प्रजा दत्त डबराल @ नई दिल्ली
“दिल्ली की सीमा के अंदर अगर कोई एक्सीडेंट होता है या कोई एसिड अटैक होता है या कोई बर्न इंजरी होती है तो उसका तुरंत इलाज कराना बहुत जरूरी होता है। चिकित्सा के क्षेत्र में कहा गया है कि पहले एक घंटे में अगर उसको मेडिकल की सुविधा मिल जाए तो दुर्घटना के शिकार व्यक्ति की जान बचने के आसार काफी ज्यादा रहते हैं। इस बारे में सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के कई ऑर्डर भी हैं जिनमें कहा गया है कि अगर किसी ऐसे पीड़ित को लेकर आप अस्पताल लेकर जाते हैं तो कोई भी अस्पताल इलाज करने से मना नहीं कर सकता। लेकिन ऐसा देखा गया है कि कई बार प्राइवेट अस्पताल कोई न कोई बहाना बनाकर इलाज के लिए मना कर देते थे। प्राइवेट अस्पताल वाले इसलिए इलाज करने से बचते हैं कि इसका बिल कौन देगा। दुर्घटना के शिकार व्यक्ति का इंश्योरेंस है भी या नहीं।“ दिल्ली के मुख्यमंत्री श्री अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली सचिवालय में हुई एक प्रेस कांफ्रेंस में ये बात कही।
- दिल्ली सरकार अपनी योजना के तहत दुर्घटना पीड़ितों के इलाज का पूरा खर्च उठा रही है
- फरवरी, 2018 से लेकर अप्रैल, 2019 के बीच 2,501 लोगों का निजी अस्पतालों में हुआ मुफ्त इलाज
- दुर्घटना पीड़ितों के इलाज में आनाकानी करने वाले अस्पतालों पर सख्त एक्शन लेगी दिल्ली सरकार
अरविंद केजरीवाल ने कहा, “दिल्ली सरकार के लिए हर इनसान की जान बहुत अहम है, चाहे अमीर हो या गरीब। हम चाहते हैं कि ऐसे हादसों में जो भी पीड़ित हों उनको तुरंत मेडिकल की सुविधा मिले। हम चाहते हैं कि दुर्घटना के आसपास मौजूद लोग दुर्घटना के शिकार व्यक्ति को तुरंत नजदीकी अस्पताल ले कर जाएं। वह अस्पताल चाहे कितना भी बड़ा न हो, अस्पताल चाहे प्राइवेट हो या सरकारी, दुर्घटना के शिकार व्यक्ति को तुरंत अस्पताल ले जाना चाहिए ताकि उसकी जान बचाई जा सके। इसके लिए दिल्ली सरकार ने योजना बनाई है कि उसके इलाज का सारा खर्च दिल्ली सरकार उठाएगी। यह योजना फरवरी, 2018 में लागू हुई थी। फरवरी, 2018 से लेकर अप्रैल, 2019 के बीच इस 14 महीने में 2,501 लोगों को अस्पताल ले जाकर जान बचाई जा चुकी है। इन लोगों को प्राइवेट अस्पतालों ले जाया गया। वहां उनका इलाज हुआ।“
मुख्यमंत्री ने कहा, “पिछले कुछ दिनों में मेरे सामने कुछ ऐसे मामले भी आए हैं कि कुछ प्राइवेट अस्पताल दुर्घटना के शिकार ऐसे लोगों के इलाज में आनाकानी कर रहे हैं। आज मैंने दिल्ली के सारे अस्पतालों की मीटिंग बुलाई थी। मैंने उनको कहा कि हम आपको पार्टनर मानते हैं। दिल्ली सरकार के अस्पताल लोगों की जान बचाने की कोशिश करेंगे लेकिन आपकी भी जिम्मेदारी है। आपकी लीगल जिम्मेदारी भी है क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने ऐसा कहा है। अब आप लोग कोई बहाना नहीं बना सकते क्योंकि दिल्ली सरकार इसके लिए पैसे दे रही है। हमारे पास ऐसी एक भी शिकायत नहीं आनी चाहिए। मुझे खुशी है कि सभी अस्पतालों का बहुत पॉजिटिव रेस्पॉन्स रहा है। उन्होंने आश्वासन दिया है कि वे किसी को भी मना नहीं करेंगे। लेकिन उन्हें ये भी बता दिया गया है कि अगर वे मना करेंगे तो दिल्ली सरकार उस अस्पताल के खिलाफ सख्त से सख्त एक्शन लेने में नहीं हिचकेगी। अगर ये पता चला कि ऐसे किसी भी मामले में उनका रवैया गैर- जिम्मेदाराना था और उसकी वजह से किसी की मौत हो जाती है तो दिल्ली सरकार उस अस्पताल का लाइसेंस कैंसल करने से भी नहीं हिचकेगी।“
श्री अरविंद केजरीवाल ने कहा, “मैं आज दिल्ली के नागरिकों को आश्वासन देना चाहता हूं कि भगवान न करे कि आपके साथ कभी कोई दुर्घटना हो, लेकिन अगर ऐसा कुछ हो जाता है तो दिल्ली सरकार आपके साथ है। दिल्ली के सारे अस्पताल आपके साथ हैं।“
मुख्यमंत्री ने ये भी कहा, “एक और बहुत दिलचस्प आंकड़ा है कि हमने इसके साथ एक और स्कीम निकाली थी कि जो भी व्यक्ति दुर्घटना के शिकार व्यक्ति को अस्पताल ले जाएगा उसको 2,000 रुपये का पुरस्कार मिलेगा। अभी तक 2501 मामले आए लेकिन लोगों ने पुरस्कार लेने से मना कर दिया। अभी तक 100 से भी कम लोगों ने ये पुरस्कार लिया। जो भी व्यक्ति पीड़ित को अस्पताल लेकर जाता है वह 2000 रुपये के लालच में नहीं लेकर जाता है। वह उस व्यक्ति की जान बचाने के लिए अस्पताल लेकर जाता है। ये हमारे लिए और समाज के लिए बहुत अच्छी बात है कि जब ऐसे लोगों को 2000 रुपये का पुरस्कार लेने को कहा जाता है तो वह मना कर देते हैं और कहते हैं कि हमने अपना धर्म निभाया है।“