक स्थान पर होने के कारण इस पर किसी भी प्रकार की मोटर नहीं लगाई जा सकती।


जहां एक ओर आमजनता ,ग्रामीणों के लिए जो ग्रामीण बूंद-बूंद पानी को तरस रहे हैं उनके लिए इस हैंडपंप पर मोटर ना लगाने का प्रावधान हो तो कैसे एक जनप्रतिनिधि अपने निजी स्वार्थ के कारण इस प्रावधान का उल्लंघन कर सकता है।


प्रजा टुडे के संवाददाता से बात करते हुए नरेंद्र भंडारी ने बताया इस विषय को गंभीरता से लेते हुए आज मुख्यमंत्री से दूरभाष पर इस संदर्भ में वार्ता की गई।



जिस पर मुख्यमंत्री ने तत्काल कार्रवाई का आश्वासन दिया। जिस पर दीपक भंडारी ने उप जिलाधिकारी व अधिशासी अभियंता जल संस्थान को कहा कि आज अगर यह मोटर नहीं हटाई गई तो कल  जल संस्थान /माननीय मंत्री /विभाग /NGO के खिलाफ FIR  दर्ज की जाएगी और ग्रामीण जनता के सहयोग के साथ तहसील परिसर में  इस लॉकडाउन के दौर में भी धरना प्रदर्शन शुरू कर दिया जाएगा।


आज सुबह स्थानीय लोगों ने Social Distancing के साथ इस बात का विरोध करते हुए इस मोटर को तत्काल हटवाने की मांग की गई  इस बात की जानकारी वहां की पट्टी पटवारी और SDM लैंसडाउन को भी दी गई, इस पर तत्काल कार्रवाई करते हुए SDM लैंसडाउन की ओर से महिला पटवारी वंदना भी वहां मौके पर पहुंची व स्थिति का जायजा लिया तथा थाना प्रभारी लैंसडाउन को इस बात से अवगत करवाया गया।


इस मौके पर रजनी देवी, महिला मंगल दल सुरमाडी, मनजीना, सामाजिक कार्यकर्ता दीपक बौंठियाल, अर्जुन सिंह , महावीर सिंह , बृजमोहन गुसाईं,  भूमादेवी तथा तमाम महिलाएं वहां एकत्रित हुई,जिस पर उप जिलाधिकारी के मौखिक आश्वासन के बाद उन्होंने अपना धरना प्रदर्शन स्थगित किया।


शासकीय कार्यालयों में काम-काज प्रारंभ होने के पहले किया जाएगा सेनेटाइजेशन : मुख्यमंत्री

संवाददाता : रायपुर छत्‍तीसगढ़


      मुख्यमंत्री भूपेश बघेल द्वारा सभी शासकीय कार्यालयों में काम-काज प्रारंभ करने के पूर्व उन्हें सेनेटाइजेशन करने के निर्देश मुख्य सचिव को जारी किए गए हैं।


मुख्यमंत्री ने कोविड-19 के संक्रमण से बचाव के लिए ‘सेनेटाइजेशन ड्राईव‘ चलाकर कार्यालयों की साफ-सफाई, सेनेटाइजेशन, रंग-रोगन, हाथ धोने की व्यवस्था जैसी तैयारियां जल्द से जल्द करने के निर्देश अधिकारियों को दिए हैं। कोरोना संक्रमण से बचाव कार्य के लिए राज्य सरकार द्वारा सभी जिलों को पूर्व में  25-25 लाख रूपए की राशि भी जारी की गई है।



बघेल ने निर्देश में कहा है कि निकट भविष्य में ‘लाॅकडाउन‘ समाप्त होने एवं शासकीय कार्यालयों में काम-काज आरंभ होना संभावित है। शासकीय कार्यालयों में बड़ी संख्या में आमजनों का आना भी स्वाभाविक है। देशव्यापी इस आपदा का प्रभाव लम्बी अवधि तक रहना निश्चित है। इसलिए कार्यालयों में सेनेटाइजेशन आवश्यक है। ताकि कोविड-19 वायरस के प्रसार की गति को नियंत्रित रखा जा सके।


राज्य में प्रवेश करने पर पूर्ण चिकित्सा जांच अनिवार्य: मुख्यमंत्री

संवाददाता : शिमला हिमाचल


      मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर ने आज सभी उपायुक्तों, पुलिस अधीक्षकों और मुख्य चिकित्सा अधिकारियों के साथ शिमला से वीडियो काॅन्फ्रेंस के माध्यम से बैठक के दौरान प्रदेश की सीमाओं में प्रवेश करने वाले सभी लोगों की पूर्ण चिकित्सा जांच सुनिश्चित करवाने के उपरांत ही उन्हें होम क्वारन्टीन के लिए संबंधित गंतव्यों के लिए जाने की स्वीकृति देने के निर्देश दिए।


मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में प्रवेश करने वाले लोगों के लिए आरोग्य सेतु ऐप डाउनलोड करना अनिवार्य किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि संबंधित उपायुक्तांे द्वारा अधिक पास जारी न किये जाएं, ताकि प्रदेश के प्रवेश स्थलों पर भीड़ न लगे। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के विभिन्न मुख्यमंत्रियों के साथ वीडियो काॅन्फ्रेंस के दौरान सामाजिक दूरी बनाए रखने पर विशेष बल दिया है।



उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने यह सुनिश्चित करने पर बल दिया है कि कोरोना वायरस ग्रीन जोन में प्रवेश न करे। उन्होंने कहा कि रेड जोन तथा आॅरेंज जोन के लिए अलग-अलग रणनीतियां तैयार की जानी चाहिए, ताकि इन्हें जितना शीघ्र हो सके ग्रीन जोन में परिवर्तित किया जा सके।


जय राम ठाकुर ने कहा कि आर्थिक गतिविधियां विशेषकर ग्रीन जोन में आरंभ करने के लिए प्रयास किए जाने चाहिए। उन्होंने कहा कि आवश्यक वस्तुओं तथा कृषि उपकरणों की सुचारू आवाजाही सुनिश्चित बनाने पर विशेष बल दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए लोगों को फेस मास्क और फेस कवर पहनने के लिए भी प्रेरित किया जाना चाहिए।


मुख्यमंत्री ने कहा कि निश्चित क्षेत्रों में चयनित दुकानों को खोलने की स्वीकृति दी गई है, परंतु सभी लोगों द्वारा सामाजिक दूरी बनाना तथा फेस मास्क और सेनेटाईजर का उपयोग करना सुनिश्चित किया जाना चाहिए।मुख्य सचिव अनिल खाची ने कहा कि अन्य राज्यों से प्रदेश में प्रवेश करने वाले लोगों की यात्रा तथा संपर्क में आए लोगों का पूर्ण ब्योरा प्राप्त करने के उपरांत ही उन्हें होम क्वारन्टीन के लिए जाने की स्वीकृति दी जाएगी।


पुलिस महानिदेशक एस. आर. मरडी ने कहा कि लोगों को आरोग्य सेतु ऐप में गलत सूचना न देने के प्रति जागरूक किया जाना चाहिए।


अतिरिक्त मुख्य सचिव मनोज कुमार तथा आर. डी. धीमान, प्रधान सचिव जे. सी. शर्मा, आंेकार शर्मा, संजय कुंडू, सचिव रजनीश तथा मुख्यमंत्री के प्रधान निजी सचिव विनय सिंह भी बैठक में उपस्थित थे।


एफसीआई ने लॉकडाउन की अवधि के दौरान रवाना कीं खाद्यान्न से भरी 2000 से ज्यादा ट्रेन...

संवाददाता : नई दिल्ली


      देश में सभी प्रमुख खरीद वाले राज्यों में गेहूं की खरीद तेजी से हो रही है। 26.04.2020 तक केन्द्रीय पूल के लिए कुल 88.61 लाख मीट्रिक टन (एलएमटी) गेहूं की खरीद हो चुकी है। इसमें 48.27 एलएमटी के साथ सबसे ज्यादा योगदान पंजाब का रहा है, जिसके बाद 19.07 एलएमटी के साथ हरियाणा रहा है। खरीद की वर्तमान गति को देखें तो इस सत्र में 400 एलएमटी का लक्ष्य आसानी से हासिल किया जा सकता है। कोविड-19 वायरस के प्रसार के खतरे को देखते हुए मंडियों में पर्याप्त सावधानियां और सामाजिक दूरी के नियमों के पालन के साथ खरीद की जा रही है। किसानों को किसी तरह की परेशानी नहीं हो, यह सुनिश्चित करने के लिए हर प्रयास किया जा रहा है। अतिरिक्त भंडार से खपत वाले राज्यों को तेज गति से खाद्यान भेजा जा रहा है।


इसके साथ ही लॉकडाउन की अवधि के दौरान भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) 2,000 से ज्यादा ट्रेन लोड्स को रवाना कर चुका है। 27.04.2020 तक भारत सरकार की विभिन्न योजनाओं के लिए खाद्यान्नों की जरूरत को पूरा करने के लिए कुल 2,087 ट्रेन लोड्स ने लगभग 58.44 लाख एमटी खाद्यान्न भेजा गया।



खपत वाले राज्यों में कई प्रमुख अनलोडिंग केन्द्रों के हॉटस्पॉट और नियंत्रण क्षेत्र घोषित होने के कारण कई प्रकार की बंदिशों के बावजूद इस अवधि के दौरान 53.47 एलएमटी खाद्यान्न से भरी 1,909 रैक अनलोड की गईं। ऐसा अनुमान है कि केन्द्र और राज्य सरकारों द्वारा बंदिशों में धीरे-धीरे ढील दिए जाने के साथ आने वाले दिनों में अनलोडिंग बढ़ जाएगी। प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्य योजना (पीएमजीकेएवाई) के अंतर्गत 3 महीने (अप्रैल से जून) के लिए प्रति व्यक्ति मुफ्त 5 किलोग्राम खाद्यान्न वितरण के लिए उठान तेजी से बढ़ रहा है। संघ शासित क्षेत्रों लद्दाख और लक्षद्वीप पहले ही अपने 3 महीने के पूरे कोटे का उठान कर चुके हैं। अन्य 7 राज्य जून का कोटा उठा रहे हैं, जबकि 20 राज्य वर्तमान में मई महीने का कोटा उठा रहे हैं। 8 राज्य अप्रैल महीने का कोटा उठा रहे हैं, जिसे इस महीने के अंत तक पूरा होने का अनुमान है।


एफसीआई ने जरूरतों को पूरा करने के लिए सभी राज्यों में पर्याप्त भंडार की व्यवस्था कर ली है। पश्चिम बंगाल के मामले में 3 महीने के लिए जरूरी लगभग 9 लाख एमटी के अतिरिक्त आवंटन की योजना पहले ही तैयार कर ली गई है, जिसके तहत पश्चिम बंगाल में इतनी कम अवधि में खाद्यान्न की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए 4 राज्यों तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़ और ओडिशा से राज्य के विभिन्न हिस्सों को चावल से भरी लगभग 227 ट्रेनें भेजी जाएंगी।


प्रधानमंत्री ने ‘कोविड-19’ से निपटने हेतु आगे की योजना बनाने के लिए मुख्यमंत्रियों के साथ विचार-विमर्श किया...

प्रजा दत्त डबराल @ नई दिल्ली


      प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने ‘कोविड-19’ से उत्‍पन्‍न स्थिति पर चर्चा करने और इस महामारी से निपटने हेतु आगे की योजना बनाने के लिए आज वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ विचार-विमर्श किया। यह मुख्यमंत्रियों के साथ प्रधानमंत्री की इस तरह की चौथी चर्चा थी, जो इससे पहले 20 मार्च, 2 अप्रैल और 11 अप्रैल, 2020 को आयोजित की गई थी।  


प्रधानमंत्री ने यह बात रेखांकित की कि लॉकडाउन के सकारात्मक परिणाम सामने आए हैं क्योंकि देश पिछले डेढ़ महीनों में हजारों लोगों की जान बचाने में कामयाब रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि भारत की आबादी कई देशों की संयुक्त जनसंख्या के बराबर है। भारत सहित कई देशों में इस दृष्टि से स्थिति मार्च की शुरुआत में कमोबेश एकसमान थी। हालांकि, समय पर उठाए गए ठोस कदमों की बदौलत भारत अनगिनत लोगों की जिंदगी की रक्षा करने में सक्षम रहा है। हालांकि, उन्होंने आगाह करते हुए कहा कि वायरस का खतरा अभी खत्म नहीं हुआ है और निरंतर सतर्क रहना सबसे अधिक जरूरी है।



प्रधानमंत्री ने कहा कि देश ने अब तक दो लॉकडाउन देखे हैं, दोनों ही कुछ पहलुओं में एक-दूसरे से भिन्न हैं, और अब हमें आगे की राह के बारे में सोचना होगा। उन्होंने कहा कि विशेषज्ञों के अनुसार, कोरोना वायरस का प्रभाव आने वाले महीनों में भी दिखाई देगा। ‘दो गज दूरी’ के मंत्र को दोहराते हुए उन्होंने कहा कि मास्‍क और फेस कवर आने वाले दिनों में हमारे जीवन का हिस्सा बन जाएंगे। उन्होंने कहा कि इन परिस्थितियों में तेजी से प्रभावकारी कदम उठाना निश्चित तौर पर हर किसी का उद्देश्य होना चाहिए। उन्होंने कहा कि आज कई लोग स्‍वयं ही आगे आकर यह जानना चाह रहे हैं कि क्या उन्हें खांसी और सर्दी या इस रोग के लक्षण हैं, जो एक स्वागत योग्य संकेत है।


प्रधानमंत्री ने कहा कि हमें अर्थव्यवस्था को विशेष महत्व देना होगा और इसके साथ ही कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई जारी रखनी होगी। उन्होंने प्रौद्योगिकी का अधिक से अधिक उपयोग करने के महत्व और इसके साथ ही सुधार लाने वाले उपायों को अपनाने में समय का सदुपयोग करने पर विशेष जोर दिया। उन्होंने यह सुनिश्चित करने के महत्व पर विशेष बल दिया कि कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई में देश के प्रयासों को मजबूती प्रदान करने के लिए अधिक से अधिक लोग ‘आरोग्य सेतु एप’ को डाउनलोड करें। उन्‍होंने कहा, ‘हमें साहसी बनना होगा और आम नागरिकों के जीवन को बेहतर बनाने वाले सुधारों को लागू करना होगा।’ उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि विश्वविद्यालयों से जुड़े लोगों को महामारी से लड़ने के तरीकों को विकसित करने  और अनुसंधान के साथ-साथ नवाचार को भी मजबूत करने के लिए एकीकृत किया जा सकता है।


उन्होंने हॉटस्पॉट यानी रेड जोन क्षेत्रों में संबंधित दिशा-निर्देशों को सख्ती से लागू करने में राज्यों के महत्व पर प्रकाश डाला। प्रधानमंत्री ने कहा कि राज्यों को ‘रेड जोन’ को पहले ‘ऑरेंज जोन’ में और फि‍र ‘ग्रीन जोन’ में बदलने की दिशा में अपने प्रयासों को केंद्रित करना चाहिए।


विदेश में रह रहे भारतीयों को स्‍वदेश वापस लाने के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि यह इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए किया जाना चाहिए कि उन्‍हें कोई असुविधा न हो और उनके परिवार किसी भी जोखिम में नहीं हों। प्रधानमंत्री ने मुख्यमंत्रियों से यह भी आग्रह किया कि वे आगे की रणनीति तैयार करते समय मौसम में बदलाव यथा गर्मी एवं मानसून के आगमन और इस मौसम में आने वाली बीमारियों को अवश्‍य ही ध्‍यान में रखें।


केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने लॉकडाउन लागू करने की आवश्यकता की फि‍र से पुष्टि की, ताकि अधिक से अधिक लोगों का जीवन बचाया जा सके।


मुख्यमंत्रियों ने संकट की इस अवधि में प्रधानमंत्री के नेतृत्व की प्रशंसा की, और इसके साथ ही वायरस को फैलने से रोकने के लिए अपने द्वारा किए गए प्रयासों पर प्रकाश डाला। मुख्यमंत्रियों ने अंतर्राष्ट्रीय सीमाओं पर पैनी नजर रखने की आवश्यकता को रेखांकित किया और इसके साथ ही आर्थिक चुनौतियों का सामना करने तथा स्वास्थ्य अवसंरचना को और भी अधिक मजबूत करने के उपाय सुझाए। इन नेताओं ने कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई में पुलिस बल और चिकित्सा कर्मियों द्वारा किए गए अनुकरणीय कार्यों के लिए उनके प्रति आभार व्यक्त किया।


शिक्षक संघ DUTA के साथ कार्यकारी परिषद EC प्रोफेसर वीरेंद्र सिंह नेगी बैठे अनशन पर...

प्रजा दत्त डबराल @ नई दिल्ली


      शिक्षक संघ DUTA के साथ कार्यकारी परिषद EC प्रोफेसर वीरेंद्र सिंह नेगी आज अनशन पर बैठे हैं। उन्होंने मांग की है कि दिल्ली की दिल्ली की केजरीवाल सिसोदिया सरकार कई महीनों से दिल्ली विश्वविद्यालय के 12 कॉलेजों की ग्रांट व फंडिंग रोककर बैठी है उसे तत्काल जारी किया जाए। गौरतलब है कि इन कालेजों में सातवें वेतन आयोग जो कि 2016 से लागू हो चुका है का एरियर भी बकाया है। कोरोनावायरस के संकट में कर्मचारी और शिक्षकों का देय उनकी परेशानी को कम कर सकता है। 



हमारे संवाददाता से बात करते हुए उन्होंने फोन पर बताया कि दिल्ली विधानसभा के बजट सत्र में नेता प्रतिपक्ष भाजपा के रामवीर सिंह बिधूड़ी जी ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से लिखित मांग की है कि दिल्ली विश्वविद्यालय के 28 कॉलेज में दिल्ली सरकार द्वारा अनुदान ग्रहण करने वाले कॉलेजों के तमाम फंड तत्काल रिलीज किए जाएं। इनमें से कई कॉलेजों में दो-तीन महीने से सैलरी नहीं दी जा रही है व सातवें वेतन आयोग के एरियर्स भी शिक्षकों, कर्मचारियों व कॉन्ट्रैक्ट एंप्लॉयीज को अभी तक आवंटित नहीं किए गए हैं।


आशा है कि दिल्ली सरकार मुख्यमंत्री व उपमुख्यमंत्री जल्दी ही इस मांग का सम्मान करते हुए शिक्षकों, कर्मचारियों व कॉन्ट्रैक्ट एंप्लॉयीज महीनों से चली आ रही तंगी व कोरानावायरस के चलते उभरे हालातों के चलती परिस्थितियों का सामना करने में मदद करेंगे।


ऐसे हजारों कर्मचारियों व शिक्षकों को जबरन मुश्किल में ढकेलने के विरोध व तत्काल इस ग्रांट को रिलीज कर मार्च व अप्रैल माह का वेतन दिए जाने की मांग के लिए शिक्षक संघ DUTA के साथ कार्यकारी परिषद EC के चुने हुए सदस्य के नाते आज सुबह 9 बजे से 5 बजे अनशन पर बैठेंगे।


मुख्यमंत्री ने छत्तीसगढ़ के गन्ना उत्पादक किसानों की समस्याओं के समाधान के लिए केन्द्रीय खाद्य मंत्री को लिखा पत्र...

संवाददाता : रायपुर छत्‍तीसगढ़


      मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने केन्द्रीय खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता मंत्री राम विलास पासवान को पत्र लिखकर प्रदेश के गन्ना कृषकों की समस्याओं की ओर उनका ध्यान आकर्षित किया है। बघेल ने छत्तीसगढ़ को शक्कर के विक्रय हेतु 50 हजार मीट्रिक टन का कोटा एकमुश्त जारी करने और इस विशेष परिस्थिति में प्रत्येक माह जारी किए जाने वाले कोटे से इसे मुक्त रखने का आग्रह किया हैै। उन्होंने पत्र में लिखा है कि शक्कर विक्रय हेतु कोटा निर्धारित के कारण प्रदेश के सहकारी शक्कर कारखानों द्वारा उत्पादित शक्कर का विक्रय नहीं हो पा रहा है।


साथ ही कोटा सिस्टम होने से प्रदेश के कारखानों मंें पूर्व सीजन की शक्कर का विक्रय भी नहीं हो पाया है। वर्तमान सीजन में पेराई प्रारंभ हो जाने से एक और शक्कर का स्टाक तो लगातार बढ़ रहा है, किन्तु विक्रय नहीं हो पाने से निर्मित प्रतिकूल वित्तीय स्थिति के कारण गन्ना उत्पादक किसानों को भुगतान भी नहीं हो पा रहा है।



बघेल ने इस समस्या के समाधान के लिए केन्द्रीय मंत्री से शक्कर के विक्रय हेतु 50 हजार मीट्रिक टन का कोटा एकमुश्त जारी करने और इस विशेष परिस्थिति में प्रत्येक माह जारी किए जाने वाले कोटे से इसे मुक्त रखने का आग्रह किया हैै। उन्होंने पत्र में लिखा है कि कोरोना जनित परिस्थितियों के कारण प्रदेश के गन्ना उत्पादक कृषक सदस्यों की गंभीर समस्या की ओर आपका ध्यान आकर्षित करना चाहता हूं। भारत सरकार द्वारा माह जून 2018 से शक्कर विक्रय हेतु मासिक कोटा जारी किया जा रहा है, शक्कर कारखानों को आबंटित कोटे के अंतर्गत ही शक्कर विक्रय की पात्रता है। इसके पूर्व भी पत्रों द्वारा आपका ध्यानाकर्षण किया गया था किन्तु शक्कर विक्रय हेतु छूट अब तक अपेक्षित है।


मुख्यमंत्री ने पत्र में लिखा है कि प्रदेश में चार शक्कर कारखाने सहकारी क्षेत्र में संचालित है, वर्तमान पेराई सीजन 2019-20 में 35 हजार कृषकों द्वारा 195 करोड़ रूपए मूल्य का 7 लाख 44 हजार 309 मीट्रिक टन गन्ना का विक्रय कारखानों को किया गया है। किन्तु प्रतिकूल परिस्थितियों के कारण गन्ना किसानों को भुगतान नहीं हो पा रहा है, किसानों के हितों को ध्यान में रखते हुए विषम परिस्थितियों में किसानों से गन्ने का क्रय तथा पेराई की जा रही है।


कोरोना जनित परिस्थितियों के कारण किसान कोई अन्य वैकल्पिक आय के साधन जुटाने में असमर्थ है तथा गन्ने के मूल्य का भुगतान नहीं होने से किसानों को घर-परिवार चलाने हेतु गंभीर आर्थिक समस्या उत्पन्न हो गई है, साथ ही कारखानों में कार्यरत कर्मचारियों को वेतन भुगतान करने में विकट समस्या खड़ी हो गई है।


बघेल ने पत्र में लिखा है कि राज्य में गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाले लगभग 58 लाख परिवार है, लोकहित में राज्य सरकार द्वारा सहकारी शक्कर कारखानों से उत्पादित शक्कर सार्वजनिक वितरण प्रणाली के अंतर्गत रियायती दर पर गरीब परिवारों को उपलब्ध कराई जा रही है।


भारत सरकार द्वारा शक्कर विक्रय हेतु प्रदेश के कारखानों को जारी विक्रय कोटा अत्यधिक कम है, जिससे एक ओर किसानों को गन्ने का भुगतान नहीं हो पा रहा है दूसरी ओर सार्वजनिक वितरण प्रणाली हेतु भी शक्कर उपलब्ध नहीं हो पा रही है, उदाहरण स्वरूप माह अप्रैल 2020 के लिए राज्य में सार्वजनिक वितरण प्रणाली अंतर्गत मांग 5785 मीट्रिक टन है, किन्तु भारत सरकार से 4628 मीट्रिक टन का कोटा ही प्राप्त हुआ है, जो सार्वजनिक वितरण प्रणाली के अंतर्गत मांग से भी 1157 मीट्रिक टन कम है, इस प्रकार प्रदेश के कारखानों द्वारा उत्पादित शक्कर की खुले बाजार हेतु उपलब्धता दूर की बात हो गई है।


जबकि प्रदेश के चारों शक्कर कारखानों मंे 87088 मीट्रिक टन शक्कर रखी हुई है, जिसका निराकरण कोटा के अभाव में नहीं हो पा रहा है। माह मार्च में प्रदेश के 4 कारखानों के लिए 12125 मीट्रिक टन का अतिरिक्त विशेष कोटा जारी किया गया था, किन्तु अतिरिक्त आवंटन को मात्र 7 माह के कोटे में समायोजन कर दिए जाने से समस्या जस की तस बनी हुई है।


मुख्यमंत्री ने पत्र में लिखा है कि कोरोना जनित परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए तथा प्रदेश के गन्ना उत्पादक किसानों एवं सहकारी शक्कर कारखानों के व्यापक हित को ध्यान में रखते हुए गन्ना उत्पादकों के समक्ष उत्पन्न गंभीर समस्या के निराकरण के लिए 50 हजार मीट्रिक टन का कोटा एक मुश्त जारी किया जाए, जिसे विशेष परिस्थितियों में प्रत्येक माह जारी किए जाने वाले कोटे से मुक्त रखा जाए। इसी प्रकार शक्कर कारखानों द्वारा उत्पादित शक्कर गन्ना कृषकों को उनकी मांग अनुसार विक्रय की छूट दी जाए तथा इसे कोटा से पृथक रखा जाए ताकि कृषकों को प्रदाय शक्कर के मूल्य का उनके द्वारा प्रदाय गन्ने की भुगतान योग्य राशि से समायोजन किया जा सके।


बघेल ने पत्र में लिखा है कि कारखानों की भण्डारण एवं प्रतिकूल वित्तीय स्थिति कोे ध्यान में रखते हुए एकमुश्त शक्कर विक्रय कोटा आबंटन जारी करने का अनुरोध किया गया था, जिसके अनुक्रम में चारों कारखानों के लिए 12125 मीट्रिक टन का अतिरिक्त विशेष कोटा जारी करते हुए उक्त कोटा का माह अप्रैल 2020 से माह अक्टूबर 2020 तक 7 माह में समान किश्तों में समायोजन किया जाना है, को भी वर्तमान परिस्थितियों के प्रकाश में स्थगित रखा जाएं।