शनिवार, 4 जनवरी 2020

सोच में परिवर्तन लायें, मध्यप्रदेश की प्रोफाइल बदलें, ई-गवर्नेंस से वी-गवर्नेंस पर जायें...

प्रजा दत्त डबराल @ भोपाल मध्यप्रदेश


      मुख्यमंत्री कमल नाथ ने यहाँ मंत्रालय में वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारियों के साथ नए वर्ष की पहली बैठक में नव-वर्ष की बधाई देते हुए सरकार की प्राथमिकताओं पर चर्चा की। मुख्यमंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि सरकार अब एक साल पुरानी हो गई है। प्रशासनिक तंत्र को सरकार की सोच स्पष्ट हो गई है। उन्होंने कहा कि सभी ने सरकार को आजमा लिया है। उन्होंने कहा कि हर सरकार और मुख्यमंत्री की अपनी दृष्टि और कार्यशैली होती है और प्रशासन तंत्र के भी अपने तौर-तरीके होते हैं। 


मुख्यमंत्री ने नए साल में सरकार की प्राथमिकताएँ गिनाते हुए कहा कि सबसे ज्यादा जरूरी हैं सोच में परिवर्तन लाना। सोच में परिवर्तन से ही मध्यप्रदेश की नई पहचान बनेगी। उन्होंने कहा कि सरकार की सोच और प्रशासनिक तंत्र के काम करने के तरीके में अंतर नहीं होना चाहिए। 



मुख्यमंत्री ने कहा कि मध्यप्रदेश की प्रोफाइल को कैसे बदलना है, इस पर मिलकर काम करने की आवश्यकता है। प्रदेश में विश्वास और आत्मविश्वास का वातावरण बने तथा देश में मध्यप्रदेश की नई पहचान बने। मुख्यमंत्री ने कहा कि शासन-प्रशासन में सुधार लाना सबसे बड़ी चुनौती है। यह वरिष्ठ स्तर से शुरू होकर निचले स्तर तक जाती है। इस प्रक्रिया में हर विभाग का योगदान और भूमिका होनी चाहिए। 


ई-गवर्नेंस से वी-गवर्नेंस


मुख्यमंत्री ने अधिकारियों से कहा कि सेवा प्रदाय व्यवस्थाओं को सक्षम बनाने पर ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है ताकि आम नागरिकों को इनका भरपूर लाभ दिला सकें। सेवा प्रदाय व्यवस्था जितनी प्रभावी होगी उतना ही प्रभावी प्रशासन होगा। उन्होंने कहा कि अब ई-गवर्नेंस से वी-गवर्नेंस पर जाने की आवश्यकता है। पुरानी व्यवस्थाओं की समीक्षा कर अप्रभावी व्यवस्थाओं में परिवर्तन कर सक्षम बनाएँ। उन्होंने कहा कि हर परिवर्तन में थोड़ा नुकसान होता है लेकिन थोड़े नुकसान के लिए बड़े फायदे की अनदेखी करना ठीक नहीं।


मुख्यमंत्री ने कहा कि जनजातीय कल्याण और वन संपदा संरक्षण सरकार की महत्वपूर्ण प्राथमिकताओं में से हैं। अन्य राज्यों में हो रहे अच्छे कामों का भी अध्ययन करें। परिवर्तन और समय के साथ नहीं बदलने का नजरिया ठीक नहीं। हर विभाग में एक समिति गठित करें जो अन्य राज्यों में हो रहे अच्छे कामों का अध्ययन करें।


भूमि प्रबंधन प्राधिकरण गठित होगा


मुख्यमंत्री ने विभिन्न विभागों के स्वामित्व में पड़ी अनुपयोगी जमीनों का लोक-हित में उपयोग करने के उद्देश्य से भूमि प्रबंधन प्राधिकरण गठित करने की भी जानकारी दी। उन्होंने कहा कि हर विभाग इस बात की समीक्षा करे कि कितनी जमीन उसके उपयोग की है और कितनी अनुपयोगी पड़ी है। उन्होंने कहा कि ऐसी जमीनों पर गरीबों के आवास निर्माण जैसी योजनाएँ बनाई जा सकती हैं। 


मुख्यमंत्री ने कहा कि विभागों को जमीन के स्वामित्व को लेकर अतिसंवेदनशील होने की आवश्यकता नहीं है क्योंकि ऐसी जमीनों का उपयोग अंतत: लोक हित में ही होगा। उन्होंने भेल के पास सरकार की जमीन का हवाला देते हुए कहा कि इसका उपयोग न तो सरकार कर पा रही है न ही भेल प्रबंधन कर पा रहा है। विभाग अपने पास उपलब्ध जमीनों का उपयोग करे या उनका उपयोग होने दे।


एक सप्ताह में कर्मचारी चयन आयोग


मुख्यमंत्री ने कहा कि अगले एक सप्ताह में कर्मचारी चयन आयोग काम करना शुरू कर दे। इसकी सभी औपचारिकताएँ पूरी कर लें। कौशल उन्नयन के संबंध में उन्होंने कहा कि कौशल उन्नयन के काम में कितनी सफलता मिली, इसका आकलन करना जरूरी है। कौन-सा कौशल रोजगार के लिए उपयोगी है इसकी प्राथमिकता तय कर लें। प्रदेश के लिए कौन-कौन से कौशल जरूरी हैं उन पर ध्यान दें। आर्थिक गतिविधियों को प्रोत्साहित करने के लिए पूरा सहयोग करें।


मुख्यमंत्री ने कहा कि कुपोषण मिटाना प्राथमिकताओं में से एक है इसके अलावा प्रदेश के पर्यटन में अत्यधिक संभावनाओं को देखते हुए उसे आगे बढ़ाने के लिए काम करना होगा। उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश में अन्य राज्यों की तुलना में ज्यादा संभावनाएँ होने से हेरिटेज टूरिज्म में कई राज्यों से प्रदेश आगे निकल सकता है। 


मुख्य सचिव एस.आर. मोहन्ती ने पिछली साल की उपलब्धियों की चर्चा की।