गुरुवार, 29 अक्तूबर 2020

मुख्यमंत्री दुष्कर्म के मामलोें में अन्वेषण का औसत समय 267 से घटकर 118 दिन हुआ...

 संवाददाता : जयपुर राजस्थान

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि सोशल मीडिया तथा साइबर तकनीक का दुरूपयोग कर इनके माध्यम से होने वाले अपराधों पर लगाम लगाने के लिए राजस्थान पुलिस अपने को तैयार करे। उन्होंने कहा कि पुलिस ऎसे अपराधों की तफ्तीश के लिए साइबर मामलों के एक्सपर्ट पुलिसकर्मियों का पूल गठित कर अपराधियों को सींखचों तक पहुुंचाए। उन्होंने कहा कि बदलते समय के अनुरूप अपराधियों ने अपने अपराध करने के तौर तरीकों में बदलाव किया है। प्रदेश की पुलिस भी इन चुनौतियों से मुकाबले के लिए अपने को आधुनिक बनाए। 
 
गहलोत बुधवार रात को मुख्यमंत्री निवास पर कानून-व्यवस्था एवं अपराध नियंत्रण से जुड़े मुद्दों की समीक्षा कर रहे थे।  मुख्यमंत्री ने कहा कि महिला हैल्प डेस्क, स्वागत कक्ष निर्माण, छात्रा आत्मरक्षा कौशल योजना, मुकदमों के त्वरित निस्तारण, थानों में आवश्यक रूप से एफआईआर दर्ज करने की व्यवस्था, राजकॉप सिटीजन एप, कमांड एवं कंट्रोल सेन्टर, साइबर टे्रनिंग लैब की स्थापना जैसे नवाचारों से प्रदेश में आमजन को त्वरित न्याय मिलने में मदद मिली है।
 
महिला अपराधों के विरूद्ध विशेष अन्वेषण इकाई के गठन से दुष्कर्म के मामलों की तफ्तीश में लगने वाला औसत समय 267 दिनों से घटकर 118 दिन हो गया है। साथ ही राज्य में महिलाओं के विरूद्ध होने वाले अपराधों की लम्बित जांचों का प्रतिशत राष्ट्रीय औसत 34 प्रतिशत के मुकाबले 9 प्रतिशत ही है। उन्होंने कहा कि नवाचारों के कारण महिलाएं अपने साथ हुए अपराधों की शिकायत दर्ज करने के लिए बिना किसी डर के थाने पहुंच रही है।

गहलोत ने कहा कि नवाचारों से महिला अपराध के पंजीकरण में बढ़ोतरी हुई है एवं मुकदमों के त्वरित निस्तारण में गति आई है। इसकी पुष्टि इस बात से भी होती है कि बलात्कार के प्रकरणों में जहां पूर्व में 30 प्रतिशत से भी ज्यादा मामले सीधे पुलिस के पास आने की बजाए कोर्ट के माध्यम से दर्ज होते थे। वे अब घटकर लगभग 13 प्रतिशत तक आ गए है। मुख्यमंत्री ने कहा कि कोरोना वॉरियर्स के रूप में पुलिस ने जो भूमिका निभाई तथा मास्क वितरण जैसे सामाजिक कार्याें में आगे बढ़कर योगदान दिया, वह प्रशंसनीय है। मुख्यमंत्री ने कहा कि पुलिस के अच्छे काम भी जनता तक पहुंचने चाहिएं।
 
मुख्यमंत्री ने कहा कि आमजन बिना किसी भय के पुलिस थानों में जाकर एफआईआर दर्ज करा सके, इसके लिए पिछले साल मई माह में निर्देश जारी किए गए थे कि थानों में हर परिवादी की शिकायत आवश्यक रूप से दर्ज की जाए। अगर थाने में शिकायत दर्ज नहीं की जाती है तो पीड़ित व्यक्ति पुलिस अधीक्षक के समक्ष प्रार्थना पत्र प्रस्तुत कर एफआईआर दर्ज करा सकता है। इस निर्णय का ही नतीजा है कि राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो द्वारा प्रकाशित क्राइम इन इंडिया-2019  के अनुसार राज्य में प्रथम सूचना रिपोर्ट के पंजीकरण के आंकड़ों में बढ़ोतरी हुई है, लेकिन इस रिपोर्ट में कहा गया है कि अपराधों के पंजीकरण में वृद्धि को अपराधों में वृद्धि नहीं माना जा सकता। एफआईआर फ्री रजिस्टे्रशन की नीति से लोगों में पुलिस के प्रति विश्वास बढ़ा है और न्याय के लिए पीड़ित व्यक्ति बिना किसी डर के थाने पहुंच रहा है।
 
गहलोत ने कहा कि हमारा प्रयास है कि राजस्थान अपराधों की रोकथाम और त्वरित न्याय की दिशा में देश का मॉडल स्टेट बने। इसके लिए पुलिस को संसाधन उपलब्ध करवाने में किसी तरह की कमी नहीं रखी जाएगी। उन्होंने कहा कि पुलिस बिना किसी भेदभाव पीड़ित व्यक्ति की फरियाद सुने और उसे जल्द से जल्द राहत प्रदान करे। उन्होंने कहा कि कोई व्यक्ति कानून से ऊपर नहीं है, इसलिए कानून की पालना में किसी तरह का पक्षपात नहीं होना चाहिए।
 
बैठक में जानकारी दी गई कि मंत्रिमंडलीय उप समिति ने गुर्जर आरक्षण संघर्ष समिति के कर्नल किरोडी सिंह बैंसला एवं अन्य सदस्यों को वार्ता के लिए गुरूवार को अपरान्ह चार बजे जयपुर बुलाया है।
 
बैठक में बताया गया कि महिला अपराधों के विरूद्ध नवाचारों के द्वारा छात्रा आत्मरक्षा के लिए 979 मास्टर टे्रनर तैयार कर 4 लाख 38 हजार छात्राओं एवं 28 हजार 236 महिलाओं को प्रशिक्षण दिया गया है। महिलाओं के विरूद्ध दर्ज अपराधों का न्यायालयों में त्वरित निस्तारण सुनिश्चित करने के लिए राज्य के समस्त 56 पोक्सो न्यायालयों में 56 विशेष लोक अभियोजकों की नियुक्ति कर दी गई है एवं न्यायालय द्वारा यथासंभव धारा 309 दण्ड प्रक्रिया संहिता के अनुसार दिन-प्रतिदिन सुनवाई की जा रही है। इन प्रयासों का परिणाम है कि अब राजस्थान में महिलाओं के विरूद्ध अपराधों का न केवल पंजीकरण सुगम हुआ है, बल्कि पुलिस बल में लैंगिक संवेदनशीलता भी बढ़ी है। 
 
बैठक में पुलिस महानिदेशक अपराध एम.एल. लाठर, प्रमुख शासन सचिव गृह अभय कुमार, एडीजी इन्टेलिजेन्स उमेश मिश्रा, एडीजी एसओजी अशोक राठौड़, एडीजी कानून-व्यवस्था सौरभ श्रीवास्तव, एडीजी सिविल राईट्स आर.पी मेहरड़ा पुलिस महानिरीक्षक सीआईडी-सीबी वी.के सिंह, शासन सचिव गृह एनएल मीणा, सूचना एवं जनसम्पर्क आयुक्त महेन्द्र सोनी सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद थे।