सोमवार, 9 दिसंबर 2019

आदिवासियों की संस्कृति और परंपरा से है छत्तीसगढ़ की विशिष्ट पहचान: भूपेश बघेल

संवाददाता : रायपुर छत्‍तीसगढ़


      मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने मासिक रेडियो वार्ता 'लोकवाणी' की 5वीं कड़ी की शुरूआत 'जय जोहार' के सहज अभिवादन के साथ की। उन्होंने लोकवाणी के माध्यम से प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों, वनांचल तथा आदिवासी अंचलों की जनता से सीधे संवाद पर अपनी प्रसन्नता भी जाहिर की। बघेल ने रेडियो वार्ता के दौरान अमर शहीद वीर नारायण सिंह को याद करते हुए कहा कि उनका बलिदान दिवस 10 दिसम्बर को है। इसी प्रकार 18 दिसम्बर को गुरू बाबा घासीदास की जयंती और 25 दिसम्बर को प्रभु यीशु का जन्म दिवस क्रिसमस है। मुख्यमंत्री ने अमर शहीद वीर नारायण सिंह, गुरू बाबा घासीदास और प्रभु यीशु को नमन करते हुए उनसे प्रदेश की खुशहाली के लिए आशीर्वाद की कामना की।



बघेल ने 'लोकवाणी' में आदिवासियों की गौरवशाली संस्कृति और परम्परा, वनोपज पर आधारित उनकी आजीविका, राज्य सरकार द्वारा अनुसूचित जनजातियों के विकास के लिए किए जा रहे प्रयासों, आदिवासियों के संवैधानिक अधिकारों की सुरक्षा आदि विषयों पर प्रदेशवासियों के साथ अपने विचार साझा किए। बघेल ने रेडियो वार्ता में श्रोताओं द्वारा पूछे गए प्रश्नों के जवाब देकर उनकी जिज्ञासाओं का समाधान किया।  


आदिवासियों की संस्कृति और परंपरा से है छत्तीसगढ़ की विशिष्ट पहचान
मुख्यमंत्री बघेल ने लोकवाणी में चर्चा करते हुए कहा कि प्रदेश में लगभग एक तिहाई आबादी अनुसूचित जनजातियों की है। इन्होंनेे अपनी सोच, अपनी परंपरा, अपनी संस्कृति तथा अपने योगदान से छत्तीसगढ़ को एक विशेष पहचान दी है। अनुसूचित जनजाति के लोग अपनी जिन्दगी में रमे होते हैं। अपनी आकांक्षाएं मुखर करने में भी संकोच करते हैं। इसलिए आज के लोकवाणी का विषय 'आदिवासी विकास-हमारी आस' अत्यंत महत्वपूर्ण है। श्री बघेल ने नारायणपुर के श्री फरश कुमार तथा श्री रामजी धु्रव के सवालों का जवाब देते हुए कहा कि हमारी सरकार ने प्रदेश में तेन्दूपत्ता संग्रहण मजदूरी को 2500 से बढ़ाकर 4000 रूपए प्रति मानक बोरा कर दिया है, ताकि संग्राहकों की आमदनी में तुरंत और सीधी बढोत्तरी हो जाए। 


वनोपजों के कारोबार से जुडे़ंगी 50 हजार महिलाएं
मुख्यमंत्री बघेल ने कहा कि प्रदेश में इसके साथ ही हमने लघु वनोपजों के समर्थन मूल्य पर खरीदी का दायरा भी बढ़ा दिया है। पहले सिर्फ 7 वनोपजों की खरीदी करते थे, जबकि अब हमारी सरकार द्वारा 15 वनोपजों की खरीदी की जा रही है। इसके अलावा 3 लघु वनोपजों, रंगीनी लाख पर 20 रूपए किलो, कुल्लू गोंद पर 20 रूपए किलो तथा कुसमी लाख पर 22 रूपए किलो अतिरिक्त बोनस देने का इंतजाम भी किया गया है। यह जानकार आश्चर्य होगा कि प्रदेश में वनोपज का कारोबार लगभग 18 सौ करोड़ रूपए का होता है, जिसमें हमारे आदिवासी समाज को समुचित भागीदारी नहीं मिली थी। 


जाति प्रमाण-पत्र बनाने की प्रक्रिया को सरल बनाया गया
बघेल ने रेडियोवार्ता में कहा कि अनुसूचित क्षेत्रों में पेसा कानूनों को प्रभावी बनाने के लिए उच्च स्तरीय समिति का गठन किया गया है। जाति प्रमाण-पत्र बनाने की प्रक्रिया को सरल करते हुए पिता की जाति के आधार पर नवजात को जाति प्रमाण पत्र दिए जा रहे हैं। जिन निर्दोष लोगों को झूठे मामलों, मुकदमों में फसाया गया था उन्हें न्याय दिलाने के लिए जस्टिस पटनायक अयोग काम कर रहा है। सारकेगुड़ा में न्यायिक जांच आयोग का प्रतिवेदन प्राप्त हो गया है, जिसके आधार पर दोषियों के विरूद्ध कानूनी कार्यवाही की जाएगी। बस्तर, सरगुजा आदिवासी प्राधिकरण में विधायकों को प्राधिकरणों के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष पद की जिम्मेदारी दी गई है।



राज्य सरकार महात्मा गांधी, पंडित नेहरू, बाबा साहेब अम्बेडकर, सरदार वल्लभ भाई पटेल, लाल बहादुर शास्त्री, डॉ. राजेन्द्र प्रसाद, मौलाना अबुल कलाम आजाद, इंदिरा गांधी, राजीव गांधी जैसे महान नेताओं के पद चिन्हों पर चलते हुए आदिवासी समाज को सबसे पहले और सबसे तेजी से विकास की सुविधाएं देने की पहल कर रही है। 


राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव 27, 28 और 29 दिसंबर को
मुख्यमंत्री ने रेडियोवार्ता में कहा कि आदिवासी लोक कलाओं की देश दुनिया में पहचान स्थापित करने के लिए राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव का आयोजन रायपुर में 27, 28 और 29 दिसंबर को किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि संस्कृति और परम्पराएं हमारी माँ के सामान है। आदिवासी समाज के प्रकृति  और संस्कृति से जुड़ाव पर हमें गर्व है। धरती के संसाधनों हवा, पानी, पर्यावरण को बचाने आदिवासी समाज के योगदान पर हमें गर्व है। नृत्य दलों के गठन के लिए ब्लॉक, जिला और संभाग स्तरीय प्रतियोगिताओं में आदिवासी समाज का उत्साह और जुड़ाव देखने को मिला। राष्ट्रीय आयोजन में भी इसी तरह युवाओं का कौशल और उत्साह देखने को मिलेगा।


लोककला परिषद की आदिवासी कला और संस्कृति के उत्थान में होगी अहम भूमिका
श्री बघेल ने बताया कि आदिवासी लोककला परिषद, लोककला और संस्कृति के उत्थान में अहम भूमिका अदा करेगी। यह लोक कलाकारों की अधिकार संपन्न संस्था होगी। जिसके पास अपना बजट होगा, अपनी समझ, अपनी योजनाएं और कार्यक्रम होंगे। यह नौकरशाही से अलग सक्रिय कलाकारों और विशेषज्ञों द्वारा संचालित होगी। ये सरकारी नहीं बल्कि असरकारी तरीके से काम करने में सक्षम होगी।


नई औद्योगिक नीति 'गढ़बो नवा छत्तीसगढ़' की मूल भावना पर आधारित
मुख्यमंत्री ने रेडियो वार्ता में कहा कि राज्य सरकार की नई औाद्योगिक नीति 'गढ़बो नवा छत्तीसगढ़' की मूल भावना पर आधारित है। इस नीति के माध्यम से आदिवासी अंचलों के विकास में तेजी आएगी और रोजगार के अवसर तेजी से बढ़ेंगे। उद्योग नीति में पिछड़े क्षेत्रों या विकासखंडों को सबसे अधिक रियायत और संसाधन देने का फैसला किया गया है। नए उद्योगों में स्थानीय लोगों को अनिवार्य रूप से रोजगार देने का प्राधान है। अकुशल श्रेणी में 100 प्रतिशत, कुशल श्रेणी में कम से कम 70 प्रतिशत और प्रशासकीय और प्रबंधकीय श्रेणी में कम से कम 40 प्रतिशत रोजगार स्थानीय लोगों को मिलेगा। खेती, उद्यानिकी, हस्तशिल्प आदि को उच्च प्राथमिकता दी गई है। 

बस्तर, सरगुजा, बिलासपुर संभाग के लिए होगा कनिष्ठ कर्मचारी चयन बोर्ड का गठन
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने रेडियोवार्ता में कहा कि वनांचलों एवं ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वालों आदिवासी युवाओं को प्राथमिकता से रोजगार देने के लिए राज्य सरकार ने अनेक बड़े कदम उठाएं है। बस्तर, सरगुजा तथा बिलासपुर संभाग के लिए कनिष्ठ कर्मचारी चयन बोर्ड के गठन का निर्णय लिया गया है। बस्तर, सरगुजा संभाग की तरह कोरबा जिले में जिला संवर्ग के तृतीय एवं चतुर्थ श्रेणी के रिक्त पदों की पूर्ति स्थानीय लोगों से करने की समय-सीमा बढ़ा दी गई है। विशेष पिछड़ी जनजातियों के युवाओं को स्थानीय स्तर पर नौकरी देने के लिए नियमों को शिथिल किया गया है। प्री-मैटिक छात्रावास एवं आवासीय विद्यालयों, आश्रमों के बच्चों की शिष्यवृत्ति बढ़ाकर 1000 रूपए प्रतिमाह की गई है। प्रदेश में 16 नवीन एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय शुरू किए गए है। 


किसानों को धान की कीमत 2500 रूपए प्रति क्विंटल मिलेगी
बघेल ने रेडियोवार्ता में कहा कि प्रदेश में धान की खरीदी एक दिसम्बर से प्रारंभ हो चुकी है। राज्य सरकार ने पूरी व्यवस्था कर रखी है कि किसानों की जेब में 2500 रूपए प्रति क्विंटल की दर से पूरी राशि जाए। किसानों को धान का मूल्य 2500 रूपए प्रति क्विंटल की दर से मिलेगा। केन्द्र के नियमों के तहत फिलहाल केन्द्र द्वारा निर्धारित समर्थन मूल्य पर धान की खरीदी की जा रही है।